तंज़ीम उलामा ए इस्लाम का अमित शाह के ख़िलाफ़ ज़ोरदार प्रदर्शन… सूफ़ी समुदाय को अपने पाले में लाने की बीजेपी की कोशिश को झटका… मोदी-शाह की जोड़ी को लेकर तंज़ीम ने फिर समुदाय को आगाह किया… उत्तर प्रदेश चुनाव में सूफ़ीवाद के झांसे से फ़ायदा उठाने की आशंका जताई…
नई दिल्ली, 18 मार्च। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के ख़िलाफ़ भारत के दस सूफ़ी संगठनों के कामयाब प्रदर्शन के बाद यह बहस फिर तेज़ हो गई है कि सूफ़ी समुदाय को साथ लाने की भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोशिशों कितनी कामयाब हो पाएंगीं। दिल्ली की 50 मस्जिदों के बाहर शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद सूफ़ी समुदाय के लोगों ने अमित शाह के ख़िलाफ़ ज़ोरदार प्रदर्शन करते हुए उनसे फिर माफ़ी की माँग को दोहराया।
यह भी कहा गया कि अमित शाह अगर माफ़ी नहीं माँगते हैं तो लखनऊ और दिल्ली में सूफ़ी समुदाय के लोग विशाल प्रदर्शन आयोजित कर समाज को इस बात से अवगत करवाएंगे कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने महान् सूफ़ी संत हज़रत सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मियाँ की शान में कितने घटिया शब्दों का प्रयोग किया है। आपको बता दें कि क़रीब एक माह पहले बहराइच में एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने सूफ़ी संत सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मियाँ के लिए बेहद आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए उन्हें चरित्रहीन ठहराने की कोशिश की थी।
सूफ़ियों का विशाल प्रदर्शन
दिल्ली में सबसे बड़ा प्रदर्शन शास्त्री पार्क की क़ादरी मस्जिद के बाहर हुआ जिसमें क़रीब 5 हज़ार सू़फ़ी मत के लोग शरीक़ हुए। जुमे की नमाज़ के बाद हुए प्रदर्शन के बाद लोगों को तंज़ीम उलामा ए इस्लाम के राष्ट्रीय सदर मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी ने संबोधित करते हुए कहाकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हज़रत ग़ाज़ी मियाँ के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया है उसे सूफ़ी समुदाय स्वीकार नहीं करेगा। एक तरफ़ प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी सूफ़ी संतों के सम्मान और इस्लाम में सूफ़ी मत की धारा के सम्मान का दावा करते हैं वहीं दूसरी तरफ उनके चहेते अमित शाह सूफ़ी संतों का अपमान करने की घटिया करतूत पर उतर आए हैं। मुफ़्ती अशफ़ाक़ ने कहाकि दोनों में से कोई एक तो झूठा है और अगर दोनों अपनी विचारधारा पर क़ायम हैं तो यह भी साबित होता है कि अमित शाह की नज़र में नरेन्द्र मोदी के विचारों की कोई अहमियत नहीं।
कई संगठनों ने दिया साथ
तंज़ीम उलामा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी ने कहाकि अमित शाह के बयान के ख़िलाफ़ इस प्रदर्शन में देश के अग्रणी सूफ़ी संगठनों ने हिस्सा लिया। जुमे की नमाज़ के बाद नियोजित प्रदर्शन में तंज़ीम उलामा-ए-इस्लाम की अगुवाई में सय्यद बाबर अशरफ की सदा-ए-सूफ़िया-ए-हिन्द, जमीअत अलमंसूर, अंजुमन गुलशन-ए-तैबा, मुहम्मदी यूथ ब्रिगेड, सुल्तानुल हिन्द फ़ाउंडेशन, रज़ा एक्शन कमेटी समेत कई सूफ़ी संगठन साथ आए। इसके अलावा मदरसों में मदरसा ग़ौसुस सक़लैन, न्यू सीलमपुर भी प्रदर्शन में शरीक हुआ। दिल्ली के शास्त्री पार्क की क़ादरी मस्जिद के अलावा बुलंद मस्जिद, अमीर हम्ज़ा मस्जिद, गौतमपुरी, फ़ारूक़-ए-आज़म, गाँधी नगर, रज़ा मस्जिद, शास्त्री पार्क, अता-ए-रसूल मस्जिद, खजूरी और ग़ौसिया मस्जिद मज़ार वाली के बाहर अमित शाह के विरुद्ध ज़ोरदार प्रदर्शन की ख़बर है।
