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बिहार

कन्हैया पर राष्ट्रद्रोह का इल्जाम वो लोग लगा रहे जिन्होंने हमेशा अंग्रेजों का साथ दिया और महात्मा गांधी जैसे राष्ट्रवादी नेता की हत्या की

पटना : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित अन्य छात्रों पर राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाकर गिरफ्तारी, ए.आई.एस.एफ के राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत सहित छात्रों, प्राध्यापकों एवं पत्रकारों से मारपीट एवं विश्वविद्यालय में लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने की कोशिश के खिलाफ प्रेमचंद रंगशाला परिसर में प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया। हिंसा के विरूद्ध संस्कृतिकर्मी; रंगकर्मियों-कलाकारों का साझा मंच के बैनर तले आयोजित इस बड़ी प्रतिरोध सभा में पटना के रंगकर्मियों, साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न छात्र संगठनों एवं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। वक्ताओं ने कहा पूरे देश भर में कन्हैया और उनके साथियों की गिरफ्तारी के विरूद्ध आवाज उठ रही है। 

पटना : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित अन्य छात्रों पर राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाकर गिरफ्तारी, ए.आई.एस.एफ के राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत सहित छात्रों, प्राध्यापकों एवं पत्रकारों से मारपीट एवं विश्वविद्यालय में लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने की कोशिश के खिलाफ प्रेमचंद रंगशाला परिसर में प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया। हिंसा के विरूद्ध संस्कृतिकर्मी; रंगकर्मियों-कलाकारों का साझा मंच के बैनर तले आयोजित इस बड़ी प्रतिरोध सभा में पटना के रंगकर्मियों, साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न छात्र संगठनों एवं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। वक्ताओं ने कहा पूरे देश भर में कन्हैया और उनके साथियों की गिरफ्तारी के विरूद्ध आवाज उठ रही है। 

सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री एम.एन.कर्ण ने कहा कन्हैया बेगूसराय के क्रांतिकारियों की भूमि कहे जाने वाल बीहट गॉंव का रहने वाला है। कन्हैया के बहाने भारत सरकार असहमति के मौलिक लोकतांत्रिक अधिकार को कुचलना चाहती है ताकि राष्ट्रवाद की अपनी परिभाषा के अनुसार देश बनाए। उनका राष्ट्रवाद नकली राष्ट्रवाद है। विश्वविद्यालय नये विचारों की जन्मभूमि होती है वहां यदि असहमति के स्वर नहीं उठेंगे तो कहां उठेंगे? सरकार विचारों पर पहरा लगाना चाहती है।

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प्रसिद्ध इतिहासविद ओ.पी जायसवाल ने बताया कि आज कन्हैया पर राष्ट्रद्रोह का इल्जाम वो लोग लगा रहे हैं जिन्होंने हमेशा अॅंग्रेजों का साथ दिया, महात्मा गॉंधी जैसे राष्ट्रवादी नेता की हत्या की. पटना विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर भारती एस कुमार ने कहा कि पाकिस्तान के नाम पर आम लोगों में झूठा उन्माद फैलाया जा रहा है। हमें लोगों के बीच धैर्यपूर्वक बात कर उन्हें असली बात बतानी चाहिए।

सी.आईटी.यू के अरूण मिश्रा ने कहा कि हमारा राष्ट्रवाद साम्राज्यवाद विरोधी राष्ट्रवाद है, भाजपा का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है जो विभाजनकारी है। उनका राष्ट्रवाद तभी जागता है जब पाकिस्तान का मामला आता है, अमेरिकी साम्राज्यवाद के समक्ष ये आर.एस.एस वाले तलवे सहलाते हैं। जे.एन.यू के पूर्व छात्र इमरान खान ने बताया कि जे.एन.यू हमेशा से वामविचारों का गढ़ रहा है। वहां डायरेक्ट डेमोक्रेसी है। वहां यदि एक भी आदमी असहमत है तो उसे अपनी बात रखने की स्वतंत्रता रहती है। दुर्भाग्य से आज उसे नष्ट किया जा रहा है।

