हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी सभाओं में बड़े गर्व से कहते हैं कि उनकी रगों में स्वतंत्रता सेनानी चौ. रणबीर सिंह का खून है इसलिए वे ईमानदारी से अपनी सरकार चला रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने से पहले एक बार हुड्डा हरिद्वार जाते हुए नदी में डूबते-डूबते बचे थे तब उनके समर्थकों ने उन्हें गंगापुत्र के नाम से नवाज़ा था। मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी सभाओं में भूपेंद्र हुड्डा कहते थे कि नदी में डूबने से बचा हूं और मैने मौत को करीब से देखा है, इंसान के साथ कुछ नहीं जाता, इसलिए मैंने फैसला लिया है कि मैं बिना किसी के दबाव के अपनी आत्मा की आवाज़ पर चलुंगा। लेकिन कथनी और करनी में दिन रात का फर्क वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए उनके सारे काम इसके उलट ही साबित हुए हैं।
अपने को किसान का बेटा कहने वाले हुड्डा ने भूमि अधिग्रहण कानून का कालोनाइजरों को लाभ देने के लिए जमकर दुरूपयोग किया। उनकी सरकार ने किसानो की जमीन अधिग्रहण के लिए उन्हें कई तरह के सब्ज़बाग दिखाते हुए नोटिस जारी किए। जिससे किसानों ने औने-पौने दामों पर जमीने बिल्डरों को बेच दी। एक बार बिल्डरों द्वारा जमीन खरीदने पर वे नोटिस वापिस ले लिए गए। इस तरह बिल्डरों को अरबों रूपयों का लाभ हुआ। इसलिए पिछले वर्ष 15 सितंबर को हुड्डा के जन्मदिन पर गुड़गांव के बिल्डरों ने अंग्रेजी के अख़बारों में हुड्डा को जन्मदिन की बधाई देते हुए पूरे के पूरे पेज के विज्ञापन दिए थे।
हुड्डा के राज में अफसरशाही ने खूब ऐश की। कहते हैं कि यदि जमीन पर स्वर्ग है तो वो कश्मीर है लेकिन अफसरों के लिए तो हरियाणा कश्मीर से भी बढ़कर है। रिटायर होते ही प्रशासनिक अधिकारियों को किसी पद पर लगा दिया। यही नहीं उन्होंने डबवाली में वर्षों पहले हुए अग्निकांड जिसमें चार सौ बच्चे जलकर मर गए थे के चर्चित आईएएस अफसर एमपी बिडलान जो उस समय वहां से भाग खड़े हुए थे को तरक्की देकर हरियाणा लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाया।
हुड्डा ने ईमानदार अफसर अशोक खेमका तथा आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी को जमकर परेशान किया। उनके राज में उनके गृहनगर रोहतक में रोंगटे खड़े कर देने वाला अपना घर कांड हुआ जहां नाबालिग लड़कियों का बलात्कार होता था तथा उनकी फिल्म बनाई जाती थी। कांग्रेस के विधायक भी वहां जाते थे।
हुड्डा ने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ भी भेदभाव किया। पंडित श्रीराम शर्मा जिन्होंने 1922 में झज्जर अंग्रेजी हुकुमत का झंडा उतार कर तिरंगा फहरा दिया था की पुत्रवधु निर्मला के देहांत पर हुड्डा वहां शोक प्रकट करने की बजाय लाहली स्टेडियम में चल रहे क्रिकेट मैच देखते रहे।
उन्होंने दलबदल करवा कर सरकार बनाई। हरियाणा में बंसीलाल ने मुख्यमंत्री रहते तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी को गुड़गांव में मारूती फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन दिलवाई थी। बंसीलाल कहते थे कि जब उन्होंने बछड़े (संजय) को काबू कर रखा था तो गाय (इंदिरा गांधी) कहां जाएगी। उसी नीति पर चलते हुए हुड्डा ने सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा को गुड़गांव में जमीनों के सौदे में मदद की। अब हुड्डा कहते है कि जब दामाद (राबर्ट वाड्रा) हमारे काबू में है तो सास (सोनिया गांधी) कहां जाएगी। हुड्डा राबर्ट वाड्रा का मामला उछलवा कर अपना उल्लू साधते रहते हैं।
मुख्यमंत्री बनने से पहले हुड्डा कहते थे कि मैं छत्तीस बिरादरी का नेता हूं लेकिन बाद में कहने लगे कि मैं जाट पहले हूं सीएम बाद में हूं। हुड्डा के अपने शहर रोहतक में भी किसानों की जमीन अधिग्रहित कर बिल्डरों को दे दी गई।
पवन कुमार बंसल वरिष्ठ पत्रकार और हाल में विमोचित पुस्तक ‘गुस्ताखी माफ हरियाणा’ के लेखक हैं।