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दिल्ली

महिला शिक्षिका ने गाने की फरमाइश क्या की, बुरी तरह भड़क गया मनोज तिवारी

Ashwini Sharma : आप सांसद हैं. कम से कम अपने पद की गरिमा का तो ख्याल रखिए.. अरे वो शिक्षिका थीं.. आपसे गाने की फरमाइश ही तो कर रही थीं.. आप तो बुरी तरह भड़क गए.. शिक्षिका को भला बुरा सुनाकर मंच से ही उतार दिया.. आप भले मेरे 22 साल पुराने कॉलेज के दिनों के साथी हैं.. भले हम आपसे बहुत स्नेह करते हैं लेकिन आपके ताजा बर्ताव से बेहद आहत हैं.. अनुरोध है भाई थोड़ा संयमित होकर आपना कार्य करें ताकि जनता का दिल जीत सकें…

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Ashwini Sharma : आप सांसद हैं. कम से कम अपने पद की गरिमा का तो ख्याल रखिए.. अरे वो शिक्षिका थीं.. आपसे गाने की फरमाइश ही तो कर रही थीं.. आप तो बुरी तरह भड़क गए.. शिक्षिका को भला बुरा सुनाकर मंच से ही उतार दिया.. आप भले मेरे 22 साल पुराने कॉलेज के दिनों के साथी हैं.. भले हम आपसे बहुत स्नेह करते हैं लेकिन आपके ताजा बर्ताव से बेहद आहत हैं.. अनुरोध है भाई थोड़ा संयमित होकर आपना कार्य करें ताकि जनता का दिल जीत सकें…

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अरविन्द शर्मा : माननीय सांसद मनोज तिवारी जी को एक शिक्षिका का इस तरह अपमान नहीं करना चाहिए था। अगर उन्हें गाने में तकलीफ थी तो विनम्रता से मना भी कर सकते थे। जबकि विडम्बना तो यह भी है कि गायन और अभिनय उनकी पहचान है, उसकी बदौलत ही वे आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं लेकिन उन्होंने अपने व्यवहार से न केवल एक शिक्षिका, एक महिला बल्कि अपने पेशे के साथ भी अन्याय किया है।

और, जब वह यह कहते हैं कि आपको ‘एक सांसद’ से बोलने की तमीज नहीं है तब लगता है कि हम कहीं नहीं पहुंचे जबकि देश का मुखिया खुद को प्रधान सेवक और चौकीदार कहता है वहीँ ये ‘एक सांसद’ वाला दम्भ बेहद अखरता है। आखिर क्या होता है एक सांसद होना। आप कहाँ से आते हैं, संघ लोक सेवा का कौन सा इम्तिहान देते हैं जो एक सांसद बन जाते हैं! आखिर यही श्रेष्ठता का बोध ही तो है जो सामन्तवाद को ऑक्सीजन देता है।

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यूँ तो बात बेशक आई गई हो जायेगी लेकिन सार्वजनिक मंच पर आपने न जाने अपने किन संस्कारों का परिचय दिया है। मोदी जी कह रहे हैं कि हम फलदार हो गए हैं हम झुक जाना चाहिए और माननीय सांसद महोदय हैं कि एक सांसद हो जाने के हासिल को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं।

पत्रकार अश्विनी शर्मा और अरविंद शर्मा की एफबी वॉल से.

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