महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा में विगत एक माह पूर्व 13 मार्च होली के दौरान पीएचडी शोधार्थी संजीव कुमार झा के द्वारा एम. फिल. की शोधार्थी गीता (काल्पनिक नाम) के साथ सार्वजनिक स्थल पर यौन-दुर्वय्वहार किया गया. पीड़िता पिछले एक महीने से न्याय के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के पास शिकायत लेकर जाती रही है. इसकी शिकायत उसने महिला प्रकोष्ठ में भी की, लेकिन आरोपी पर कोई कार्यवाही नहीं की गई.
पीड़िता को प्रशासनिक अधिकारियों ने यह कह कर इधर-उधर दौड़ाया कि यह केस मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है. तरह-तरह से पीडिता को परेशान करने की कोशिश की गई और उस पर यह दबाव भी बनाया गया कि वह अपनी शिकायत को वापस ले ले. वहीँ दूसरी ओर आरोपी द्वारा भी पीड़िता को धमकाया गया लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया. आरोपी अपने साथियों के साथ 17 अप्रैल को प्रशासनिक भवन पर भारी संख्या में पहुंचा और सम्बंधित अधिकारियों से मिल कर जाँच को प्रभावित करने की कोशिश की. आरोपी की इन सब गतिविधियों से परेशान होकर पीडिता ने धरने पर बैठने का निर्णय लिया.
पीडिता 09 बजे रात महिला छात्रावास के सामने धरने पर बैठी और उसका साथ देने के लिए भारी संख्या में विद्यार्थी उसके साथ आए. पीडिता से बात करने के लिए चीफ प्रॉक्टर गोपाल कृष्ण ठाकुर, कुलसचिव कादर नवाज खान, उप-कुलानुशासक चित्रा माली और महिला छात्रावास की वार्डन अवंतिका शुक्ला आईं. पीडिता पक्ष से अभी बात ही हो रही थी कि आरोपी पक्ष भी लगभग 50 छात्रों के साथ महिला छात्रावास आ पहुंचा. यह एक तरह से शक्ति प्रदर्शन के माध्यम से पीडिता को डरा कर धरना प्रदर्शन से उठाने की साजिश थी.
शर्म की बात यह है कि यह सब विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों के सामने हुआ. अधिकारियों ने संजीव झा और उनके साथियों को समझा बुझा कर वापस भेज दिया और पीडिता पर भी दबाव बनाया गया कि वह अपना धरना समाप्त करे और कल ऑफिस आकर बात करे. पीडिता ने यह कहते हुए उठने से मना कर दिया कि वह पिछले एक महीने से ऑफिस में बात कर-कर के परेशान हो चुकी है. अत: सभी अधिकारी वापस चले गए.
पूरी रात पीडिता और साथी, महिला छात्रावास के सामने धरने पर बैठे रहे. ध्यान देने की बात यह है कि आरोपी संजीव कुमार पर पहले भी कई आरोप लग चुके हैं और वह उनमे दोषी भी पाया गया है. लेकिन पहले के मामलों में उसे मामूली चेतावनी देकर छोड़ दिया गया. इस केस में भी आरोपी को प्रशासन द्वारा बचाने की कोशिश की जा रही है. यह इस बात से भी स्पष्ट हो रही है कि अभी तक प्रथम दृष्टया प्रशासन ने आरोपी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की. इन सब को ध्यान में रखकर पीडिता ने मांग रखी है कि आरोपी संजीव कुमार को तत्काल हॉस्टल से एवं विश्वविद्यालय परिसर से निलंबित किया जाये जिससे कि वह पीडिता और गवाहों को प्रभावित न कर सके.
विदित हो कि प्रशासन की आरोपी के प्रति पक्षधरता इस बात से भी उजागर होती है कि जाँच-प्रक्रिया पूरी होने के पहले ही आरोपी छात्र की पीएचडी थीसिस जमा करा ली गई जबकि जाँच-प्रक्रिया के दौरान आरोपी की अकादमिक गतिविधियों पर हर किस्म की रोक लगाने का नियम है. इसलिए पीडिता ने यह भी मांग रखी है कि जब तक मामले की जाँच पूरी न हो, तब तक आरोपी की अकादमिक गतिविधियों को भी निलंबित किया जाये. रात 09.00 बजे से अभी तक सभी छात्र छात्राए अभी तक महिला छात्रावास के बहार धरने पर बैठे रही और अब विश्वविद्यालय के प्रसशानिक भवन में सुबह से बैठे हैं पर उनकी सुनने की जगह कुलपति के द्वारा धमकाया जा रहा है कि तुम सभी के खिलाफ अब अनुशासनहीनता की कार्यवाही की जाएगी क्योंकि आप सभी ने नियमों को तोड़ प्रदर्शन किया तथा रात भर छात्रावास के बहार धरने पर बैठे.
देखना है कि इस सत्य और शील की लड़ाई में किसकी जीत होती है. पूरे देश की मीडिया से छात्र-छात्राओं ने अनुरोध किया है कि महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा की अंदरुनी हालात की खबर लें और सच सबके सामने लाएं ताकि न्याय की लड़ाई लड़ने वालों को मजबूती मिल सके.