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पटना विश्वविद्यालय में विज्ञान के प्रोफेसर रहे देवेंद्र प्रसाद सिन्हा ने कहा कि आपत्तिजनक नारों का बहाना लेकर भारत सरकार द्वारा एक विश्वस्तरीय शैक्षिक संस्थान केा बदनाम करने की कोशिश कर रही है। साथ-साथ राष्ट्रवादी उन्माद पैदा करने का कुत्सित अभियान भी चलाया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद सिन्हा ने कहा कि औपनिवेशिक काल के राष्ट्रदोह के वैसे मुकदमे लादे जा रहे हैं जो स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों पर लादे जाते थे। देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लोगों ने कन्हैया की रिहाई की मांग की है। विश्वप्रसिद्ध विद्वान नॉम चॉम्सकी, नोबन पुरस्कार विजेता ओरहान पामुक सहित दुनिया के 450 विद्वानों, कोलंबिया, हावर्ड, कैंब्रिज, येल विश्वविद्यालों ने भी जे.एन.यू में अकादमिक माहौल समाप्त कर स्वतंत्र विचारों का गला घोंटने की निंदा की है।

केदार दास श्रम अध्ययन संस्थान के महासचिव नवीनचंद ने इस अभियान के पीछे नवउदारवादी अर्थशास्त्र को बताया जिसके अनुसार पूंजीपतियों के हित नीतियों को चुनौती पेश करने वाली हर चीज को निर्ममतापूर्वक ध्वंस कर दिया जाता है। जे.एन.यू ने चूंकि हमेशा सत्ता के प्रतिपक्ष में वैकल्पिक सोच को अभिव्यक्त दी है इसलिए उसे आज बर्बाद करने का प्रयास कर रही है।

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सामाजिक कार्यकर्ता अक्षय जी ने कहा कि कन्हैया की गिरफ्तारी और विश्वजीत पर हमला बताता है कि सरकार गरीब घरों के लड़कों को पब्लिक विश्वविद्यालय पहुंचने के सपने को नष्ट कर उसे निजी विश्वविद्यालों में तब्दील करना चाहती है जहां सिर्फ स्किल डेवलपमेंट की पढ़ाई हो।

ए.आईएस.एफ के आकाश गौरव, दिशा की वर्षा, न्यू एज यूथ ऐसासिएशन के राधेश्याम ने बताया कि सरकार कन्हैया को बिना सबूत के देशद्रोही कह रही है लेकिन केार्ट परिसर में, मीडिया के सामने  वकीलों की गुंडागर्दी देशद्रोह है कि नहीं?।  9 फरवरी के वीडियो पर कार्रवाई लेकिन 15 फरवरी की घटना के वीडियो पर चुप्पी बताती है कि केंद्र सरकार इकतरफा काम कर रही है।

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सी.पी.आई के पटना जिला सचिव बैंक कर्मचारियों के प्रतिनिधि रामलला जी ने कहा कि तीन-चार महीनों के बाद वामपंथियों की ताकतवर उपस्थिति वाली बंगाल और केरल में चुनाव है। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार उसे ध्यान में रखते हुए चुनाव को सांप्रदायिक आधार पर बांटना चाहती है अन्यथा पिछले वर्ष जब ये घटनाएं जे.एन.ये में हुई उस वक्त सरकार कहां सोयी थी?

सभा में सभी वक्ताओं ने राजद्रोह की बारीकियों, वर्तमान संदर्भ में उसके बेजा इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त करते हुए आपातकाल के दिनों से भी बुरा बताया। कन्हैया की गिरफ्तारी फासीवादी का खूंख्वार चेहरा अब प्रकट होने के लक्षण हैं। सभा को संबोधित करने वाले अन्य लोगों में थे मजूदर पत्रिका के सतीश कुमार, पैगाम कल्चरल सोसायटी के राजेश, उपन्यासकार नरेंद्र कुमार, बलदेव झा, वेब पोर्टल नौकशाही डॉट कॉम के इरशादुल हक, जदयू के नवल शर्मा, नरेंद्र पाठक, जसवा के प्रियदर्शी, कार्यकर्ता रूपेश। सभा में मौजूद महत्वपूर्ण लोगों में थे कथांतर पत्रिका के संपादक राणा प्रताप, प्राच्य प्रभा के संपादक विजय कुमार सिंह, कवि सुमंत, रंगकर्मी हसन इमाम, अमरेंद्र कुमार, सुरेश कुमार हज्जू, जयप्रकाश, विनीत, गौतम, रघु, मृत्युंजय शर्मा, समीर, नंद किशोर सिंह, पार्थ सरकार, सुनील कुमार, वामपंथी नेता मोहन जी,  मनोज चंद्र वंशी, कुशवाहा नंदन, ट्रेड यूनियन नेता आर.बी भास्कर, जयप्रकाश। सभा का संचालन संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर ने किया।

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विनीत राय
हिंसा के विरूद्ध संस्कृतिकर्मी; रंगकर्मियों-कलाकारों का साझाा मंच.

