Yashwant Singh : कृपया कोई दिल्ला वाला आपाई विशेषज्ञ मेरी इस भड़ास का जवाब दे…
मेरी मारुति अल्टो कार छह सात साल पुरानी है… इसके अलावा मेरे पास कोई दूसरी कार या बाइक या साइकिल नहीं है… मेरी कार का आखिरी अंक 7 पड़ता है. परसों दो तारीख को सिनेमा जाने का प्लान है.. फिर घूमने का… तो क्या मैं परसों बच्चों को कार पर बिठाकर सिनेमा दिखाकर उसके बाद इंडिया गेट घुमाने ले जा सकता हूं… या कार को घर पर धो पोंछकर रखें और हम चार पांच जच्चा बच्चा युक्त सकल परिवार मम पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ठुंसियाने को मजबूर होवें?
हालांकि ये सब लिखते पूछते हुए दिल कचोट रहा है कि साले केजरिया सिसोदिया ये सब के सब पूरा गैंग अपने अपने कार में या अपने धनपशु चेलों की कार से सवारी करेंगे … बेटा बौड़मनाथ.. ज्यादा कुछ करने के चक्कर में अपने ही पिछवाड़े फच्चर मार रहे हो… चिरकुटानंद, तुम ये सम विषम करके हम जैसे गरीबों को ही पैदल कर दिए.. धनपशुए साले तो दूसरी कार खरीद लेंगे…
ऐसा कोई बता रहा था कि कार लॉबी से अच्छा खासा माल लेकर यह केजरिया सम विषम का नाटक फैला रहा है.. प्रदूषण व्रदूषण तो वैसे ही दिखावा है जैसे विकास के नाम पर लंबा माल नेता लोग पेलते हैं…
अबे प्रदूषण भगाना था तो पूरी दिल्ली वालों के लिए महीने में चार पांच रोज कार फ्री डे कर देते… कोई एक दिन साइकिल डे कर देते सभी के लिए अनिवार्य… पर ये क्या, गरीब पैदल होगा और अमीर साला बदल बदल कर कार से चलेगा…
जा जा रे केजरिया… नकिए कटवा देहले रे… बड़ा परचार किए रहे तोहार चुनाव और उससे पहले.. लेकिन अब तो भले भजप्पा या कांग्रेस आ जाए… तोहरे हरावे के बा बेटा… तू तो एहसासे करा दिए हम गरीबों को कि हम सब ब्लडी गरीब टाइप लोग भेरी भेरी गरीब हैं क्योंकि हमारे पास सम विषम हिसाब से दिल्ली में दो दो कार खरीदने रखने की औकात नहीं है… हम नदीम भाई के लिक्खे से सहमत हैं, जिसका लिंक नीचे कमेंट बाक्स में दे रहा हूं.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.
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