Connect with us

Hi, what are you looking for?

दिल्ली

जश्ने-रेख्ता में शख्सियतों का मेला… इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था

दिल्ली : दो दिवसीय ‘जश्ने-रेख्ता’ में पाकिस्तान, भारत, अमेरिका, कनाडा आदि देशों के 60 से अधिक उर्दू शायर, लेखकों और फ़नकारों ने शिरक़त की. जश्ने-रेख्ता के जरिए उर्दू के कई दिलचस्प पहलू देखने को मिले. दास्तानगोई, शायरी, कव्वाली, ग़ज़ल और क़िस्सागोई ने उर्दू के चाहने वालों के दिल खुश कर दिए. जश्ने-रेख्ता में उर्दू किताबों के बुक स्टाल, कैलीग्राफ़ी, शायरी की महफ़िल और खाने पीने के इंतजाम भी थे. पैनल डिस्कशन और इंटरैक्टिव सत्र के माध्यम से उर्दू के विभिन्न पहलुओं को जानने का और चर्चा करने का मौका मिला. उर्दू नाटकों ने दर्शकों को खूब लुभाया.

<p>दिल्ली : दो दिवसीय 'जश्ने-रेख्ता' में पाकिस्तान, भारत, अमेरिका, कनाडा आदि देशों के 60 से अधिक उर्दू शायर, लेखकों और फ़नकारों ने शिरक़त की. जश्ने-रेख्ता के जरिए उर्दू के कई दिलचस्प पहलू देखने को मिले. दास्तानगोई, शायरी, कव्वाली, ग़ज़ल और क़िस्सागोई ने उर्दू के चाहने वालों के दिल खुश कर दिए. जश्ने-रेख्ता में उर्दू किताबों के बुक स्टाल, कैलीग्राफ़ी, शायरी की महफ़िल और खाने पीने के इंतजाम भी थे. पैनल डिस्कशन और इंटरैक्टिव सत्र के माध्यम से उर्दू के विभिन्न पहलुओं को जानने का और चर्चा करने का मौका मिला. उर्दू नाटकों ने दर्शकों को खूब लुभाया.</p>

दिल्ली : दो दिवसीय ‘जश्ने-रेख्ता’ में पाकिस्तान, भारत, अमेरिका, कनाडा आदि देशों के 60 से अधिक उर्दू शायर, लेखकों और फ़नकारों ने शिरक़त की. जश्ने-रेख्ता के जरिए उर्दू के कई दिलचस्प पहलू देखने को मिले. दास्तानगोई, शायरी, कव्वाली, ग़ज़ल और क़िस्सागोई ने उर्दू के चाहने वालों के दिल खुश कर दिए. जश्ने-रेख्ता में उर्दू किताबों के बुक स्टाल, कैलीग्राफ़ी, शायरी की महफ़िल और खाने पीने के इंतजाम भी थे. पैनल डिस्कशन और इंटरैक्टिव सत्र के माध्यम से उर्दू के विभिन्न पहलुओं को जानने का और चर्चा करने का मौका मिला. उर्दू नाटकों ने दर्शकों को खूब लुभाया.

‘फ़िल्मों की ज़बान उर्दू’ सत्र में गीतकार इरशाद कामिल, निर्देशक मुज़फ़्फर अली, रंगकर्मी एमके रैना व अभिनेत्री नंदिता दास ने फिल्मों में उर्दू भाषा के प्रयोग और अहमियत पर चर्चा की. अशोक वाजपेयी, केदारनाथ सिंह व शमीम हनफ़ी जैसे लेखकों ने भी उर्दू के महत्व पर चर्चा की. पाकिस्तान से आए कुछ प्रमुख रचनाकारों अज़मल कमाल, अमजद इस्लाम अमजद, आसिफ़ फारुख़ी, इंतज़ार हुसैन, जिया मोहियुद्दीन, अनवर शऊर ने भी जश्ने- रेख्ता की रौनक बढ़ायी. पाकिस्तानी ड्रामा के जाने पहचाने चेहरे भी इस उत्सव में देखने को मिले जो ख़ास तौर पर जश्ने रेख्ता में शामिल होने आए थे.

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रसिद्ध पाकिस्तानी कलाकार ज़िया मोहिउद्दीन की पढ़न्त के दिलचस्प अंदाज को सुनने के लिए जितने लोग ऑडिटोरियम के अंदर थे, उससे ज़्यादा बाहर खड़े थे. उनकी भाषा की गहरी समझ, आवाज़ के उतार-चढ़ाव और लय सुनने वालो को मंत्रमुग्ध कर देती है. “उर्दू है जिसका नाम हमीं जानते हैं दाग”, मंटो की कहानियों पर आधारित नाटक ‘टेटवाल का कुत्ता’ व एम सईद आलम के नाटक ‘लाल किले का आखिरी मुशायरा’ का मंचन किया गया. एमएस सथ्यू की फ़िल्म गरम हवा की स्क्रीनिंग भी की गई.

‘बज़्म-ए-सुखन’ मुशायरे में मशहूर शायरों ने शिरकत की जिनमें शामिल थे, अमजद इस्लाम अमजद, अनवर शऊर, अशफ़ाक़ हुसैन, फ़रहत एहसास, मोहम्मद अल्वी और वसीम बरेलवी. ‘अख़्तरी’ के जरिए विद्या शाह व दानिश हुसैन ने बेगम अख़्तर को याद करते हुए उनकी गाई हुई ग़ज़लों से शाम को रौनक किया. महमूद फारूक़ी व देरन शहीदी की दास्तानगोई ने भी खूब वाहवाही बटोरी. जश्ने-रेख्ता की आखिरी शाम मौसम का मिजाज भी बदला और घिरे हुए बादलों के बीच ग़ज़ल गायिका राधिका चोपड़ा ने ‘दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था, इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था’ ग़ज़ल के आग़ाज़ के साथ इस खूबसूरत जश्न को अंजाम दिया.

Advertisement. Scroll to continue reading.

(बीबीसी)

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement