मनीष श्रीवास्तव-
‘सन्देशवाहक’ में प्रकाशित आज के मेरे खुलासे पर नजरें इनायत कीजिये… राजस्व खुफिया निदेशालय यानी डीआरआई ने लखनऊ एयरपोर्ट से करोड़ों का पौने दस किलो सोना बाहर करने के खेल का खुलासा क्या किया। शीर्ष कस्टम अफसरों के होश फाख्ता हो गए।
डीआरआई ने एयरपोर्ट से सिर्फ कस्टम हवलदार को फिलहाल अभी पकड़ा है। कस्टम हवलदार समेत नौ सोना तस्कर जेल भेजे गए हैं। लेकिन क्या सिर्फ अदना सा कस्टम हवलदार ही सोना तस्करी के इस बड़े सिंडिकेट का अहम हिस्सा था।
इस सवाल पर आपको हंसी आ रही होगी।
यूपी/उत्तराखंड के कस्टम कमिश्नर वेद प्रकाश शुक्ला की मेहरबानी से तीन वर्षों से ज्यादा समय से डिप्टी कमिश्नर निहारिका लाखा को अकेले ही एयरपोर्ट जैसी संवेदनशील तैनाती सौंपी गई थीं। छोटे छोटे सोना तस्करी के मामले पकड़वाकर भारी मात्रा में हो रही सोना तस्करी को खूब हवा दी जा रही थी।
इसी वर्ष अगस्त में नई डीसी कस्टम अर्निका यादव भी लखनऊ एयरपोर्ट पर तैनात हुईं। लेकिन आईआरएस निहारिका की एक शिफ्ट कस्टम कमिश्नर द्वारा लखनऊ एयरपोर्ट पर बरकरार रखी गयी ताकि इसी शिफ्ट के जरिये एयरपोर्ट से करोड़ों का सोना पार करवाया जा सके और हुआ भी यही।
डीआरआई ने जो पौने दस किलो सोना एयरपोर्ट से बिना चेकिंग बाहर ले जाने पर पकड़ा है वो निहारिका लाखा की शिफ्ट से पार हुआ था। मैडम निहारिका एयरपोर्ट महीने में 15 दिन भी नहीं जाती थी। इसकी पुष्टि लखनऊ एयरपोर्ट के सीसीटीवी फुटेज से की जा सकती है।
निहारिका के संग लखनऊ एयरपोर्ट पर नम्बर दो के रूप में कस्टम सुपरिटेंडेंट विमल श्रीवास्तव भी लंबे समय से तैनात थे। दोनों के लिए मंत्रालय की पोस्टिंग पॉलिसी की धज्जियां कस्टम कमिश्नर द्वारा बेखौफ उड़ाई गयी। करोड़ों के सोना तस्करी कांड में अपने कस्टम हवलदार की गिरफ्तारी की सूचना की भनक लगते ही चन्द दिन पहले ही कस्टम कमिश्नर वेद प्रकाश शुक्ला ने निहारिका व विमल को लखनऊ एयरपोर्ट से चुपचाप हटा दिया।
शीर्ष कस्टम अफसरों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए फिलहाल फजीहत होने पर एयरपोर्ट टीम के पांच कस्टम कर्मी निलंबित कर दिए हैं। लेकिन यही ज़ीरो टॉलरेन्स पॉलिसी बड़े अफसरों के आगे सिर्फ इसलिए दम तोड़ गयी क्योंकि डिप्टी कमिश्नर निहारिका लाखा के साथ आईआरएस की मजबूत लॉबी साथ खड़ी है…. सत्यमेव जयते