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दिल्ली

प्रेसटीट्यूट्स (वेश्या) कहने पर मीडिया को गुस्सा आया, बीईए ने मोदी से गुहार लगाई

नई दिल्ली : मीडिया को ‘प्रेसटीट्यूट्स’ बताने वाले विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह की एक मीडिया संगठन ने निंदा की है। साथ ही विपक्ष ने उन्हें बर्खास्‍त करने की मांग कर डाली है। ट्वीट पर ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए) ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। एसोसिएशन के महासचिव एनके सिंह ने कहा, ”यदि मंत्री इस प्रकार के बयान देते रहे तो लोगों को सरकार से विश्वास उठ जाएगा। यह न केवल मीडिया का अपमान है, बल्कि इससे लोकतंत्र को भी चोट पहुंचेगी। मैं उम्मीद करूंगा कि पीएम नरेंद्र मोदी इस मामले पर ध्यान देंगे। इससे सरकार की छवि ही खराब हो रही है।”

<p>नई दिल्ली : मीडिया को ‘प्रेसटीट्यूट्स’ बताने वाले विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह की एक मीडिया संगठन ने निंदा की है। साथ ही विपक्ष ने उन्हें बर्खास्‍त करने की मांग कर डाली है। ट्वीट पर ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए) ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। एसोसिएशन के महासचिव एनके सिंह ने कहा, ''यदि मंत्री इस प्रकार के बयान देते रहे तो लोगों को सरकार से विश्वास उठ जाएगा। यह न केवल मीडिया का अपमान है, बल्कि इससे लोकतंत्र को भी चोट पहुंचेगी। मैं उम्मीद करूंगा कि पीएम नरेंद्र मोदी इस मामले पर ध्यान देंगे। इससे सरकार की छवि ही खराब हो रही है।''</p>

नई दिल्ली : मीडिया को ‘प्रेसटीट्यूट्स’ बताने वाले विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह की एक मीडिया संगठन ने निंदा की है। साथ ही विपक्ष ने उन्हें बर्खास्‍त करने की मांग कर डाली है। ट्वीट पर ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए) ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। एसोसिएशन के महासचिव एनके सिंह ने कहा, ”यदि मंत्री इस प्रकार के बयान देते रहे तो लोगों को सरकार से विश्वास उठ जाएगा। यह न केवल मीडिया का अपमान है, बल्कि इससे लोकतंत्र को भी चोट पहुंचेगी। मैं उम्मीद करूंगा कि पीएम नरेंद्र मोदी इस मामले पर ध्यान देंगे। इससे सरकार की छवि ही खराब हो रही है।”

 

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उल्लेखनीय है कि वीके सिंह ने मंगलवार को ट्वीट के जरिए एक टीवी चैनल के खिलाफ विवादास्पद व्यंग्यात्मक टिप्पणी की थी। अपने इस ट्वीट में उन्होंने कहा था कि ‘दोस्तों, आप प्रेस्‍टीट्यूट्स से और क्या उम्मीद कर सकते हैं।’

‘प्रेस्टीट्यूट’ शब्द अंग्रेज़ी के दो शब्दों प्रेस और प्रॉस्टीट्यूट (वेश्या) को मिलाकर बना है और इस शब्द के ज़रिए वीके सिंह ने भारतीय मीडिया को बिकाऊ कहा था। उनकी टिप्पणी पर ट्विटर पर लोग दो खेमों में बंट गए।  उनके ट्वीट के बाद ##Presstitutes ट्रेंड करने लगा, ज़्यादातर लोग उनके बयान से सहमति जता रहे हैं। सचिन वैद्य ने लिखा कि मीडिया को आत्म मंथन करने की ज़रूरत है। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ ढह रहा है। रमेश भट्ट ने लिखा कि जनरल वीके सिंह को प्रेस्टीट्यूट के सामने झुकने की कोई ज़रूरत नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने ट्वीट किया कि हम पत्रकार व्यक्तिगत तौर पर गाली खाने के आदी हैं लेकिन इस तरह के आरोप फ़ासीवादी हैं।

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