नवनीत चतुर्वेदी-
पॉलिटिकल इंटेलिजेंस की थ्योरी अनुसार आज अधीर रंजन चौधरी ने डील फिक्स करते हुए हवा का रुख बदल दिया
स्मृति पिछले काफी दिनों से बैकफुट पर चल रही थी, अंदरूनी राजनीति के चलते वो पार्टी में अलग थलग पड़ चुकी थी लेकिन आज अधीर रंजन ने ऑक्सीजन दे डाला.
एक आठवीं पास बच्चा भी राष्ट्रपत्नी यह शब्द नहीं बोल सकता हैं क्यूंकि यह वर्ड कभी प्रचलन में आया ही नहीं.
लेकिन अधीर बाबू बोल पड़े औऱ तुरंत बाद स्क्रिप्ट के तहत स्मृति ईरानी फुल फॉर्म में आ गई
आज के यूनिक डायलॉग dont टॉक to me जो सोनियाजी ने इरिटेट हो कर ही कहा था स्थिति वश उन्हें कहना पड़ गया, उस एक डायलॉग ने स्मृति ईरानी का कद उनकी पार्टी में बढ़ा दिया.
बाबू मोशाय अधीर रंजन जी डील क्या हुई थी! देश जानना चाहता हैं।
अमिताभ श्रीवास्तव-
स्मृति ईरानी की नैतिक और राजनैतिक पूंजी सोनिया गांधी के मुकाबले बहुत कम है। स्मृति ईरानी ने केवल अपनी तू-तड़ाक वाली नाटकीय आक्रामकता और अमर्यादित व्यवहार के जरिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सुर्खियां हासिल की हैं। अधीर रंजन चौधरी की ग़लती के लिए स्मृति ईरानी का सोनिया गांधी पर हमलावर होना उनकी बेटी से जुड़े ताज़ा विवाद पर खुन्नस की तरफ इशारा करता है।
पंकज चतुर्वेदी-
‘राष्ट्रपति’ में ‘पति’ शब्द का आशय क्या है?
‘राष्ट्रपति’ में ‘पति’ शब्द बहुतों के लिए हमेशा कौतुक का कारण बना रहता है और तब तो ज़रा परिहास की वजह भी बन जाता है, जब कोई सम्माननीया स्त्री राष्ट्रपति बनती है। ऐसे लोग दाँतों तले उँगली दबा लेते और दबे-ढके सोचते रहते हैं, मगर इस पहेली को हल नहीं कर पाते कि कोई स्त्री पति कैसे हो सकती है?
संसद में ताज़ा छिड़े विवाद की बुनियाद में भी यही संभ्रम है। ग़लती से ही सही, एक सांसद ने पहले राष्ट्रपति कहा, फिर उनके मुँह से ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द निकल गया। पितृसत्ता इतनी ज़बरदस्त है कि आपके शायद न चाहते हुए भी वह अपनी अभिव्यक्ति आपसे करवा लेती है।
अंग्रेज़ी के व्यापक असर में लोग मानकर चलते हैं कि ‘हज़बेंड’ {husband} का हिन्दी प्रतिशब्द, अनुवाद या समानार्थी शब्द है पति, जबकि ऐसा हरगिज़ नहीं है।
नागरी प्रचारिणी सभा से प्रकाशित शब्दकोश ‘संक्षिप्त हिंदी शब्दसागर’ के मुताबिक़ ‘किसी स्त्री के लिए वह पुरुष, जिससे उसका विवाह हुआ हो’ ‘पति’ शब्द का केवल एक अर्थ है।
मूलतः ‘पति’ एक वैदिक शब्द है, जिसका अर्थ है : स्वामी, मालिक, अधिपति, शासक, यहाँ तक कि ‘पाशुपत दर्शन’ के अनुसार महेश्वर। इसीलिए आप देख सकते हैं कि इसके मिलन से हमारे दैनिक राष्ट्रीय जीवन में न जाने कितने शब्द बनते रहे हैं और बराबर प्रचलन में हैं, जैसे : राष्ट्रपति, नृपति, भूपति, सभापति, कुलपति, ग्रामपति इत्यादि।
किसी स्त्री से विवाहित पुरुष उसके लिए बेशक पति होता है, मगर भारतीय परम्परा की दृष्टि अथवा अभिप्राय से वह जीवनसाथी से ज़्यादा उसका स्वामी ही है। भाषा में बद्धमूल इसी पुरुषसत्ता को लक्ष्य कर प्रसिद्ध आलोचक मैनेजर पाण्डेय ने ‘अश्लीलता और स्त्री’ शीर्षक निबन्ध में लिखा है : ‘….पति शब्द का अर्थ श्रेष्ठता का ही नहीं, सत्ता का भी सूचक है।….इस हिसाब से स्त्री भी पुरुष के लिए एक सम्पत्ति की तरह है, जिसका पति पतित होने पर भी पति (स्वामी) बना रहता है। यह सारी शब्दावली लोकमत का भी अभिन्न हिस्सा है।’
Atul goyal
July 29, 2022 at 12:54 pm
इस हिसाब से तो राष्ट्रपत्नी के संबोधन पर शोर मचाने वालो की मानसिकता स्त्री को हेय समझने वाली जमात की है