Connect with us

Hi, what are you looking for?

दिल्ली

केजरीवाल जी, नई राजनीति करने की बात करते हुए सत्ता में आए थे इसलिए आप तो मिसाल कायम कीजिए

Amitabh Thakur : क्या दिल्ली के पूर्व परिवहन मंत्री गोपाल राय ‘सत्ता भ्रष्ट करती है और पूर्ण सत्ता पूरी तरह भ्रष्ट करती है” के एक और उदहारण हैं या अभी अंतिम टिप्पणी देना जल्दीबाज़ी होगी? इस मामले में सच्चाई का सामने आना नितांत आवश्यक है, अतः मैं एसीबी दिल्ली से जाँच के बाद रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग करता हूँ.

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>Amitabh Thakur : क्या दिल्ली के पूर्व परिवहन मंत्री गोपाल राय 'सत्ता भ्रष्ट करती है और पूर्ण सत्ता पूरी तरह भ्रष्ट करती है" के एक और उदहारण हैं या अभी अंतिम टिप्पणी देना जल्दीबाज़ी होगी? इस मामले में सच्चाई का सामने आना नितांत आवश्यक है, अतः मैं एसीबी दिल्ली से जाँच के बाद रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग करता हूँ.</p>

Amitabh Thakur : क्या दिल्ली के पूर्व परिवहन मंत्री गोपाल राय ‘सत्ता भ्रष्ट करती है और पूर्ण सत्ता पूरी तरह भ्रष्ट करती है” के एक और उदहारण हैं या अभी अंतिम टिप्पणी देना जल्दीबाज़ी होगी? इस मामले में सच्चाई का सामने आना नितांत आवश्यक है, अतः मैं एसीबी दिल्ली से जाँच के बाद रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग करता हूँ.

Advertisement. Scroll to continue reading.

Mukesh Kumar : केजरीवाल जी माना कि कई राज्यों में संसदीय सचिव बनाए गए हैं और वे पार्टियाँ भी ये कर चुकी हैं और कर रही हैं जिन्होंने आप पर बंदूकें तानी हुई हैं। मगर दूसरे के पाप गिनाकर आप अपने पाप नहीं धो सकते। ये सच तो मानना ही होगा कि संसदीय सचिव आपने अपने विधायकों को खुश करने के लिए बनाए थे और अड़ंगा न लगा होता तो उन्हें सुविधाएं भी दी ही जातीं। अगर आप विपक्ष में होते तो निश्चय ही कई आधारों पर इसका विरोध भी करते। अब चूँकि आप फँस गए हैं इसलिए तमाम तरह के कुतर्क दे रहे हैं। केंद्र सरकार की मंशा से तो सब वाकिफ़ हैं। उसका आचरण इतना जगज़ाहिर है कि उस पर कोई टिप्पणी करना ही बेकार है। मगर आप तो नई राजनीति करने की बात करते हुए सत्ता में आए थे, आप तो मिसाल कायम कीजिए। लीजिए इक्कीस विधायकों के इस्तीफ़े और कराइए फिर से चुनाव। इसमें तो आपकी सरकार गिरने का जोखिम भी नहीं है।

Nadim S. Akhter : अन्ना हजारे के तथाकथित आंदोलन के बाद सत्ता पाए अरविंद केजरीवाल ने जितना आम आदमी के साथ धोखा-छल-फरेब किया है और जिस कदर आधुनिक भारत में लोकतंत्र की रूह का गला घोंटा है, उसने तो जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रांति के बाद केंन्द्र की सत्ता पर काबिज तत्कालीन नेताओं को भी पीछे छोड़ दिया है. सच में अरविंद केजरीवाल नाम के इस आदमी ने मक्कारी और बेशर्मी में पुराने घाघ नेताओं को भी पीछे छोड़ दिया है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

“ना बंगला लूंगा और ना गाड़ी लूंगा जी, मुझे चाहिए पूर्ण स्वराज और लोकपाल बिल जी ” जैसी बातें करने वाले अरविंद सत्ता पाने के बाद ऐसे गिरगिट की तरह बदले कि अब अपने विधायकों को -संसदीय सचिव- का पद और लाभ देने के लिए गालथेथरी और लोकलाज की सारी सीमाएं पार कर चुके हैं. भ्रष्टाचार से लड़ाई और राजनीति मे शुचिता की बात करने वाले इन लोगों की दिल्ली सरकार के कई मंत्री भ्रष्टाचार-फर्जीवाड़े में पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं.

अब ताजी बारी अरविंद के खासमखास परिवहन मंत्री गोपाल राय की है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने एक निजी बस कंपनी को नाजायज फायदा पहुंचाया और गोपाल राय ने खराब सेहत का हवाला देते हुए इस्तीफा परिवहन मंत्री पद से तो इस्तीफा दे दिया लेकिन बाकी के सारे मंत्रालय अब भी अपने पास रखे हुए हैं. सच पूछिए तो अरविंद केजरीवाल एंड कम्पनी ने जनता से बड़ी-बड़ी बातें करके उसे मूर्ख बनाया. उन्हें पता है कि आगे उनकी सरकार नहीं रहेगी, सो जितना माल कूटना है, कूट डालो. इसके बाद भी अगले चुनाव में कुछ सीटें मिल गईं तो बल्ले-बल्ले.

Advertisement. Scroll to continue reading.

और हां, अरविंद का साथ देने आए मीडिया के एक पूर्व सम्पादक यानी गुप्ता जी की जाति का देश को कभी पता नहीं लगा, पत्रकार होने के बावजूद मुझे भी नहीं था और जानने की कोशिश भी किसी ने नहीं की होगी. लेकिन ये महोदय जैसे ही अरविंद केजरीवाल की पार्टी में गए तो दुनिया को पता चल गया कि इनका पूरा नाम -आशुतोष गुप्ता- है यानि जाति से ये बनिए हैं और अरविंद केजरीवाल भी जाति से बनिए हैं.

तो मितरों, पार्टी-पक्ष से दूर रहने की बात करने वाले इन तथाकथित आंदोलनकारी लोगों ने भारतीय राजनीति का स्तर और गिराया है और इनका सबसे बड़ा पाप है कि इन्होंने जनता के विश्वास के साथ धोखा किया है. वैसे इस पूरे अखाड़े में अरविंद के चाणक्य यानी अन्ना हजारे रालेगन सिद्धि में मौज ले रहे हैं. मीडिया भी उनसे कुछ नहीं पूछ रहा है. जेहन में सवाल उठ रहा है कि अपना मुंह बंद रखने के लिए अन्ना हजारे को कितना चढ़ावा मिला होगा?

Advertisement. Scroll to continue reading.

याद है ना, पार्टी-पक्ष से दूर रहने की बात करने वाले अन्ना का पतन, जब उन्होंने ममता बनर्जी के लिए एक टीवी ऐड किया था—कहा सबने पर किया सिर्फ ममता ने— और फिर रामलीला मैदान में भीड़ ना जुटने पर अन्ना ने ममता को ऐसा धोखा दिया कि दीदी भी एक मिनट के लिए सोच में पड़ गई कि राजनीति वो जानती हैं या फिर ये अन्ना हजारे?

अमिताभ ठाकुर, मुकेश कुमार और नदीम एस. अख्तर के फेसबुक वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement