बाड़मेर के एक वरिष्ठ पत्रकार ने बाड़मेर एसपी मनीष अग्रवाल, एएसआई पन्नाराम, कॉस्टेबल प्रेमाराम, कॉस्टेबल भूपतसिंह, कांस्टेबल महेश व दो अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ अपहरण करने का आरोप लगाते हुए शहर के कोतवाली थाने में लिखित शिकायत दी है।
पुलिस कर्मियों ने पुलिस अधीक्षक के इशारे पर एक प्रतिष्ठित पत्रकार को सार्वजनिक स्थान से धक्का-मुक्की कर अपहरण कर लिया। इससे पूर्व भी बाड़मेर एसपी मनीष अग्रवाल ने पटना से व्हाट्सएप पर मिले एक वारंट के आधार पर बाड़मेर के वरिष्ठ पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को गिरफ्तार कर पटना भेज दिया था। वहीं बाड़मेर के पप्पू बृजवाल को भी बाड़मेर पुलिस ने निशाना बनाया था। इन सभी मामलों को लेकर पत्रकारों में रोष है और मामलों में उच्च स्तरीय जांच कर निलंबन की मांग की है।
मामले में बाड़मेर के वरिष्ठ पत्रकार प्रेम दान देथा परिवादी है। इन्होंने शहर कोतवाल को परिवार सौंपते हुए बताया कि दिनांक 2 नवंबर को शाम के करीब 4:00 बजे मैं कलेक्ट्रेट के सामने पंचायत समिति बाड़मेर परिसर में स्थित एक चाय की दुकान पर चाय पी रहा था। इस दौरान पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल के निर्देश पर एएसआई पन्नाराम व 5 अन्य पुलिसकर्मी सादे कपड़े में आए और मेरा मोबाइल छीनकर मुझे जबरदस्ती पकड़कर धक्का-मुक्की कर अपहरण करने की नीयत से बिना नंबरी कार में जबरदस्ती डालकर गैरकानूनी रूप से अगवा कर सदर थाने ले गए। वहां मुझे करीब 1 घंटा गैर कानूनी रूप से हिरासत में भी रखा।
उन्होंने बताया कि मैंने वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा के संबंध में पेपर लीक होने की एक खबर चलाई थी, जिसके चलते बाड़मेर पुलिस ने मुझे इस तरह अगवा किया और सोर्स बताने पर दबाव भी डाला। मोबाइल लूटने का भी कृत्य किया। उन्होंने कहा कि पुलिस व बाड़मेर प्रशासन ने अपनी नाकामयाबी व नकल गिरोह का कोई सोर्स ना मिलने पर अनुशासनहीनतापूर्वक कार्यवाही को अंजाम दिया।
इससे पूर्व भी बाड़मेर पुलिस की कार्यशैली पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। लेकिन, उच्चाधिकारियों ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की। इसका खामियाजा एक बार फिर एक पत्रकार को भुगतना पड़ा। शहर कोतवाल हरीश राठौड़ का कहना है कि जिन लोगों के खिलाफ परिवाद दिया गया है, वो ले लिया गया है। जिसकी जांच एएसआई लूणारम को सौंपी गई है। जांच के बाद कुछ स्पष्ट हो पाएगा।
बाड़मेर से अशोक दईया की रिपोर्ट.
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