कल्याण (मुंबई) : कल्याण-डोंबिवली महानगर पालिका (कंडोंमपा) स्थानीय बिल्डर मनोज राय के फ़ायदे के लिए वरिष्ठ पत्रकार और लोक सुरभि के संपादक विजय प्रकाश सिंह सहित संकष्टी कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के छब्बीस परिवारों के बेघर करने पर आमादा है। बता दें कि वह इसके पहले हिंदी ब्लिट्ज, जनसत्ता सहित मुंबई से प्रकाशित कई अखबारों में काम कर चुके हैं। कल्याण पूर्व में हाजीमंलग रोड पर चेतना स्कूल के पास स्थित संकष्टी को ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी से महज 100 मीटर की दूरी पर इस बिल्डर की बनायी एक आवासीय इमारत है। कल्याण का बड़ा बिल्डर समझे जाने वाले इस बिल्डर ने संकष्टी और इसके आस-पास की कई आवासीय सोसायटियों की जमीनें उनके मूल मालिकों से अपने नाम करा ली हैं।
संकष्टी कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के अध्यक्ष मनोहर मोटागी बताते हैं कि अब से कोई ढाई-तीन साल पहले इस वार्ड के तत्कालीन नगर सेवक के साथ सांठ-गांठ करके इस भवन निर्माता ने मनपा से एक सार्वजनिक सूचना जारी करायी जिसमें कहा गया था कि संकष्टी और हिमालय आवासीय सोसायटी को संपर्क मार्ग देने के लिए हाजीमलंग रोड से कॉलोनी तक सड़क निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण किया जायेगा। वह कहते हैं कि कितनी हास्यास्पद बात है कि संकष्टी कोऑपरेटिव सोसायटी की इमारत गिराकर उसके आवासियों को संपर्क मार्ग देने का निर्णय कंडोंपा ने लिया था। यह उस समय की बात है जब यह नगर सेवक कडोंपा की स्थायी समिति का सभापति बना था।
स्थानीयों के काफी शोर-शराबा मचाने पर यह नगर सेवक अपने चहेते इसी भवन निर्माता के साथ संबंधित सोसायटियों का मुआइना करने आया और आश्वासन देकर गया कि किसी को भी बेघर करके सड़क नहीं बनेगी। सबका पुनर्वास किया जायेगा। इस सार्वजनिक सूचना के प्रकाशन के बाद विजय प्रकाश सिंह ने लगातार कई दिनों तक संबंधित नगर सेवक के दफ्तर में जाकर उनसे मिलने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे थे।
संकष्टी के महासचिव नेपोलियन शेक्सपीयर कहते हैं कि उसके बाद मामला ठंडा पड़ गया। लेकिन हम संकष्टी को ऑपरेटिव सोसायटी के हम निवासियों के मन में अपने घर की सुरक्षा को लेकर खटका पैदा हो गया और हमने उसके निवारण के लिए कानूनी सहायता लेने का निश्चय किया। अपने इसी निश्चय के तहत हम ने अपनी हित रक्षा के लिए एक वकील की सेवाएं लीं और उन्हें अपनी सोसायटी के कंवेंस डीड और कडोंमपा की विकास योजना का पता लगा कर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी की क्या सचमुच उनकी सोसायटी से होकर सड़क प्रस्तावित है। वकीन ने अपने कंप्यूटर में मौजूद डीपी देखर बताया कि उस भूखंड से कोई सड़क प्रस्तावित नहीं है और आरटीआई के तहत अर्जी देकर मनपा से इसका दस्तावेजी सुबूत लेने का आश्वासन दिया। इस अभिप्राय से उन्होंने कंडोमपा के डी वार्ड के तत्कालीन वार्ड अधिकारी भरत जाधव से, जिनके साथ उनके दोस्ताना संबंध थे, बात की तो उन्होंने कहा कि उस भूखंड से कोई सड़क प्रस्तावित नहीं है और वकील के उसका नक्शा मांगने पर कहा कि कच्ची प्रति वह तुरंत दे सकते हैं लेकिन दस्तखत-मुखर लगी नकल देने में कुछ समय लगेगा।
