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दिल्ली

यह कोई मान नहीं सकता कि केजरीवाल ने पैसे खाकर दो गुप्ताओं को राज्यसभा टिकट दिए होंगे…

लेकिन ये टिकट क्यों दिए गए, यह बताने में आम आदमी पार्टी असमर्थ है… केजरीवाल भूल सुधार करें….

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
यह तो कोई मान ही नहीं सकता कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पैसे खाकर दो गुप्ताओं को राज्यसभा के टिकिट दे दिए होंगे लेकिन ये टिकिट उन्हें क्यों दिए गए, यह बताने में आम आदमी पार्टी असमर्थ है। उन दोनों में एक चार्टर्ड एकाउंटेट है और दूसरा शिक्षा और चिकित्सा के धंधे में है, जो आज देश में लूट-पाट के सबसे बड़े धंधे हैं। जो चार्टर्ड एकाउंटेंट है, वह अभी कुछ दिन पहले तक कांग्रेस में था और केजरीवाल का घनघोर विरोधी था।

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लेकिन ये टिकट क्यों दिए गए, यह बताने में आम आदमी पार्टी असमर्थ है… केजरीवाल भूल सुधार करें….

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक
यह तो कोई मान ही नहीं सकता कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पैसे खाकर दो गुप्ताओं को राज्यसभा के टिकिट दे दिए होंगे लेकिन ये टिकिट उन्हें क्यों दिए गए, यह बताने में आम आदमी पार्टी असमर्थ है। उन दोनों में एक चार्टर्ड एकाउंटेट है और दूसरा शिक्षा और चिकित्सा के धंधे में है, जो आज देश में लूट-पाट के सबसे बड़े धंधे हैं। जो चार्टर्ड एकाउंटेंट है, वह अभी कुछ दिन पहले तक कांग्रेस में था और केजरीवाल का घनघोर विरोधी था।

उसने ऐसा क्या चमत्कार कर दिया कि अरविंद ने सम्मोहित होकर उसे राज्यसभा में भेजने का निर्णय कर लिया ? इन दोनों के चयन ने केजरीवाल और ‘आप’ की छवि को चौपट कर दिया है। ऐसा नहीं है कि अयोग्य धनपशुओं को अन्य दलों ने पहले राज्यसभा में नहीं भेजा है लेकिन उन दलों और नेताओं की छवि क्या अरविंद केजरीवाल-जैसी थी ? भ्रष्टाचार-विरोध ही अरविंद और ‘आप’ की पहचान है और उसकी पहचान पर अब सवाल उठने लगे हैं।

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इस नामजदगी से ‘आप’ पार्टी में कितनी नाराजगी है, यह कार्यकर्ताओं ने बता दिया है। तीसरा उम्मीदवार संजय सिंह अपना पर्चा भरने  शेर की तरह गया और दो गुप्ता- लोग बिल्कुल गुप्त- से ही हो गए। यदि ‘आप’ पार्टी तुरंत नहीं संभली तो दिल्ली में उसका लौटना भी मुश्किल हो सकता है। उसने इधर इतने अच्छे काम किए हैं कि 2019 में उसकी राष्ट्रीय भूमिका भी बन सकती है बशर्ते कि वह तुरंत भूल सुधार करे।

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कैसे करें? इन दोनों गुप्ताओं को पहले जीतने दे और फिर दोनों ही इस्तीफा दे दें। उसके बाद ‘आप’ पार्टी में ही कई तेजस्वी और मुखर नेता हैं, उन्हें नामजद किया जाए और अपनी इज्जत बचाई जाए। राज्यसभा की नामजदगी में सभी दलों के नेता इतनी धांधली करते हैं कि मेरी राय में यह अधिकार नेताओं से छीनकर उनके संसदीय दलों या कार्यसमितियों को दे दिया जाना चाहिए। राष्ट्रपति द्वारा की जानेवाली 10 नामजदगियों का अधिकार भी राज्यसभा के सभी सदस्यों के पास चला जाना चाहिए ताकि राज्यसभा में सचमुच योग्य लोग जा सकें।

लेखक डा. वेद प्रताप वैदिक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं.

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