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3 Comments

3 Comments

  1. gautam

    February 19, 2016 at 8:31 pm

    [b]Shriman Vineet Roy lagta hai 100% Communist hain. Aap Deshwashiyon ko sirf itna hi bata dein ki JNU jaise sansthan mein “Pakistan Zindabad”, “Afzal Guru Zindabad” (jisse Supreme Court ne Faansi ki sazaa sunai aur Congressi Raaj me ya Ghatna ghati) ka “Nara” lagana sahi hai? Aap aur aap jaise log, jo Ek Atankwadi Afzal Guru ko A.Guru ji sambodhit karte hain, ko bhi “Desh-drohi/ Rashtra-drohi” ki Shreni me kyon na rakkha jaye. Aap direct BJP/RSS par Ungli Uthaa rahey hain, to apney vivek ko jagaiye aur thoda Iss Bhrasht aur Ab Desh-drohi Congress ko bhi koshiye….. Arrey bhai sab, Desh ke unn Veer Jawano ka bhi Tanik Khayal Rakhiye, jinki wazah se aap aur hum sukh-chain ki neend so rahey hain aur “Netagiri” kar rahey hain. Hamarey Jawano ka Desh ke Liye Ladna Vyarth hai, Jab tak JNU jaisa Kand hota rahega… Atah aapse Wintee hai ki Ghatiya Politics se thoda ooper hatkar sochiye apney Desh ke liye. Sirf Apney aur Apni Roti ke liye mat sochiye. Aaj JNU kaand me jis tarah se Political Parties, khaskar- Congress, Communist aur in jaise Wichardhara ki partiyan “Apni-2 Political Roti Senkne” mein Lagi hain, isse Desh ka bahut badaa nuksaan ho raha aur honeywala hai. Aap jaise logon ki Harkaton se JNU jaise Kaand Hotey hain aur Hotey rahenge…. Jai Hind…[/b]

    • Indian

      December 25, 2018 at 4:48 pm

      billkul sahi kaha hai aapne

  2. Jayprakash

    February 27, 2016 at 7:36 pm

    गौतम जी जरा अपना दिमाग खोल के रखिये. पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे के बारे में ये साफ़ हो गया है कि यो ABVP के लोगों ने लगाये थे मोदी सरकार उन्हें क्योण नहीं पक्ड़ती? चुकि वे भाजापा के लोग है इस कारण उनका बाल-बांका भी नहीण करेगी. आप अपनी राय zee news जिसका नया नाम छःई न्यूज बन चुका है उसके आधार पर न बनायें. ये देश्द्रोही चैनल भाजपा के पैसे से चलने वाला भाड़े का चैनल है
    गौतम जी आप बतायें कि जिन लोगों ने आपत्तिजन्क नारे लगाये उन्हें मोदी सरकार क्यों नहीं पक्ड़्ती? इस लिये कि कश्मीर में ऐसे ही राय रखने वाली PDP के साथ उसे सरकार बनाना है. इस कारण वाम विचारधारा के छात्रों पर बिना स्बूत के वो गिरफ़्तार कर रही है. वाम विचार वाले छात्र संग्ठ्न मोदी सरकार को तभी से खटकने लगे थे जब हैदराबाद केंद्रीय विश्विद्यालय (HCU) में वाम छात्र संगठ्न SFI के नेतृत्व में चले आऒदोलन से मोदी सरकार की काफ़ी किरकिरी हुई इस लिये ऐसे लोगों को सबक सिखाना हर मोर्छे पर फ़ेल हो रही सरकार द्वारा किया गया.
    पिछ्ले साल अफ़्ज़्ल गुरु की बरसी पर ,जब केंद्र में मोदी सरकार थी, क्यों नहीं कारवाई की गयी थी? क्योंकि तब बंगाल और केरल, जो वाम प्रभाव वाले राज्य हैं, में चुनाव न था.
    और हां सिर्फ़ नारे लगाने से कुछ नहीं होता राष्ट्र्द्रोह का मामला तब तक न्हीं बनता जब तक कि उससे कोई हिंसा नहीं फ़ैलती लेकिन आप मुर्खों की तरह तर्क उन्मादी तर्क दे रहे हैं थोड़ा अपना ग्यान्चक्षु खोलिये और दिमाग को एक दंगाइ, दलाल की तरह नहीं एक देश्भ्क्त की तरह सोचें
    तब JNU पर आप्को गर्व होगा

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