सीएम त्रिवेंद्र रावत
Nitin Thakur : हाथ जोड़कर वोट लेते हैं और जब कोई अर्ज़ी लेकर खड़ा हो तो उसे झाड़ पिलाते हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत.. आप मुख्यमंत्री हैं. शहंशाह नहीं हैं. ये मंत्रीपना भी सालों का है सदियों का नहीं.
विधवा टीचर अपने बच्चों के खातिर एक सुविधाजनक तबादला मांग रही है और ये हैं कि हनक ही खत्म नहीं हो रही. उसे सभ्यता से बोलने का पाठ पढ़ा रहे हैं जो पच्चीस साल से सूबे के बच्चों को सबक रटा रही है.
महिला शिक्षिका पल भर में रुआंसी हो गई. नेता तो है नहीं कि माहौल देखकर एक्टिंग कर ले तो दो टूक अपनी बात कह डाली. जामे से बाहर हुए सीएम साहब ने कमरे में खड़ी अपनी पुलिस को हुक्म दे दिया कि निकालो बाहर इसे.. साथ में ट्रांसफर ना देकर सस्पेंशन का आदेश भी सुना दिया.
वाह रे बित्ता भर के सूबे के सूबेदार! क्या इंसाफ किया है! सस्पेंड ही कर दिया तो फिर किस बात के बॉस बचे. मैडम ने भी निकाले जाते वक्त कह दिया जो उन्हें यूं नहीं कहना चाहिए था.. “चोर उचक्के कहीं के”.
फिर झल्लाए सीएम साहब ने एक बार और कड़क कर कहा- कस्टडी में लो इसको.
महिला भूल गई थी कि वो ‘इंडिया दैट इज़ भारत’ नाम के प्रजातंत्र की नागरिक है जहां सत्तर सालों से जनता का राज है. जनता के राज का हमारा संस्करण है जनता के नाम पर राज. ऐसे धक्के मारकर महिला को बाहर निकाला गया जैसे वो माननीय मुख्यमंत्री जी की जेब से छीनकर ट्रांसफर ऑर्डर ले ही लेगी.
उत्तराखंड की जनता को हार्दिक शुभकामनाएँ क्योंकि अभी तो पार्टी लंबी चलेगी.
Sn Vinod : ..फरियादी शिक्षिका निलंबित, हिरासत में! आज़ाद भारत का ये दृश्य हर भारतवासी को विचलित कर रहा है।लोकतांत्रिक भारत का एक मुख्यमंत्री, जनता का फरियाद सुन त्वरित न्याय करने आयोजित जनता दरबार में,एक पीड़ित शिक्षिका को न केवल निलंबित करने का आदेश देता है, उसे हिरासत में भी भेज देता है!यही नहीं, शिक्षिका के विरोध दर्शाने पर मुख्यमंत्री के मंच से पुलिस को कहा जाता है कि उसके बाल पकड़ खींचो!
अविश्वसनीय-अकल्पनीय!
किन्तु, ऐसा हुआ। अनेक लोगों की उपस्थिति में-कैमरों के सामने। महिला की फरियाद थी कि पति की मौत के बाद, बच्चों की देखभाल के लिए उसका तबादला कर दिया जाए। 25वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थापित शिक्षिका की जायज मांग पर मुख्यमंत्री की घोर आपत्तिजनक, बल्कि मानवता को शर्मशार करने वाली, प्रतिक्रिया को इस वीडियो में देख पूरा देश हतप्रभ है। मुझे पूरा विश्वास है कि अपने चाल, चरित्र, चेहरा पर दंभ भरने वाली भाजपा के कार्यकर्ता-अधिकारी-समर्थक भी स्वयं को शर्मसार महसूस कर रहे होंगे। अब?..अव्वल तो शिक्षिका को तत्काल न्याय मिले, और अमानवीय आचरण के लिए मुख्यमंत्री रावत शिक्षिका और पूरे देश से सार्वजनिक माफी मांगें!
Ashwini Kumar Srivastava : अंग्रेज चले गए लेकिन सत्ता की अपनी अहंकारी औलादें यहीं छोड़ गए…यहां जो सरकारी नौकरी पा जाता है या लोगों के वोट पाकर कोई संवैधानिक पद पा जाता है, फिर उसे बाकी के लोग अपने से तुच्छ या अपने गुलाम नजर आने लगते हैं। सिर्फ यही एक मुख्यमंत्री क्यों, जरा बात तो करके देखिए सिपाही से लेकर किसी छुटभैया अफसर या किसी आईएएस / पीसीएस से…हर कोई इसी तेवर, इसी तल्खी से जनता से बात करता है, मानों अपने खरीदे हुए गुलाम से बात कर रहा है।
Vinod Kapri : जनता दरबार में एक मुख्यमंत्री की चढ़ी हुई त्यौरियाँ… ग़ुस्से से तमतमाया लाल चेहरा… और कम से कम 55 साल की महिला टीचर के लिए खुलेआम फ़रमान-
“मै तुम्हें सस्पेंड कर दूँगा “
“इसको सस्पेंड कर दो आज ही “
“ले जाओ इसे बाहर “
“बंद करो इसे”
“कस्टडी में लो इसे”
कोई जो तकलीफ़ में है,उसके साथ ये व्यवहार?
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