मुंबई के एक भी समाचार पत्र प्रतिष्ठान ने इंडस्ट्रीयल एम्प्लायमेंट (स्टैंडिंग आर्डर) एक्ट १९४६ के तहत टांसफर, टर्मिनेशन, सस्पेंशन के नियम को लेबर विभाग से प्रमाणित नहीं कराया है और बिना आदेश को प्रमाणित कराये ये समाचार पत्र स्टैंडिग आर्डर से बचने के लिये माडल स्टैंडिंग आर्डर का सहारा ले रहे हैं। यह खुलासा हुआ है आरटीआई के जरिये। मुंबई के निर्भीक पत्रकार और आर टी आई एक्टीविस्ट शशिकांत सिंह ने मुंबई के श्रम आयुक्त कार्यालय मुंबई शहर में २५ जुलाई २०१६ को एक आर टी आई डालकर यह जानकारी मांगी थी कि मुंबई के कितने समाचार पत्र प्रतिष्ठानों ने इंडस्ट्रियल एम्प्लायमेंट (स्टैंडिंग आर्डर) एक्ट १९४६ के तहत टांसफर, टर्मिनेशन, सस्पेंशन के नियम और उससे जुड़े आदेश को लेबर विभाग से प्रमाणित कराया है।
इस पर २३ अगस्त २०१६ को भेजे गये पत्र में श्रम आयुक्त कार्यालय मुंबई शहर के जनमाहिती अधिकारी आर पी तोडकर ने जवाव दिया है कि कार्यालय के अभिलेख में आप द्वारा मांगी गयी सूचना का रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। इससे ये साफ हो गया है कि मुंबई के सभी समाचार पत्र स्टैंडिगं आर्डर की जगह माडल स्टैंडिंग आर्डर का सहारा लेरही हैं और इंडस्ट्रीयल एम्प्लायमेंट (स्टैंडिंग आर्डर ) एक्ट १९४६ के तहत टांसफर, टर्मिनेशन, सस्पेंशन के नियम को लेबर विभाग से प्रमाणित नहीं कराया है।
आपको बता दूँ कि जहाँ भी 100 से ज्यादा कर्मचारी रहते हैं वहाँ स्टेंडिंग आर्डर आर्डर बनाकर उसे उसके नियम को प्रमाणित कराना जरुरी रहता है नहीं तो मालिकों के खिलाफ श्रम विभाग खुद या किसी अन्य को इस मामले को श्रम अदालत में ले जाने की अनुमति दे सकता है। स्टैंडिंग आर्डर और माडल स्टैंडिंग आर्डर में क्या फर्क है और दोनो में पत्रकारों के लिये क्या प्लस और माईनस प्वाईंट है इसके बारे में पूरा अध्ययन किया जा रहा है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
मुंबई
९३२२४११३३५