Yashwant Singh : एक भाई-बहन दिल्ली के कालका जी थाने में तीन दिन से चक्कर काट रहे हैं. भाई का बाइक जब पुलिस वालों ने पकड़ा तब उसके पास कागज नहीं थे. बाइक लेकर पुलिस वाले थाने चले गए और अगले रोज कागज सहित आकर बाइक ले जाने को बोल दिया. भाई-बहन दोनों डाक्यूमेंट्स लेकर गए, दिखाए, लेकिन तब भी पुलिस वाले कह रहे हैं कि बाइक नहीं देंगे, चाहें तुम जो दिखा लो. खासकर इस पूरे प्रकरण में थाने के थानेदार वेद का रवैया बहुत ही असंवेदनशील है.
सोचिए, तीन दिन से भाई बहन थाने के चक्कर लगा रहे हैं और वहां जाकर पुलिस वालों से गुहार लगा रहे हैं, रिरिया रहे हैं, सारे दस्तावेज दिखाने के बाद अपनी ही बाइक मांग रहे हैं पर दिल्ली पुलिस बाइक देने को तैयार नहीं है. ये कैसा सिस्टम है साहेब? ये कैसी पुलिसिंग है साहेब? करप्शन और अमानवीयता की इंतहा है.
थानेदार वेद बार-बार किसी न किसी बहाने से भाई-बहन को लौटा देता है. अभी आज कुछ देर पहले थानेदार ने मालखाना बंद होने की बात कहकर भाई-बहन को लौटा दिया. कहा जा रहा है कि पुलिस वाले बिना पैसा लिए बाइक छोड़ने के मूड में नहीं हैं.
मेरा उन भाई बहन से कोई परिचय नहीं है. लेकिन जाने कैसे उनके पास मेरा नंबर था और कॉल करके उनने जब पूरी कहानी सुनाई तो दिल भर आया. बहन लगभग रुआंसी बात कर रही थी. फिलहाल इस मामले में गाजीपुर के डाक्टर अविनाश सिंह गौतम से लेकर कई लोग ट्विटर पर सक्रिय हैं और दिल्ली पुलिस से लेकर राजनाथ सिंह, दिल्ली पुलिस कमिश्नर, एलजी समेत कई लोगों को टैग कर ट्वीट कर रहे हैं पर डिजिटल इंडिया की बात करने वाली मोदी सरकार फिलहाल कान में तेल डाले मौन बैठी है.
इस मामले में आप लोगों से सलाह चाहूंगा कि क्या इस भाई बहन जो प्रताड़ना झेल रहे हैं, इसकी शिकायत वे कहीं कर सकते हैं? और हां, कृपया इस पोस्ट को जरूर शेयर कर टैग करें ताकि बात दूर तक और खासकर तंत्र पर काबिज अंधे-बहरों तक पहुंचे.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.