सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय के विदेश की अपनी परिसंपत्तियों से ऋण जुटाने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सहारा प्रमुख को जमानत राशि जुटाने के लिए विदेश स्थित अपने होटलों से 105 करोड़ डॉलर जुटाने की मंजूरी दी, ताकि वह जमानत राशि के तौर पर 5000 करोड़ रूपए नकद और 5000 करोड़ रूपए की बैंक गारंटी जुटा सकें। इस मामले में उन्हें विदेशी मुद्रा विनिमय के लिए रिजर्व बैंक की अनुमति लेनी पड़ेगी।
कोर्ट के निर्देशानुसार, सहारा समूह विदेश से पैसा जुटाने के लिए रिजर्व बैंक और अन्य संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेगा। शीर्ष अदालत ने लेनदेन से संबंधित सभी जरूरी कार्यो को निपटाने के लिए रॉय को तिहाड़ जेल के भीतर अस्थाई कार्यालय के इस्तेमाल की अनुमति भी दी। सहारा प्रमुख 12 जनवरी से 20 फरवरी तक फोन और कम्प्यूटर की सुविधाएं भी इस्तेमाल कर सकेंगे। भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ एक विवाद में रॉय एवं उनके दो निदेशक चार मार्च 2014 से तिहाड़ जेल में बंद हैं।
इस बीच, निवेशकों को पैसा लौटाने के मुद्दे पर बाजार नियामक सेबी के साथ जारी अपनी कानूनी लड़ाई के बीच सहारा समूह ने आज कहा कि सेबी के पास जमा कराई गई राशि अब ब्याज सहित बढ़कर लगभग 11,500 करोड़ रुपये हो गई है। सहारा समूह ने इस बारे में जारी बयान में कहा है, ‘जमानत की पूरी राशि चुकाए जाने पर जब हमारे चेयरमैन (सुब्रत रॉय) बाहर आएंगे तब तक सेबी के पास जमा राशि 18,000 करोड़ रुपये (नकदी में) हो जाएगी।’ समूह ने अपनी कुछ विदेशी संपत्तियों के संबंध में कर्ज अंतरण व्यवस्था के संबंध में अतिरिक्त प्रस्तावों का ज्रिक करते हुए यह जानकारी दी।
समूह ने कहा है, ‘चूंकि कोई भी बैंक 100 प्रतिशत नकद मार्जिन के बिना हमें बैंक गारंटी देने को तयार नहीं है, सेबी के पास नकदी 18,000 करोड़ रुपये होने जा रही है।’ समूह ने यह भी कहा है कि दूसरी तरफ सेबी ने पिछले 26 महीने में निवेशकों को रिफंड के रूप में केवल दो करोड़ रुपये का भुगतान किया है। निवेशकों से रिफंड दावों के लिए आवेदन करने के बारे में सेबी के दो विज्ञापनों का हवाला देते हुए समूह ने दावा किया है कि नियामक को अब तक केवल 20 करोड़ रुपये की मांग के आवेदन मिले हैं।