दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की लोकप्रियता दिनों दिन घट रही है जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर भी उनकी जबरजस्त खिंचाई हो रही है। आज तो ट्विटर पर #DelhiRejectsKejriwal टॉप पर ट्रेंड कर रहा है। हाल ही में इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट ने संयुक्त रूप से एक सर्वे किया था जिसमें सामने आया था कि दिल्ली में दो तिहाई लोग केजरीवाल को अपना मुख्यमंत्री मानते ही नहीं हैं। केवल 33 फ़ीसदी लोग ही केजरीवाल को अपना मुख्यमंत्री मानते हैं। 2015 में यह आंकड़ा 53 फ़ीसदी था लेकिन जैसे जैसे केजरीवाल ने दिल्ली को छोड़कर अपना ध्यान दूसरे राज्यों की तरफ करना शुरू किया है दिल्ली में उनकी लोकप्रियता भी घटनी शुरू हुई है। दिल्ली के ऑटो वालों का तो पूरी तरह से केजरीवाल से मोह भंग हो चुका है।
केजरीवाल ने केवल एक राजनीति करनी शुरू की है और वह है आरोपों की राजनीति। उनके पास 10 मोहल्ला क्लिनिक और दो पुल के अलावा दिखाने के लिए कोई काम नहीं है इसलिए काम ना करने का इल्जाम मोदी सरकार पर लगा देते हैं। केजरीवाल दिल्ली वालों के दिमाग में यह भरना चाहते हैं कि मोदी जी उन्हें काम नहीं करने दे रहे हैं लेकिन दिल्ली वाले अच्छी तरह समझ रहे हैं कि केजरीवाल के पास विकास के लिए हर वर्ष 40 हजार करोड़ रुपये आते हैं। इतने पैसों से केजरीवाल कोई भी काम करवा सकते हैं और उन्हें रोकने वाला भी कोई नहीं है।
40 हजार करोड़ रुपये में केजरीवाल चाहे सड़कें बनवाएं, चाहे स्कूल-कॉलेज या अस्पताल बनवाएं, चाहे पार्क बनवाएं, चाहे बिजली के लिए पॉवर प्लांट बनवाएं, चाहे कच्ची कालोनियों को पक्की करें, चाहे डेढ़ लाख कैमरे लगवाएं या चाहें तो फ्री वाई फाई दें। ये सब काम करवाने के लिए केजरीवाल को कोई नहीं रोकेगा लेकिन केजरीवाल काम करने के बजाय काम ना करने देने का इल्जाम मोदी पर लगा देते हैं। केजरीवाल जब मोहल्ला क्लीनिक बनवाते हैं तो उन्हें कोई नहीं रोकता। उन्होंने जब दो पुल बनवाये तो भी किसी ने नहीं रोका। केजरीवाल अगर रोड बनवाएं तो भी कोई नहीं रोकेगा। केजरीवाल स्कूल-अस्पताल या कोई अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर बनवाएं तो भी नहीं रोकेगा। लेकिन केजरीवाल का ध्यान इस वक्त दिल्ली के बजाय पंजाब, गुजरात और गोवा पर है इसलिए दिल्ली का विकास रुका हुआ है। केवल मोहल्ला क्लिनिक बनाने और उसका प्रचार करने के अलावा उनके पास कोई काम नहीं है इसलिए दिल्ली वालों ने उन्हें रिजेक्ट करना शुरू कर दिया है।