मोदी-शाह की जोड़ी फेल
मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी ने एक दिन पहले दिल्ली में एक सूफ़ी सम्मेलन में नरेन्द्र मोदी के बयान का हवाला देते हुए कहाकि नरेन्द्र मोदीजी सूफ़ीवाद की प्रशंसा करते हैं यह अच्छी बात है लेकिन काश अपने सबसे क़रीबी अमित शाह को ही वह सिखा पाते कि सूफ़ी संतों के मज़ार पर जाकर किस भाषा का प्रयोग करना चाहिए। यदि वाक़ई नरेन्द्र मोदी के दिल में सूफ़ीवाद के प्रति सम्मान है तो उन्हें स्वयं अमित शाह के साथ देश और महान् सूफ़ी संत सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मियाँ से माफ़ी माँगनी चाहिए।
लोगों में अमित शाह के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा
प्रदर्शन में आए कई लोगों ने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के बयान पर बेहद नाराज़गी जताते हुए कहाकि वह नहीं जानते कि सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मियाँ का भारत के सूफ़ी इतिहास में क्या दर्जा है। यदि अमित शाह को थोड़ी भी शर्म है तो उन्हें भारत के 25 करोड़ मुसलमानों से माफ़ी माँगनी चाहिए और यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो लखनऊ में विशाल प्रदर्शन कर अमित शाह के शर्मनाक बयान का जवाब दिया जाएगा। आम लोगों ने इस संवाददाता को बताया कि अमित शाह ने सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मियाँ के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया है इससे आम सूफ़ी और मुसलमान ही नहीं बल्कि उनमें श्रद्धा रखने वाले करोड़ों दलित और पिछड़ी जातियों के हिन्दुओं की भावनाओं को भी उन्होंने ठेस पहुँचाई है।
नारों से गूँजा आसमान
प्रदर्शन के दौरान हज़ारों लोगों ने अपने हाथों में बैनर ले रखे थे और वह लगातार नारे लगा रहे थे। प्रदर्शनकारी कह रहे थे कि भारत को नहीं झुकने देंगे और साम्प्रदायिक ताक़तों के आगे नहीं झुकेंगे। दिल्ली की क़रीब 100 मस्जिदों के बाहर लगने वाले नारों में यह सुनाई दिए।
सूफ़ी संतों का अपमान
नहीं सहेगा हिन्दुस्तान
अमित शाह माफ़ी माँगो
सूफ़ी देश की शान हैं
माफ़ी माँगो, माफ़ी माँगो
भाजपा साम्प्रदायिकता की दुकान है
अमित शाह का घटिया बयान
ग़ाज़ी बाबा की शान सलामत
सूफ़ी मत का है अपमान
सूफ़ी संतों की आन सलामत
फ़िरक़ापरस्ती की राजनीति
हिन्दू-मुस्लिम हैं दोनों भाई
नहीं चलेगी, नहीं चलेगी
अमित शाह चाहे लड़ाई
ग़ाज़ी बाबा की देखो शान
हिन्दू मुस्लिम दोनों क़ुरबान
प्रमुख लोगों के बयान
मौलाना इस्लाम रिज़वी, तंज़ीम अध्यक्ष दिल्ली – अमित शाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इस्लामोफोबिया फ़ैक्ट्री का प्रोडक्ट हैं। वह इस्लाम के अपमान में ख़ुशी महसूस करते हैं। इसका जवाब उत्तर प्रदेश चुनाव में दिया जाएगा।
मौलाना शाकिरुल क़ादरी तंज़ीम सचिव दिल्ली- अमित शाह ने भारत के संविधान की धज्जियाँ उड़ाई हैं। यह सूफ़ियों का नहीं बल्कि संविधान का भी अपमान है।
क़ारी सग़ीर रिज़वी कार्यालय सचिव- जब तक अमित शाह सूफ़ी समुदाय से माफ़ी नहीं माँगते, उनके और पार्टी के ख़िलाफ़ क्रमवार प्रदर्शन होते रहेंगे।
सैयद जावेद नक़्शबंदी, दरबारे अहले सुन्नत दिल्ली- शायद भारतीय जनता पार्टी नहीं जानती कि अमित शाह के इस घटिया बयान के बाद भारत के मुसलमान कितने ग़ुस्से में हैं। चंद सूफ़ी लोगों के साथ आ जाने से प्रधानमंत्री को यह नहीं समझना चाहिए कि उन्होंने सूफ़ी समुदाय को तोड़ लिया है।
