उमेश चतुर्वेदी-
तारीख 5 जनवरी 2000
दोपहर का वक्त
स्थान औंड़िहार जंक्शन
वाराणसी से छपरा और मऊ जाने वाले इस जंक्शन पर भारी भीड़ थी..
लोग परेशान थे…इसी बीच एक ट्रेन आई….उसके पहले दर्जे में एक वीआईपी अपने गृह क्षेत्र लौट रहा था..
पैसेंजर ट्रेन का इंतजार कर रहे छात्रों ने उस ट्रेन में चढ़ने की कोशिश की…कुछ छात्रों ने पहले दर्जे की उस बोगी में भी घुसने की की थी..
उस वीआईपी की सुरक्षा में तैनात जवानों ने छात्रों को पहले रोकने की कोशिश की…
और जब नहीं रूके तो गोली चला दी…
इस गोलीबारी में एक छात्र मारा गया था…
एसपीजी यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप ने अपने गठन से लेकर अब तक सिर्फ एक ही बार उसी वक्त गोली चलाई थी…
वह वीआईपी थे चंद्रशेखर…पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर…जो उस वक्त अपने बलिया जा रहे थे…
प्रधानमंत्री के काफिले को रोके जाने के बाद यह वाकया स्मृति के झरोखे से बाहर निकल आया…
अनिल सिन्हा-
मानना पड़ेगा प्रधान जी को , हर आपदा को अवसर में बदल लेते हैं ! पंजाब में सड़क मार्ग से हुसैनीवाला जाने का कार्यक्रम पहले से तय नहीं था. जल्दी जल्दी में बनाया. बारिश के कारण हेलीकाप्टर के बदले सड़क से निकल पड़े. दो घंटे की यात्रा पूरी होने में 30 किलोमीटर रह गया था कि यात्रा रद्द कर एयरपोर्ट लौट गए क्योंकि रास्ते में किसान प्रदर्शन के लिए आ गए थे.
एक खबर एजेंसी ने चला दिया कि उन्होंने अफसरों को पंजाब के मुख्यमंत्री को धन्यवाद् देने के लिए कहा है कि वह एयरपोर्ट जिन्दा आ गए. गोदी मीडिया के लिए इशारा काफी था. बीजेपी की पूरी टीम भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गयी. पंजाब सरकार को सुरक्षा में चूक करने का दोषी बताया जा रहा है और प्रधान जी के जान को खतरा.
अव्वल तो गृह मंत्रालय और केंद्र की सुरक्षा एजेंसियां प्रधान जी का सुरक्षा इंतजाम करती हैं. उसे हर पल की खबर रहती है. उसने एयरपोर्ट से निकलने के पहले क्यों नहीं रोका? निकलने के बाद इतनी दूर तक कैसे जाने दिया ? सीधा मामला है. किसानों को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का पता चला तो जमा हो गए. इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है? लेकिन प्रधान जी हर समय चुनावी रणनीति पर ही चलते हैं. लोकतंत्र है , लोग विरोध करेंगे ही. इस पर इतना हायतोबा क्यों मचाना ! जब खुद के जान पर ही खतरा बताएँगे तो देश का क्या होगा ?