दिल्ली : आम आदमी पार्टी के रहनुमाओं ने एक बयान जारी कर योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को षड्यंत्रकारी करार दिया है। आरोप है कि दोनो ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘आप’ को हराने का दुष्प्रयास किया था। दिल्ली चुनाव के दौरान प्रशांत ने लोगों को चंदा देने और कार्यकर्ताओं को दिल्ली आने से रोका। योगेंद्र यादव ने पार्टी विरोधी समाचारों का प्रकाशन करवाया था। पता चला है कि आगामी 28 मार्च को पार्टी की नेशनल काउंसिल की बैठक में दोनों को नेशनल एग्जीक्यूटिव से हटाने की घोषणा हो सकती है।
पार्टी ने बयान जारी किया है – ‘पार्टी ने प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को यह सोचकर पीएसी से हटाने के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया कि उससे इन दोनों के व्यक्तित्व पर विपरीत असर पड़ेगा, लेकिन बैठक के बाद मीडिया में लगातार बयान देकर माहौल बनाया जा रहा है, जैसे राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अलोकतांत्रिक और गैरजिम्मेदार तरीके से यह फैसला लिया। मीडिया को देखकर कार्यकर्ताओं में भी यह सवाल उठने लगा है कि आखिर इनको पीएसी से हटाने की वजह क्या है? पार्टी के खिलाफ मीडिया में बनाए जा रहे माहौल से मजबूर होकर पार्टी को दोनों वरिष्ठ साथियों को ‘पीएसी’ से हटाये जाने के करणों को सार्वजनिक करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।’
‘आम आदमी पार्टी को दिल्ली चुनावों में ऐतिहासिक जीत मिली है। यह जीत सभी कार्यकर्ताओं की जी-तोड़ मेहनत की वजह से संभव हुई, लेकिन जब सब कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी को जिताने के लिए अपना पसीना बहा रहे थे, उस वक्त हमारे तीन बड़े नेता पार्टी को हराने की पूरी कोशिश कर रहे थे। ये तीनों नेता हैं- प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव और शांति भूषण।’
जारी बयान में बताया गया है कि प्रशांत भूषण ने, दूसरे प्रदेशों के कार्यकर्ताओं को फोन करके दिल्ली में चुनाव प्रचार करने आने से रोका। कहा- ‘मैं भी दिल्ली के चुनाव में प्रचार नहीं कर रहा। आप लोग भी मत आओ। इस बार पार्टी को हराना जरूरी है, तभी अरविंद का दिमाग ठिकाने आएगा।’ प्रशांत भूषण और उनके पिताजी को समझाने के लिए कि वे मीडिया में कुछ उलट सुलट न बोलें, पार्टी के लगभग बड़े नेता प्रशांत के घर पर लगातार तीन दिनों तक उन्हें समझाते रहे। ऐसे वक़्त जब हमारे नेताओं को प्रचार करना चाहिए था, वो लोग इन तीनों को मनाने में लगे हुए थे।
बयान में बताया गया है कि पार्टी के पास तमाम सबूत हैं, जो दिखाते है कि कैसे अरविंद की छवि को खराब करने के लिए योगेंद्र यादव ने अखबारों में नेगेटिव खबरें छपवाई। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, अगस्त माह 2014 में द हिन्दू अखबार में छपी खबर, जिसमें अरविंद और पार्टी की एक नकारात्मक तस्वीर पेश की गई। जिस पत्रकार ने ये खबर छापी थीं, उसने पिछले दिनों इसका खुलासा किया कि कैसे यादव ने ये खबर प्लांट की थी। प्राइवेट बातचीत में कुछ और बड़े संपादकों ने भी बताया है कि यादव दिल्ली चुनाव के दौरान उनसे मिलकर अरविंद की छवि खराब करने के लिए ऑफ दी रिकॉर्ड बातें कहते थे।