मौलाना सख़ी राठौड़, सचिव जम्मू कश्मीर- भारत में सूफ़ी और सनातन भक्ति आंदोलन आपस में गुँथे हुए हैं। अमित शाह में अगर भक्ति का रेशा मात्र भी भाव होता तो वह सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मियाँ के लिए इन शब्दों का प्रयोग नहीं करते।
क़ारी रफ़ीक़, इमाम बुलंद मस्जिद- जब तक अमित शाह अपने घटिया बयान के लिए माफ़ी नहीं माँगेगे, हम यह संदेश आम करते रहेंगे कि भारतीय जनता पार्टी ने सूफ़ी समुदाय के प्रति नफ़रत की मुहिम चला रखी है।
मुहम्मद अज़ीम, मुहम्मदी यूथ ब्रिगेड- भारत का मुस्लिम युवा भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के बयान से बिफरे हुए हैं। वह यह ना समझें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ सूफ़ियों के साथ भोजन कर लिया है तो समुदाय का सौदा हो गया है।
हाजी समीर, जमीअत अलमंसूर- दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ही क्या कांग्रेस की जो गत देख रहे हैं यह सूफ़ियों ने ही की है। अमित शाह की सारी होशियारी उत्तर प्रदेश चुनाव में निकल जाएगी जब पार्टी को 10 सीटों के भी लाले पड़ जाएंगे।
मुफ़्ती इक़बाल, रज़ा मस्जिद, जाफ़राबाद- दिल्ली के लोगों में अमित शाह के प्रति नफ़रत का भाव है। वह समझते हैं कि गुजरात में ध्रुवीकरण का पिटा हुआ फ़ॉर्मूला लेकर वह आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जिता लेंगे, मगर उन्हें दिल्ली और बिहार के चुनाव नहीं भूलने चाहिएँ।
असरारुल हक़, फ़ारूक़े आज़म मस्जिद, गाँधीनगर- हम यह संदेश हर मस्जिद तक पहुँचाएंगे कि किस प्रकार अमित शाह ने भारत के अग्रणी सूफ़ी संत का अपमान किया है। यह मामूली बात नहीं कि हर कोई हज़रत सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मियाँ के लिए बकवास करे और चला जाए।
मौलाना शाबान, मदरसा इस्लाम- दिल्ली के मदरसों के बच्चों में बीजेपी के नेता के बयान के प्रति बेहद क्षोभ का भाव है। अमित शाह को माफ़ी माँगनी चाहिए।
सूफ़ी अशफ़ाक़, सुल्तानुल हिन्द फ़ाउंडेशन- देश में अमित शाह के ख़िलाफ़ माहौल बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सूफ़ीवाद को प्रश्रय की विचारधारा के ख़िलाफ़ अमित शाह नया राग अलाप रहे हैं। दोनों में कोई एक तो झूठा है।
मौलाना ग़ुलाम मुहम्मद, मस्जिद अता ए रसूल खजूरी- देश में सूफ़ी समुदाय मुसलमानों की आबादी का 80% या उससे अधिक है। अमित शाह को अगले सभी चुनावों में उनकी बकवास का जवाब दे दिया जाएगा।
रफ़ीक़ अहमद, रज़ा एक्शन कमेटी- अमित शाह एक पिटे हुए राजनेता हैं जिनका गुजरात के अलावा कहीं दिमाग़ नहीं चलता। उन्हें साम्प्रदायिक राजनीति का चैम्पियन बनने का शौक़ है।
क़ारी अब्दुल वाहिद मदरसा ग़ौसुस सक़लैन- भारत के मुसलमान ग़ौसे आज़म के चाहने वाले हैं और सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मियाँ ग़ौस पाक के बहुत बड़े चाहने वाले थे। अमित शाह ने पूरी सूफ़ीवाद की परम्परा को गाली दी है।
मौलाना मुहम्मद आलिम, ब्रह्मपुरी- कितने दुर्भाग्य की बात है कि अमित शाह को भारत के इतिहास से शिकायत है, वह इतिहास जो उन्होंने पढ़ा ही नहीं। काश वह पढ़ लेते तो सैयद सालार मियाँ की इज़्ज़त करते।
क़ारी फ़िरदौस, मदरसा गुलशने बरकात- मैं अमित शाह के इस स्तरहीन बयान के बाद इस बात का दुख प्रकट करता हूँ कि आने वाले सभी चुनाव भारतीय जनता पार्टी बुरी तरह हारने जा रही है।
मौलाना तस्लीम- उलेमा में यह चर्चा है कि बीजेपी नेता अमित शाह ने इस्लामोफोबिया के मरीज़ों को तो खुराक दे दी लेकिन काश वह पार्टी का आने वाले चुनावों में भविष्य भी देख पाते जिसे सूफ़ी समुदाय धूल चटाने जा रहा है।