संकष्टी की प्रबंधन कमेटी के सदस्यों में से एक सिद्धार्थ बेटकर बताते हैं कि उसके बाद टाल-मटोल का सिलसिला शुरू हो गया जून 2016 में उसी डी वार्ड अधिकारी भरत जाधव के हस्ताक्षर से संकष्टी को-ऑपरेटिव सोसायटी के सभी छब्बीस सदस्यों को सूचना जारी होने की तिथि से 15 दिन के भीतर अपने मकान ख़ाली करके गिरा देने या अन्यथा उनके ख़र्चे पर मनपा की तोडू कार्रवाई का सामना करने की धमकी दी गयी। तोड़ू कार्रवाई की धमकी वाली वह नोटिस 15 मई 2015 को जारी की गयी थी लेकिन संकष्टी कोऑरेटिव सोसायटी के आवासियों तक उसे 18 जून 2015 को पहुंचाया गया था। स्पष्ट है कि वार्ड अधिकारी की नीयत में खोट था। वह सूचना अवधि भर की भी मोहलत नहीं देना चाहते थे।
वार्ड अधिकरी ने अपनी उस नोटिस में एक ऐसी सड़क के विस्तार के लिए संकष्टी को-ऑपरेटिव सोसायटी के खिलाफ तोड़ू कार्रवाई की धमकी दी थी जो अस्तित्व में ही नहीं है। उन्होंने अपनी नोटिस में लिखा था कि हाजीमलंग रोड से आमराई, तीसगांव से चिंचपाड़ा जाने वाली मुख्य सड़क को चौड़ा करने के लिए यह कार्रवाई जरूरी है। मजे की बात यह है कि जिस कथित सड़क को चौड़ा करने के लिए संकष्टी हाउसिंग को ऑपरेटिव सोसायटी की पूरी दस गुंठे जमीन खाली करायी जानी थी वह सड़क संकष्टी से बमुश्किल डेढ़ सौ मीटर दक्षिण में हाजीमलंग रोड से मिलती है। लेकिन इस सोसायटी के दक्षिण में स्थित दूसरी सोसायटियों या उस भवन र्निमाता मनोजराय की इमारत के ख़िलाफ़ किसी तरह की कार्रवाई की कोई सूचना नहीं आयी थी। जिस तरह संकष्टी को-ऑपरेटिव सोसायटी के वकील के आरटीआई की अर्जी देने के बाद आनन-फ़ानन में यह नोटिस मनपा के कर्मचारियों के हाथ भेजवाई गयी और उसके अगले ही दिन अदालत से कैवियट लेने की सूचना डाक से भेजी गयी वह साजिश की चुगली करने के लिए पर्याप्त है।
संकष्टी वासियों ने बताया कि वार्ड अधिकारी भरत जाधव की तोडू कार्रवाई की सूचना के जवाब में लिखे संकष्टी को-ऑरेटिव सोसायटी के सदस्यों के पत्र का वार्ड कार्यालय या मनपा मुख्यालय से कभी कोई जवाब नहीं आया। यही नहीं, स्थानीय विधायक गणपतजी गायकवाड़ के मनपा आयुक्त को इस बाबत लिखे सिफारिशी पत्र का भी कोई जवाब नहीं आया। यही नहीं, अपने घर के बचाव की गुहार लगाने स्थानीय विधायक के कार्यालय में गये विजय प्रकाश सिंह के सामने विधायक के छोटे भाई अभिमन्यु गायकवाड़ ने वार्ड अधिकारी भरत जाधव से जब इस नोटिस के बारे में फोन पर जानकारी मांगी तो उन्होंने कहा कि वह नोटिस तो सोसायटी वालों की प्रतिक्रिया जांचने के लिए दी गयी थी।
यही नहीं, अपने घर के बचाव की गुहार लगाने स्थानीय विधायक के कार्यालय में गये विजय प्रकाशजी के सामने विधायक के छोटे भाई अभिमन्यु गायकवाड़ ने वार्ड अधिकारी भरत जाधव से जब इस नोटिस के बारे में फोन पर जानकारी मांगी तो उन्होंने कहा कि वह नोटिस तो सोसायटी वालों की प्रतिक्रिया जांचने के लिए दी गयी थी। दूसरी ओर, स्थानीय नगर सेवक और उनके करीबियों को संकष्टी वालों का गणपतजी गायकवाड़ से संपर्क करना रास नहीं आ रहा था। जानकारी और आवश्यक कार्रवाई के लिए वार्ड अधिकारी को नोटिस में लिखे अपने पत्र की प्रति देने उनके कार्यालय गये संकष्टी के सदस्यों की नगर सेवक से प्रत्यक्ष मुलाकात नहीं हो सकी और वहां मौजूद उनके लोगों ने प्रति को लेने से इनकार कर दिया और कहा कि गायकवाड़ क्या कर लेगें? गांव देवी मंदिर रोड को चौड़ा करने की कार्रवाई से प्रभावित लोगों से भी उन्होंने उनके मकान और दूकान न टूटने देने का उन्होंने वादा किया था लेकिन क्या हुआ? हमने तोड़ दिया और वह कुछ न कर सके।
