मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अखबार मालिकों के दबाव में काम करने वाले महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त की जल्द गिरफ्तारी हो सकती है। उनके खिलाफ 2 करोड़ ४३ लाख रुपये के डेयरी मिल्क घोटाले में एफआईआर दर्ज हुयी थी मगर आज लगभग नौ महीने बाद भी उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। इस पूरे घोटाले का पर्दाफाश किया है मुंबई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट शशिकांत सिंह ने।
आरटीआई से मांगी गयी एक जानकारी में खुद मुंबई पुलिस ने कबूल किया है कि सितंबर २०१६ में हुये मिल्क कापरेटिव घोटाले में महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त यशवंत केरुरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है मगर अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पायी है। पत्रकार शशिकांत सिंह द्वारा आरटीआई के जरिये मांगी गयी एक जानकारी में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के जीसी १ के पुलिस निरीक्षक भिलारे आ.बी. ने १८ फरवरी २०१७ को सहायक पुलिस आयुक्त प्रशासन को लिखे एक पत्र की प्रति उपलब्ध करायी है जिसमें लिखा गया है कि शशिकांत सिंह द्वारा मांगी गयी जानकारी आर्थिक अपराध शाखा के अपराध पंजीकरण क्रमांक ६२/ २०१६ से संबंधित है। इसमें प्रथम रिपोर्ट अपराध दाखिल होने के बाद माननीय ४७ वें न्यायालय मुंबई के सामने प्रस्तुत किया गया है।
इस सूचना में यह भी बताया गया है कि यशवंत केरुरे की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है। यशवंत केरुरे और इस मामले में ९ लोगों के खिलाफ जो आरोप लगाये गये हैं वे एफआईआर की कापी में हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर किसी आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुयी तो उसकी गिरफ्तारी अब तक क्यों नहीं हुयी। इस मामले में श्री शशिकांत सिंह ने साफ कहा है कि वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जायेंगे कि किस तरह एक अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद भी उसकी गिरफ्तारी नहीं होती है। साथ ही वे ये जानने का प्रयास करेंगे कि ऐसा इस देश में कैसे हो सकता है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
९३२२४११३३५