Connect with us

Hi, what are you looking for?

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर ज्यादती रोकने और दर्ज प्रकरणों की उच्च स्तरीय समीक्षा के लिए समिति गठित

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि स्वस्थ लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप राज्य सरकार छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए वचनबद्ध है। उन्हें कर्तव्य निर्वहन के दौरान पूर्ण रूप से हर प्रकार का कानूनी संरक्षण मिलेगा। डॉ. सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता की स्वस्थ परम्परा को निरंतर बनाए रखने के लिए गृह (पुलिस) विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। 

<p>छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि स्वस्थ लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप राज्य सरकार छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए वचनबद्ध है। उन्हें कर्तव्य निर्वहन के दौरान पूर्ण रूप से हर प्रकार का कानूनी संरक्षण मिलेगा। डॉ. सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता की स्वस्थ परम्परा को निरंतर बनाए रखने के लिए गृह (पुलिस) विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। </p>

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि स्वस्थ लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप राज्य सरकार छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए वचनबद्ध है। उन्हें कर्तव्य निर्वहन के दौरान पूर्ण रूप से हर प्रकार का कानूनी संरक्षण मिलेगा। डॉ. सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता की स्वस्थ परम्परा को निरंतर बनाए रखने के लिए गृह (पुलिस) विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। 

इन दिशा-निर्देशों में सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समन्वय समिति के गठन का भी प्रावधान किया गया है। यह समिति पत्रकारों पर ज्यादतियों को रोकने और उनके विरूद्ध चल रहे आपराधिक प्रकरणों की उच्च स्तरीय समीक्षा करेगी। इस संबंध में गृह (पुलिस) विभाग ने यहां मंत्रालय से कल एक विशेष परिपत्र जारी कर दिया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

परिपत्र में कहा गया है कि प्रदेश में समय-समय पर पत्रकारों के विरूद्ध आपारिधक प्रकरण दर्ज करने या गिरफ्तार करने की स्थिति में पत्रकारिता की स्वतंत्रता के मुद्दे पर सवाल उठते हैं। शासन को कई बार इस प्रकार की शिकायतें भी प्राप्त होती हैं कि किसी पत्रकार पर पुलिस कर्मियों द्वारा ज्यादती की गयी है, या उनके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दुर्भावनावश कायम किया गया है।

परिपत्र में यह भी बताया गया है कि पूर्व में मध्यप्रदेश शासन के गृह (पुलिस विभाग) द्वारा भोपाल से 24 दिसम्बर 1986 को जारी परिपत्र के तहत इस पर अंकुश लगाने की कार्रवाई की गयी थी, जिसे पुनः पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ द्वारा तीन फरवरी 2006 को सभी पुलिस अधीक्षकों को पालन करने के लिए जारी किया गया था। इस परिपत्र में दी गयी व्यवस्था छत्तीसगढ़ में यथावत लागू रहेगी, जो इस प्रकार होगी- 

Advertisement. Scroll to continue reading.

(1) पत्रकारों पर ज्यादतियां होने की शिकायतों को संचालक जनसंपर्क विभाग एकत्रित कर पुलिस मुख्यालय में कार्यरत उपपुलिस महानिरीक्षक (शिकायत) को भेजेंगे। संचालक जनसंपर्क से प्राप्त प्रकरणों में पुलिस मुख्यालय द्वारा आवश्यक कार्रवाई किए जाने के बाद इसकी सूचना संचालक जनसंपर्क को और प्रतिलिखि गृह विभाग को दी जाएगी। 

(2) जहां तक पत्रकारों के विरूद्ध कोई प्रकरण कायम किए जाने का प्रश्न है, इस संबंध में राज्य शासन ने यह निर्णय लिया है कि यदि किसी भी (चाहे वह अभी स्वीकृत पत्र प्रतिनिधि हो या न हो) के विरूद्ध कोई प्ररकण कायम किया जाता है, तो उन प्रकरणों में चालान किए जाने के पहले उन पर उपलब्ध साक्ष्य की समीक्षा संबंधित पुलिस अधीक्षक और क्षेत्रीय उप पुलिस महानिरीक्षक कर लें और स्वयं को आश्वस्त कर लें कि कोई भी प्रकरण दुर्भावनावश या तकनीकी किस्म के स्थापित नहीं किए जाए। यदि उप महानिरीक्षक के मत में यह पाया जाए कि कोई प्रकरण दुर्भावनावश कायम किया गया है, तो तत्काल उनको समाप्त करने के निर्देश दिए जाएं और संबंधित पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की जाए। इस कंडिका में यह भी कहा गया है कि बगैर समीक्षा किए हुए प्रकरणों का चालान न्यायालय में प्रस्तुत न किया जाए। प्रत्येक तिमाही में क्षेत्रीय उप पुलिस महानिरीक्षण इस प्रकार के प्रकरणों की समीक्षा करेंगे और वे पुलिस महानिदेशक को सूचना भेजेंगे। पुलिस महानिदेशक से यह सूचना गृह विभाग को भेजी जाएगी। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

(3) यह व्यवस्था यथावत जारी रहेगी। इसके अन्तर्गत उप पुलिस महानिरीक्षक के स्थान पर अब पुलिस महानिरीक्षक (रेंज) कार्रवाई करेंगे। 

(4) उपरोक्त व्यवस्था के अतिरिक्त शासन स्तर पर एक उच्च स्तरीय समन्वय समिति का भी गठन किया गया है, जो पत्रकारों और शासन के बीच आपराधिक प्रकरणों और संबंधित विषयों में आवश्यक समन्वय स्थापित करने की कार्रवाई करेगी। समन्वय समिति के अध्यक्ष सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव होंगे। समिति में गृह (पुलिस) विभाग के सचिव, पुलिस मुख्यालय की अपराध अनुसंधान शाखा के प्रभारी अधिकारी और शासन द्वारा नामांकित दो वरिष्ठ पत्रकार सदस्य होंगे। समन्वय समिति में जनसंपर्कविभाग के संचालक सदस्य सचिव होंगे। समिति द्वारा संबंधित रेंज पुलिस महानिरीक्षक को भी आवश्यकतानुसार आमंत्रित किया जा सकता है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

(5) उपरोक्त समन्वय समिति के संदर्भ की शर्ते इस प्रकार होंगी- परिपत्र की कंडिका-2 में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार यदि कार्रवाई से संतुष्टि नहीं होती है, तो उन प्रकरणों में उच्च स्तरीय समन्वय समिति द्वारा विचार किया जाएगा। समिति द्वारा विचारण से संबंधित मामले के चयन का अधिकार संचालक जनसंपर्कके पास रहेगा।  पत्रकार के रूप में किए गए किसी कार्य के कारण पत्रकारो के विरूद्ध दर्ज आपराधिक प्रकरणों के संबंध में यह उच्च स्तरीय समन्वय समिति पुलिस और पत्रकारों के बीच समन्वयक की भूमिका का निर्वहन करेगी। समिति पुलिस और पत्रकारों की ओर से आवश्यक सूचना और जानकारियों को आदान-प्रदान करेगी। इसके लिए आवश्यक जानकारी प्राप्त करने और प्रकरण से जुड़े पक्षो को बुलाने के लिए समिति आवश्यक निर्देश भी जारी करेगी। 

परिपत्र की प्रतिलिपि पुलिस महानिदेशक और सामान्य प्रशासन विभाग तथा जनसंपर्कविभाग के सचिवों सहित समस्त संभागीय कमिश्नरों, कलेक्टर और जिला दण्डाधिकारियों, रेंज पुलिस महानिरीक्षकों और सभी पुलिस अधीक्षकों को भी भेजी गयी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement