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छत्तीसगढ़

महानदी, पैरी एवं सोढूर नदियों के संगम स्थल पर राजिम कुंभ में आस्थावानों का मेला

रायपुर से करीब चालीस किमी दूर गरियाबंद जिले के राजिम कुंभ मेले में पहुंचकर जैसे आत्मा तृप्त हो गई.. छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के निजी सचिव मनोज शुक्ला जी ने मेरे लिए कुंभ स्थल तक जाने का प्रबंध किया.. कुंभ मेले में पहुंच कर मैंने बेहद विहंगम दृश्य देखा..जिधर भी मेरी नजर गई साधू संत भक्ति में लीन मिले.. यही नहीं दूर दराज से आए आम जन भी धुनी रमाए हुए आस्था के सागर में गोते लगाते मिले..

रायपुर से करीब चालीस किमी दूर गरियाबंद जिले के राजिम कुंभ मेले में पहुंचकर जैसे आत्मा तृप्त हो गई.. छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के निजी सचिव मनोज शुक्ला जी ने मेरे लिए कुंभ स्थल तक जाने का प्रबंध किया.. कुंभ मेले में पहुंच कर मैंने बेहद विहंगम दृश्य देखा..जिधर भी मेरी नजर गई साधू संत भक्ति में लीन मिले.. यही नहीं दूर दराज से आए आम जन भी धुनी रमाए हुए आस्था के सागर में गोते लगाते मिले..

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वैसे हमारे यहां चार महाकुंभों को ही मान्यता हासिल है लेकिन अब राजिम कुंभ मेला भी महाकुंभ में तब्दील हो गया है.. असल में यहां पर भी तीन नदियों (महानदी, पैरी एवं सोढूर) का संगम है और ये तीनों नदियां उत्तर दिशा की ओर बहती हैं इसलिए इसे अति पावन तीर्थ स्थल के तौर मान्यता प्राप्त है.. यहां पर लोग अस्थियों के विसर्जन, तर्पण के लिए भी पहुंचते हैं..

वैसे राजिम नाम भगवान विष्णु के स्वरुप राजीव लोचन के नाम पर पड़ा है और ऐसा कहा जाता है कि वनवास के दौरान भगवान श्री राम यहां स्थित लोमस ऋषि के आश्रम में रुके थे और उसी दौरान सीता ने यहां कुलेश्वर महादेव की स्थापना रेत से शिवलिंग बना कर तीनों नदियों के मिलन स्थल पर ही की और तभी से यह तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात हो गया..

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यहां माघी पुन्नी के नाम से मेले का आयोजन होने लगा लेकिन वर्ष २००५ में माघी पुन्नी मेले को और विख्यात करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने उसे  कुंभ का स्वरुप दे दिया..इसके लिए विधान सभा में विधेयक तक परित कराया गया..और फिर हर वर्ष यहां कुंभ मेले का आयोजन होने लगा..

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इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन, एवं नासिक में जहां १२ वर्षों के अंतराल पर कुंभ का आयोजन होता है तो वहीं राजिम में प्रतिवर्ष कुंभ का आयोजन हो रहा है..२०१७ में आयोजन का बारहवां वर्ष है इसलिए इसे महाकुंभ कि संज्ञा दी गई है..प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक चलने वाले इस कुंभ मेले में इसबार देश के तेरहों अखाड़ों के साधू संत मौजूद हैं..

विदेशियों ने भी यहां डेरा डाल रखा है..कहीं प्रवचन चल रहा है तो कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन जारी है..कहीं गंगा आरती हो रही है तो कहीं रंग बिरंगे स्टॉल सजे हैं..छत्तीसगढ़ सरकार के मुताबिक इस आयोजन का मकसद देश विदेश के लोगों को पुरातन संस्कृति और सभ्यता से अवगत कराना है.. वाकई राजिम कुंभ में विचरण करके मुझे भी लगा कि छत्तीसगढ़ की विरासत को समझने के लिए इस कुंभ मेले में शिरकत करना एक उचित मौका है…

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लेखक अश्विनी शर्मा मुंबई और दिल्ली के कई न्यूज चैनलों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं.

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