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झारखंड

लड़ाई जीत गई सोनम, अत्याचारी पति गया जेल

जमशेदपुर (झारखंड) : जादूगोड़ा क्षेत्र निवासी सोनम (बदला हुआ नाम) ने अपने ही पति के अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठा कर नारी सशक्तीकरण की एक मिसाल पेश कर दी है. कभी एक सुखी संसार के सपने संजो कर पति के आँगन में कदम रखने वाली सोनम ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका खुद का पति ही उसे अपनी कमाई का जरिया बना कर वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेल देगा. मगर ऐसा ही हुआ और पति के अत्याचारों को लगातार चार सालों तक सहने के बाद सोनम ने उस जुल्म का विरोध करने की ठानी और अंतत: अपने पति को जेल पहुंचा कर ही दम लिया.

जमशेदपुर (झारखंड) : जादूगोड़ा क्षेत्र निवासी सोनम (बदला हुआ नाम) ने अपने ही पति के अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठा कर नारी सशक्तीकरण की एक मिसाल पेश कर दी है. कभी एक सुखी संसार के सपने संजो कर पति के आँगन में कदम रखने वाली सोनम ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका खुद का पति ही उसे अपनी कमाई का जरिया बना कर वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेल देगा. मगर ऐसा ही हुआ और पति के अत्याचारों को लगातार चार सालों तक सहने के बाद सोनम ने उस जुल्म का विरोध करने की ठानी और अंतत: अपने पति को जेल पहुंचा कर ही दम लिया.

जादूगोड़ा बस्ती निवासी सोनम की शादी 11 अक्तूबर 2006  में जादूगोड़ा रंकिनी मंदिर में चालक सोनू कुमार कालिंदी के साथ हुई थी. शादी के कुछ दिनों तक सब ठीक चलने के बाद अचानक सोनू ने काम पर जाना बंद कर दिया और अपनी पत्नी से मायके से रुपये लाने का दबाव डालने लगा। कई बार में सोनम की विधवा माँ ने सोनू को करीब एक लाख रुपये का भुगतान किया. सोनम दूसरों के घर बर्तन धोने और खाना बनाने का काम करने लगी. 

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वर्ष 2007 में सोनू कालिंदी को जादूगोड़ा में रीचार्ज कूपन की चोरी के केस में जेल जाना पड़ा. बस यहीं से उसके आपराधिक जीवन की शुरुआत हो गयी. करीब दो महीने जेल में रहने के बाद जब सोनू बाहर निकला तो पत्नी के प्रति उसकी सोच पूरी तरह से बदल चुकी थी.

सोनम के अनुसार सोनू ने खुद को अलग अलग पार्टी के नेता के रूप में क्षेत्र में प्रचारित करना और लोगों से पैसे ऐंठना शुरू कर दिया मगर ये धंधा भी ज्यादा दिन नहीं चला। तब उसने जो कमाई के लिए रास्ता निकाला, सोच कर ही किसी भी इंसान की रूह कांप जाये.

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अपनी आपराधिक गतिविधियों के कारण समाज और लोगों के बीच बदनाम हो चुके सोनू ने अपनी ही पत्नी को वेश्यावृति के दलदल में धकेलना चाहा. जब उसने इसका विरोध किया तो इसकी कीमत उसे अपने गर्भ में पल रहे दो बच्चो की बलि देकर चुकानी पड़ी. उसे रोज अलग अलग लोगों के पास भेजा जाता और नहीं जाने पर सोनू उसे कभी चाकू से दागता तो कभी सिगरेट से जला देता.

इस दौरान रांची, पटना, जमशेदपुर समेत कई जगहों पर उसे ले जा कर बेचा गया. पति के जुर्म और रोज रोज बिकने से तंग आकर अंत में सोनम ने इस जुर्म का विरोध करने की ठानी और जादूगोड़ा थाना पहुंची। लिखित शिकायत कर खुद को बचाने की पुलिस से गुहार लगाई. जादूगोड़ा थाने में 13 फरवरी 2015 को सोनू कालिंदी के खिलाफ अपराध संख्या -09/15 के तहत प्रथिमिकी दर्ज हो गयी. इसमें भादवि की धारा 498 (A), 323, 313, 377, 504 के तहत सोनू कालिंदी को आरोपित किया गया.

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दर्ज प्राथमिकी के अनुसार सोनू कालिंदी ने अपनी ही पत्नी की आवाज़ को रिकॉर्ड कर लिया था और अलग अलग लोगों से बाकायदा बात करवा कर उसे ग्राहंकों के पास भेजता था. अपनी पत्नी की ही सीडी बना कर उसे ब्लैकमेल भी करता था.

वर्ष 2014 में जब गर्भवती होने के कारण सोनम ने वेश्यावृत्ति से इनकार कर दिया तो सोनू ने उसे जम कर पीटा। जिसका नतीजा उस महिला को अपना बच्चा खो कर भुगतना पड़ा और लगतार एक हफ्ते तक टाटा मुख्य अस्पताल में उसका इलाज भी चला. मगर घर वापस आने की देर थी कि फिर से वही दौर शुरू हो गया. इस बार सोनम ने उसकी बातों को मानने से इनकार कर दिया और जमशेदपुर में अपनी माँ के घर आ कर रहने लगी। तब एक दिन सोनू उसके मायके आया और उसकी बच्ची को पुनः छीन कर ले गया। तब माँ की ममता ने उसे मजबूर कर दिया और उसने पुलिस के पास जा कर न्याय की गुहार लगाई.

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मगर सोनम की राह इतनी आसान नहीं थी। जादूगोड़ा के कई सफेदपोशों का संरक्षण प्राप्त सोनू केस दर्ज होने के बाद भी आराम से थाने आता–जाता रहा मगर थाना प्रभारी ने उसे गिरफ्तार नहीं किया. इसके बाद लगातार सोनम को फ़ोन पर केस उठाने की धमकियाँ मिलने लगीं. मगर सोनम ने हार नहीं मानी। उसने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का दरवाजा खटखटाया मगर कोई असर नहीं हुआ और उसे धमकियाँ मिलती रहीं। सोनू कालिंदी स्वच्छंद विचरण करता रहा.

अंत में अपर पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र प्रसाद वरनवाल के कड़े निर्देश के बाद इसी सप्ताह 28 मई को पुलिस ने जादूगोड़ा बाज़ार गेट के पास से सोनू को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया। अपनी हिम्मत और दृढ़ संकल्प से अंततः सोनम को सुरक्षा मिल गयी है मगर इस काण्ड में पुलिस का जो रवैया रहा वो वाकई चिंतित करने वाला है. एक तरफ सरकार नारी सुरक्षा को लेकर कई तरह के कार्यक्रम चला रही है वहीं अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली महिला को सुरक्षा देना तो दूर प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी गिरफ्तार करने में पुलिस को तीन महीने लगे, तब जबकि वो हर दिन पुलिस के साथ थाने में बैठ कर समय गुजरता रहा.

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0 Comments

  1. sanu chhatriya

    June 1, 2015 at 1:52 am

    Shaabash Sonam…tum jaisi bahadur aur aanbaaz auraton ki is desh ko zarurat hai.tumhe saara desh salam karta hai.

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