मीडिया को वेश्या कहने वाले विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने अपने बयान के बचाव में फिर मीडिया पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है कि मेरे साधारण से बयान का मतलब अगर मीडिया ने ये निकाला कि मेरा यमन जाना पाक दिवस कार्यक्रम में जाने से कम रोमांचकारी है तो ऐसी विकृत मानसिकता से भगवान ही बचाए. वी के सिंह ने अपने बयान पर सफाई देते हुए प्रेस कांउसिल ऑफ इंडिया को चिट्ठी भी लिखी है जिसमें मीडिया के एक हिस्से को कोसा है.
वी के सिंह ने कहा है कि उन्होंने जो कहा वो मीडिया में सबके लिए नहीं था. बल्कि उन्होंने अपनी टिप्पणी किसी खास के लिए की थी. चिट्ठी में वी के सिंह ने कहा है- 2012 से ही मीडिया के कुछ खास लोग मुझे निशाना बना रहे हैं. मीडिया के कुछ लोग न सिर्फ झूठी खबरें छापते हैं बल्कि उस संस्थान को भी नुकसान पहुंचाया जिसका नेतृत्व मैं बतौर सेना प्रमुख कर रहा था. ये सब कुछ यूपीए सरकार के दौरान हुआ.
यूपीए सरकार का मुझे बदनाम करने और अपना एजेंडा था. इस दौरान कुछ लोग मौके का फायदा उठाने के लिए यूपीए सरकार के मुखपत्र की तरह काम करने की कोशिश की. जब मैंने इनके खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपना बचाव किया तो मीडिया के कुछ लोगों ने मुझे और मेरी छवि को नुकसान पहुंचाने के उम्मीद में और आक्रमक और कड़ा रुख कर खबरें छापीं. पिछले आम चुनाव के बाद, केंद्र में सरकार बदल गई, लेकिन ऐसे हमले बिना रोक-टोक के जारी रहे. आज मीडिया की विश्वसनीयता दांव पर है. अगर मीडिया की अपनी अंदरूनी नजर रखने की संस्था प्रभावकारी नहीं हुई तो इन समस्याओं के हाथ से बाहर जाने का खतरा है.
उधर, वीके सिंह के मीडिया को दिये विवादित बयान को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू का समर्थन मिला है. काटजू ने फेसबुक पर लिखा है कि ज्यादातर मीडिया उसी श्रेणी में आती है जिस श्रेणी का जिक्र वीके सिंह ने किया है. काटजू ने भी मीडिया के बड़े तबके को प्रेस्टीट्यूट कहा। वीके सिंह ने मीडिया को प्रेस्टीट्टूट कहा था जिसकी वहज से उनकी जमकर आलोचना हो रही है। लेकिन मार्कंडेय काटजू ने कहा कि मीडिया में कुछ लोगों को छोड़कर एक बड़ा तबका इसी श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि जब मैं प्रेस काउंसिल का अध्यक्ष था तब मैंने खुद इस बात का अनुभव किया था। काटजू ने क्या लिखा है, यहां पढ़ें….
Markandey Katju : Presstitutes… I would not agree with Gen.V.K. Singh if he meant that all media people are ‘ presstitutes ‘. There are some very upright media persons I know,e.g. P.Sainath. But, these are exceptions. The vast majority of mediapersons would certainly fall in the category mentioned by Gen. Singh, as my experience in the Press Council taught me. What else do paid news, Radia tapes, etc denote?