बिहार विधान सभा की प्रेस सलाहकार समिति के औचित्य को लेकर आज विधान मंडल के गलियारे में चर्चा तेज रही। इसकी वैधता को लेकर भी सवाल उठा। क्योंकि सलाहकार समिति के गठन के पूर्व विधान सभा सचिवालय ने किसी भी अखबार या समाचार संस्थान से समिति के लिए प्रतिनिधि के नाम की मांग नहीं की थी। अपनी मनमर्जी से नामों का एलान कर दिया। जो विहित प्रक्रिया का उल्लंघन है। यही कारण है कि संस्थान छोड़ चुके या सेवानिवृत्त हो चुके पत्रकारों का भी पूर्व संस्थानों के साथ नाम अंकित है।
प्रेस सलाहकार समिति के सामाजिक स्वरूप को लेकर समिति गठन की अधिसूचना जारी होने के तुरंत बाद पत्रकारों ने राजद प्रमुख लालू यादव से मुलाकात की थी। इस संबंध में राजद प्रमुख ने पत्रकारों की शिकायतों से स्पीकर विजय कुमार चौधरी को अवगत कराया था। उस समय श्री चौधरी दिल्ली में थे। उन्होंने फोन पर ही श्री यादव को भरोसा दिलाया था कि बजट सत्र के पूर्व समिति का पुनर्गठन किया जाएगा और प्रेस सलाहकार समिति में पत्रकारों के सामाजिक भागीदारी को सम्मान दिया जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
वास्तविकता यह है कि स्पीकर विजय कुमार चौधरी ने पिछले वर्ष की प्रेस सलाहकार समिति को ही पिछले दिसंबर माह में पुनर्जीवित कर दिया। जबकि बजट सत्र के पूर्व प्रेस सलाहकार समिति का गठन किया जाता है। उधर वर्तमान प्रेस सलाहकार समिति के खिलाफ पत्रकारों का एक समूह आवाज बुलंद करने लगा है और प्रेस सलाहकार समिति को भंग कर नयी प्रेस सलाहकार समिति के गठन की मांग करने लगा है। इतना ही नहीं, नाराज गुट वर्तमान प्रेस सलाहकार समिति की अनुशंसा पर विधान सभा सत्र के कवरेज के लिए निर्गत प्रवेश पत्र को रद करने की मांग की है।
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र यादव के फेसबुक वॉल से. संपर्क: 09431094428