वास्तु विहार घोटाले में अलग-अलग जगहों पर मुकदमों का क्रम साल भर पहले से शुरू हो गया लेकिन इस घोटाले पर मीडिया वाले रहस्यमय चुप्पी साधे हुए हैं. इस स्कैम का सबसे पहले भड़ास ने खुलासा किया. किसी भी मुख्यधारा के अखबार और चैनल ने वास्तु विहार घाटाले पर एक लाइन नहीं छापा न दिखाया. ऐसा माना जा रहा है कि मीडिया वाले भाजपा के शीर्ष नेताओं और केंद्र-राज्य की सरकारों के दबाव / प्रलोभन के कारण मनोज तिवारी के खिलाफ कुछ नहीं छाप रहे हैं. मनोज तिवारी की जगह अगर यही आरोप आम आदमी पार्टी के किसी नेता पर लगा होता तो सारे चैनल पूरे दिन इसी घोटाले के गड़े मुर्दे खोदते रहते. इसे ही कहते हैं मीडिया का नंगा और दोगला चेहरा.
दरभंगा में भाजपा नेता मनोज तिवारी के खिलाफ चीटिंग व फ्राड का केस फाइल होने के पहले भी एक एफआईआर दर्ज हो चुकी है. यह एफआईआर पटना साल भर पहले मनोज तिवारी के खिलाफ दर्ज हुई. पटना वाले एफआईआर में मनोज तिवारी समेत कुल नौ लोगों के नाम हैं जो आरोपी वास्तु विहार कंपनी से संबद्ध हैं. मुकदमा एक वकील की पत्नी ने दर्ज कराया जिसने वास्तु विहार कंपनी से एक प्लाट बुक कराया था लेकिन कंपनी अपने अन्य कस्टमर्स की तरह इस महिला को भी न तो प्लाट दे रही और न ही पैसे लौटा रही है.
पटना के गांधी मैदान पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में शिकायतकर्ता रानी देवी ने कहा है कि उसने 2013 में वास्तु विहार कंपनी में 7.86 लाख रुपये निवेश कर दो हजार स्क्वायर फीट का एक प्लाट बुक कराया. उसने यह कदम मनोज तिवारी द्वारा वास्तु विहार कंपनी के ब्रांड एंबेसडर होने और इनके द्वारा वास्तु विहार कंपनी के प्रोजेक्ट का प्रचार प्रसार किए जाने के कारण उठाया. कंपनी ने प्लाट की रजिस्ट्री तो की लेकिन कभी भी प्लाट हैंडओवर नहीं किया. उन्होंने पैसा भी नहीं लौटाया. रानी देवी, जो खुद शिक्षिका हैं और एक वकील की पत्नी हैं, ने बताया कि मनोज तिवारी का नाम एफआईआर में इसलिए डाला गया क्योंकि उन्होंने एक फ्राड कंपनी को प्रमोट किया जिसके कारण हजारों निर्दोष लोगों का पैसा फंस गया.
बनारस से सुजीत सिंह प्रिंस की रिपोर्ट. संपर्क : 9451677071
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