नाम है डा. हरिओम. यूपी कैडर के सीनियर आईएएस अधिकारी हैं. पैशन है गायकी, संगीत, सुर, लय और ताल. कई एलबम आ चुके हैं. इनकी लिखी एक ग़ज़ल अभी हाल में ही इन्हीं की आवाज़ में संगीत प्रेमियों के सामने आई है जिसे बेहद पसंद किया जा रहा है.
आईएएस होने के साथ-साथ ग़ज़ल गायक होना थोड़ा अजीब तो लगता है लेकिन इस उलबांसी को साधने का काम किया है डॉ. हरिओम ने. उन्होंने लगभग १० साल पहले जब ये शेर ”मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूं, सिकंदर हूं मगर हारा हुआ हूं” लिखा होगा तो उन्होंने कभी यह न सोचा होगा कि एक दिन यह शेर उन्हीं की आवाज़ में आम जन के सामने होगा. अब हरिओम जहाँ कहीं भी जाते हैं, उनके चाहने वाले उनसे इस ग़ज़ल को ज़रूर सुनना चाहते हैं. इसकी कुछ लाइनें यूं हैं-
मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूं
सिकंदर हूं मगर हारा हुआ हूं
पता मेरा हवा से पूछ लेना
मैं ख़ुशबू बनके आवारा हुआ हूँ
नहीं अब मंज़िलों की चाह मुझको
तेरी गलियों का बंजारा हुआ हूँ
मुरादें माँग ले ऐ दोस्त तू भी
मैं इक टूटा हुआ तारा हुआ हूँ
उडूँगा रोशनी के पंख लेकर
नई दुनिया का हरकारा हुआ हूँ
मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूं
सिकंदर हूं मगर हारा हुआ हूं
इस ग़ज़ल की धुन बनायी मशहूर ग़ज़ल गायक हुसैन बंधुओं ने. हुसैन बंधु ही ग़ज़ल गायकी में हरिओम के उस्ताद भी हैं. हुसैन बंधु भी इस ग़ज़ल को अक्सर मंचों पर गाते हैं. अब ‘सिकंदर’ के नाम से भी बुलाए जाने वाले डॉक्टर हरिओम ने अपने चाहने वालों की पुरज़ोर माँग पर इस ग़ज़ल का नया वर्ज़न तैयार किया है. इस बार ग़ज़ल के शेर भी एकदम नए हैं और संगीत भी. मोक्ष म्यूज़िक ने हरिओम के इस नए म्यूज़िकल नम्बर को करोड़ों लोगों तक पहुँचने का ज़िम्मा लिया है.
हरिओम ग़ज़ल गायक और ग़ज़लकार के साथ-साथ कवि और कहानीकार भी हैं. उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के कटारी गाँव में जन्मे हरिओम की उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से हुई. पीएचडी गढ़वाल विश्वविद्यालय से की. हाल के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक संस्थान (द हेग, नीदरलैंड) से ‘रीथिंकिंग द रोल ऑफ़ इन्फार्मेशन एजुकेशन एंड कम्युनिकेशन इन पार्टिसिपेटरी रूरल सैनिटेशन इन उत्तर प्रदेश : असेसिंग पॉसिबल पॉलिसी लेसंस फ्रॉम बांग्लादेश’ विषयक शोध कार्य यूनीसेफ (उत्तर प्रदेश इकाई) और जर्मन के ग्लोब एडिट प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया और काफी चर्चित हुआ.
दो ग़ज़ल संग्रह ‘धूप का परचम’ और ‘ख़्वाबों की हँसी’, एक कहानी संग्रह ‘अमरीका मेरी जान’ और कविता संग्रह ‘कपास के अगले मौसम में’ प्रकाशित. ‘तितलियों का शोर’ शीर्षक से कहानियों की दूसरी किताब प्रेस में.
हरिओम के अब तक चार म्यूजिक एलबम आ चुके हैं. इंकलाबी शायर फैज़ अहमद फैज़ को समर्पित ‘रंग-पैराहन’ और ‘इंतिसाब’ नाम से एलबम. इसके अलावा ख़ुद की लिखी ग़ज़लों की गायकी का एल्बम ‘रोशनी के पंख’ नाम से उपलब्ध. ‘रंग का दरिया’ नाम से एक एलबम हाल में रिलीज हुआ और चर्चित हो रहा है. कई स्वतंत्र गीतों को भी अपनी आवाज़ दी. श्रेया घोषाल, कैलाश खेर जैसे बड़े बॉलीवुड कलाकारों के साथ मंच साझा किया. गायकी के लिए नीदरलैंड, लन्दन, और दुबई से आमंत्रण.
देश-विदेश मिलाकर अबतक सैकड़ों लाइव म्यूजिक कार्यक्रम कर चुके हैं. अपने साहित्यिक और सांस्कृतिक अवदान के लिए फ़िराक़ सम्मान, राजभाषा अवार्ड और अवध के प्रतिष्ठित तुलसी श्री सम्मान, कविता के लिए 2017 के अंतरराष्ट्रीय वातायन पुरस्कार (लन्दन) से सम्मानित हो चुके हैं. हाल ही में कुवैत हिंदी-उर्दू सोसायटी की तरफ़ से ‘साहित्य श्री’ अवार्ड से सम्मानित किए गए.
१९९७ बैच के UP काडर के आईएएस अधिकारी हरिओम 11 जिलों में ज़िलाधिकारी के पद पर काम करने के साथ ही शासन में कई महत्वपूर्ण विभागों की ज़िम्मेदारी संभाल चुके हैं. भारत निर्वाचन आयोग ने हाल ही में सम्पन्न ज़िम्बाब्वे प्रेज़िडेंट के चुनाव में डॉक्टर हरिओम को अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक के रूप में बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी थी.
अब सुनिए डॉ. हरिओम की आवाज़ में उन्हीं की रचना…. मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूं… सिकंदर हूं मगर हारा हुआ हूं…
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