पंजाब और गोवा के बाद आम आदमी पार्टी गुजरात का रुख कर रही है। गत रविवार को अरविन्द केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास, गोपाल राय और कुछ बड़े नेताओं के बीच करीब तीन घंटों तक इस बात को ले कर चर्चा हुई। खबर है कि गुजरात में पार्टी के कैम्पैन की कमान वरिष्ठ पार्टी नेता कुमार विश्वास के हाथ में होगी। रविवार को हुई चर्चा में न सिर्फ गुजरात में पार्टी की जीत की संभावनाओं पर चर्चा हुई, बल्कि बूथ लेवल तक कार्यकर्ताओं को सम्मिलित कैसे किया जाए, इस पर भी बात हुई। गुजरात में इस वर्ष के अंत में चुनाव होने हैं।
आम आदमी पार्टी ने पूर्व में कुछ रैलियों और कार्यकर्ता सम्मलेन के माध्यम से गुजरात में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। उनमे मिले जान-समर्थन को देखते हुए वर्तमान भाजपा सरकार की बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक है। हार्दिक पटेल के आरक्षण आंदोलन और दलित आन्दोलनों के कारण गुजरात भाजपा पहले से ही परेशानी महसूस कर रही है। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के असमय इस्तीफे के कारण भी गुजरात भाजपा में दरार के संकेत मिले हैं।
हालाँकि भाजपा की तरफ से इस नई खबर पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कुमार विश्वास जैसे मज़बूत चेहरे की अगुआई में आम आदमी पार्टी का यह नया दाँव भाजपा के लिए सरदर्द बनने के लिए तैयार है। गुजरात में कुमार विश्वास पहले से ही काफी लोकप्रिय हैं। कवि के रूप में कुमार विश्वास ने गुजरात में सैकड़ों कवि-सम्मेलनों में कविता पाठ किया है और इस कारण भी वो गुजरात में काफी लोकप्रिय हैं।
इसके अलावा कुमार विश्वास को आम आदमी पार्टी का एकमात्र दक्षिणपंथी चेहरा माना जाता है। पंजाब चुनावों के दौरान जहाँ मीडिया कुमार विश्वास को पंजाब में तलाशती रही, वहीं कुमार विश्वास साइलेंट कैम्पैनर बन कर अप्रवासी भारतीयों को एकत्रित करने में लगे रहे। प्रचार के अंतिम सप्ताह में अप्रवासी भारतीयों ने न सिर्फ कॉल कैम्पैन के ज़रिए पंजाब के वोटरों को लुभाया, बल्कि दसियों हज़ार अप्रवासी पंजाब में आ कर प्रचार में सम्मिलित हुए। दूसरी तरफ कुमार स्वयं गोवा में रैलियां करते रहे। पार्टी की तरफ से कुमार अकेले बड़े नेता थे जो गोवा में जमे रहे। पंजाब और गोवा के नतीजों के बाद यह देखना रोचक होगा कि आम आदमी पार्टी की गुजरात रणनीति क्या रंग लाती है। बहरहाल, गुजरात बीजेपी के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी।
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