रायपुर : जशपुर प्रशासन कब नींद से जागेगा! रायपुर में सरकार ने भी चिटफंड कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। समिति का गठन भी हो गया है लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से चिटफंड कम्पनियां सक्रिय हैं।
उल्लेखनीय है कि देश में करीब 10 लाख चिटफंड कंपनियां संचालित हो रही हैं। इनमें केवल 12 हजार 120 कंपनियां ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) से अधिकृत हैं। छत्तीसगढ़ में तो किसी भी कंपनी को आरबीआई से मान्यता प्राप्त नहीं है। अवैध ढंग से संचालित हो रही इन कंपनियों का मुख्य कार्यालय भी प्रदेश में नहीं है।
यह जानकारी भिलाई निवास में आयोजित वर्कशॉप में आरबीआई व सेबी के अहमदाबाद, ग्वालियर नागपुर, भोपाल के अधिकारियों ने दी। आरबीआई भोपाल के डीजीएम सुवेंदु पति ने बताया कि चिटफंड कंपनी तभी वैध मानी जा सकती है, जब वह रजिस्टार ऑफ कंपनीज (आरओसी) में पंजीकृत होने के बाद आरबीआई द्वारा अधिकृत की जाएंगी। इसमें नॉन बैकिंग को लेकर कई केटेगरी हैं। इनमें एडवांस व डिपाजिट योजना को लेकर अलग-अलग नियम निर्धारित हैं। यदि किसी संस्था के नाम के साथ डेवलपर जैसा शब्द जुड़ा है और उसके द्वारा उपभोक्ता से किश्त में राशि ली जा रही है तो उसे प्राप्त किए गए रकम के एवज में जमीन देनी होगी।
नगद भुगतान नहीं किया जा सकेगा। ऐसा करना आरबीआई की शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा। आरबीआई उसकी मान्यता समाप्त कर सकती है। डीजीएम ने पुलिस अधिकारियों को चिटफंड कंपनियों द्वारा की जा रही गलतियों की जानकारी देते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करने के तरीके बताए। सेबी अहमदाबाद के प्रबंधक यू रमेश ने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ किन-किन बिन्दुओं पर प्रभावी कार्रवाई की जा सकती है, इसकी जानकारी दी।