विजय गुप्ता को पुरखों ने संभाल लिया है. अब हमें उसके सपनों और परिवार को संभालना है. इसी संकल्पबद्धता के साथ युवा फिल्ममेकर विजय गुप्ता की याद में आयोजित स्मृति जुटान संपन्न हुआ. सूचना एवं जन संपर्क विभाग, रांची के सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में फोटोग्राफी, फिल्म, कला-साहित्य और उसके परिवार से जुड़े कलाकार, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता और संस्कृतिकर्मी शामिल हुए. इस अवसर पर प्रो. सुशील अंकन ने कहा कि विजय गुप्ता सेल्फलर्निंग प्रोसेस की मिसाल हैं जिन्होंने झारखंड के फोटोग्राफी और सिने कला को आगे ले जाने में महती भूमिका निभाई.
छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ की शची कुमारी ने कहा कि अपने साथी को खो देने का दर्द एक स्त्री से बेहतर कोई नहीं जानता. साथी के नहीं रहने से या तो वह टूट जाती है या और मजबूत होकर उभरती है. मानवाधिकारकर्मी अरविंद अविनाश ने विजय को याद करते हुए कहा कि वे जितने विनम्र और मृदुभाषी थे, झारखंडी अस्मिता के सवाल पर उतने ही प्रतिबद्ध. वरिष्ठ पत्रकार और बहुचर्चित उपन्यासकार विनोद कुमार ने बताया कि विजय जैसे लोग बिरले होते हैं जो अपने व्यक्गित सपने को सार्वजनिक सपना बना देते हैं. उन्होंने ‘सोनचांद’ फिल्म की परिकल्पना कर यह भी साबित किया कि समुदाय के सहयोग से बाजारवाद का मुकाबला किया जा सकता है. टीम सोनचांद के निर्देशक अश्विनी कुमार पंकज ने कहा कि विजय गुप्ता ने आदिवासी संस्कृति को आत्मसात करते हुए झारखंडी कला-संस्कृति के विकास में अभिनव योगदान किया.
स्मृति जुटान की शुरुआत में झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा की महासचिव वंदना टेटे ने विजय गुप्ता के बारे में विस्तार से जानकारी दी और उनकी पत्नी मनोनीत तोपनो से लोगों का परिचय कराया. उन्होंने कहा कि अखड़ा की ओर से विजय गुप्ता के जीवन संघर्ष और फोटाग्राफ पर अगले वर्ष एक पुस्तक का प्रकाशन तथा फोटो प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी. श्रीमती टेटे ने यह भी बताया कि विजय के ड्रीम प्रोजेक्ट फिल्म ‘सोनचांद’ की शूटिंग फरवरी 2015 में होगी और सितंबर तक उसे रिलीज कर दिया जाएगा. अंत में अखड़ा के अध्यक्ष डा. करमचंद्र अहीर ने कहा कि विजय गुप्ता को पुरखों ने संभाल लिया है अब हमें उनके सपनों और परिवार को संभालना है.
इस अवसर पर संत जेवियर कॉलेज के हिंदी प्राध्यापक और कथाकार डा. सुनील भाटिया, आलोचक डा. सावित्री बड़ाइक, चित्रकार शेखर, फिल्मकार रंजीत उरांव, वरिष्ठ साहित्यकार मनरखन किस्कू, युवा संस्कृतिकर्मी अजीत रोशन टेटे, एक्टिविस्ट शेषनाथ वर्णवाल, कृष्णमोहन मुंडा सहित अन्य कई लोग उपस्थित थे. स्मृति सभा बहुत ही सादगी से और बिना किसी आडंबर के आयोजित हुआ. आयोजन स्थल पर विजय गुप्ता द्वारा ली गई झारखंडी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को फोकस करती फोटो प्रदर्शनी भी लगाई गई थी.
कृष्णमोहन मुंडा
प्रवक्ता
झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा