नई दिल्ली : प्रसिद्ध साहित्यकार डा कैलाश वाजपेयी का एक अप्रैल को दिल्ली के प्राइवेट हॉस्पिटल में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी डा. रूपा वाजपेयी और पुत्री अनन्या हैं। उनका तड़के तीन बजे हार्ट अटैक आने से दक्षिणी दिल्ली के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में निधन हुआ। उनका अंतिम संस्कार नई दिल्ली लोदी रोड स्थित श्मशान घाट में किया गया। उनकी बेटी अनन्या ने मुखाग्नि दी।
उनको अंतिम विदाई देने के लिए कपिला वात्सायन, लीलाधर मंडलोई, आशीष नंदी, मणिशंकर अय्यर और के. श्रीनिवासराव सहित साहित्य और राजनीतिक जगत की विभिन्न हस्तियां एवं उनके मित्र मौजूद थे। वाजपेयी का जन्म 1936 में उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में हुआ था। लखनऊ विश्वविद्यालय से वाचस्पति की उपाधि हासिल करने वाले वाजपेयी की 34 पुस्तकें प्रकाशित हुई, जिनमें ‘हवा में हस्ताक्षर’, ‘हिन्दी कविता में शिल्प’, ‘संक्रांत’, ‘देहांत से हटकर’, ‘तीसरा अंधेरा’ और ‘सूफीनामा’ प्रमुख है।
इसके अलावा उनकी रचनाएं स्पेनिश, अंग्रेजी और जर्मन में भी अनुवादित हुई हैं। साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘वाजपेयी के निधन से हिन्दी कविता को गंभीर क्षति हुई है। वह ‘दार्शनिक मिजाज’ के कवि थे, जिन पर भारतीय अद्वैतवाद और बौद्धदर्शन का गहरा प्रभाव लक्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सातवें दशक के विद्रोही कवि रहे वाजपेयी ने कविता के शिल्प में भी परिवर्तन किया था।
वह मूलतः हमीरपुर (उ.प्र.) के रहने वाले थे। उन्होंने लखनऊ यूनिर्वसिटी से एम.ए. और पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी। वर्ष 1960 में टाइम्स ऑफ इण्डिया प्रकाशन मुम्बई में कार्यरत रहे। वहां से लौट कर दिल्ली यूर्निवसिटी से जुड़ गए थे।