यहां उल्लेखनीय है कि इसी नगर सेवक के प्रयासों से हाजी मंलग रोड से मनपा ने आमराई तीस गांव चिंचपाड़ा जाने वाली गांवदेवी मंदिर रोड का विस्तारीकरण किया और इसके लिए बहुतों से उनके घर और आजीविका छीन ली लेकिन हैरत की बात यह है कि उस सड़क का विस्तार भी उसी बिल्डर मनोजराय की आवासीय बिल्डिंग के प्रवेशद्वार पर जाकर रुक गया और उससे लगे नाले का पुल और उससे आगे की सड़क के विस्तार की कौन कहे उसकी मरम्मत तक नहीं हुई। इससे स्पष्ट है कि यह सारी कवायद उसी बिल्डर को लाभ पहुंचाने के लिए की गयी थी।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जिस आमराई मुख्य मार्ग के विस्तार के लिए संकष्टी को ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के निवासियों को बेघर करने पर मनपा आमदा है वह बमुश्किल डेढ़-दो सौ मीटर आगे दक्षिण में मिलती है। यही नहीं, वह सड़क भी मुश्किल से 800-900 मीटर तक ही बन सकी है और करोड़ों रुपये की लागत के बाद अदालत के स्थगन आदेश से उसका निर्माण रुका हुआ है और उसके रास्ते की ज़मीन पर इस बीच कई बड़ी इमारतें बन गयी हैं। वह सड़क आगे तभी बन सकती है जबकि बड़े पैमाने पर तोडू कार्रवाई की जायेगी। और संभवतः वह कार्रवाई होगी भी लेकिन तब जबकि बिल्डर उन्हें बेच कर भारी मुनाफ़ा फटकार चुके होंगे और उनके फ्लैट लेने वाले उनकी करनी की कीमत चुकायेंगे। मनपा के ज़िम्मेदार अधिकारी कर्मचारी अपना हिस्सा पाकर यह सारा तमाशा हाथ पर हाथ धरे देख रहे हैं!
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि संकष्टी को ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी लि. के ख़िलाफ़ तोड़ू कार्रवाई करने का नोटिस भेजने वाले वार्ड अधिकारी भारत जाधव की सत्यनिष्ठा संदिग्ध थी और वह इलाके भर में अपने भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात थे। तिसाई केबल का न्यूज चैनेल ‘जनशक्ति’ लगातार उनके ख़िलाफ़ ख़बरें दिखाता रहा था और उनके तबादले की मांग कर रहा था और उसकी इसी मुहिम का नतीज़ा था कि भरत जाधव को यहां से जाना पड़ा।
विजय प्रकाशजी बताते हैं कि अभी संकष्टीवासी भरत जाधव की नोटिस के जवाब में लिखे गए पत्र की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा ही कर रहे थे कि इसी 1 मार्च को डी वार्ड के नये वार्ड अधिकारी शांतिलाल राठोड़ के हस्ताक्षर से सोसायटी लि. के निवासियों को एक दूसरा पत्र भेजा गया है जिसमें कल्याण पूर्व (ड) प्रभाग क्षेत्र में हाजीमलंग रोड से आमराई तीसगांव से चिंचपाड़ा मुख्य सड़क के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए उनकी सहमति मांगी गयी है और इस प्रस्तावित सड़क के आरएल में आ रही जमीन के अधिग्रहण के मुद्दे पर अपने आवश्यक दस्तावेजों के साथ पत्र जारी होने की तिथि से 15 दिन के भीतर वार्ड अधिकारी से मिलने का निर्देश दिया गया है ताकि सड़क के रास्ते में आ रही उनकी ज़मीन का उचित मुआवजा देकर उनकी ज़मीन अधिग्रहीत की जा सके।
भरत जाधव और शांति लाल राठौड़ के पत्रों की मंशा एक ही है अलबत्ता भाषा अलग-अलग है। जहां भरत जाधव संकष्टी को ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी को अवैध निर्माण करार देकर उसे ठहा कर ज़मीन कब्ज़ाने की धमकी दे रहे थे वहीं शांतिलाल जी आवश्यक दस्तावेजों के साथ मिलने और उचित मुआवजे के बदले भूमि अधिग्रहण की सहमति देने का आदेश दे रहे हैं। लेकिन मंशा दोनों की खोटी है क्योंकि राठौड़जी का 20 फरवरी 2016 का पत्र 1 मार्च को संकष्ठीवासियों तक पहुंचाया गया। और दोनों ही पत्रों में संकष्टी वासियों को बेघर करने का उद्देश्य कथित हाजीमलंग मार्ग से आमराई-तीस गांव से चिंचपाड़ा मुख्य मार्ग का निर्माण है जिसका निर्माण कार्य करोड़ों के खर्च करने के बावजूद बरसों से रुका पड़ा है और जैसा कि पहले ही बताया गया है, जिसके रास्ते में बहुत सी नयी-नयी इमारतें उग अयी हैं जो निश्चित रूप से शहर विकास के इन कर्णधारों की मौन सहमति के बिना संभव नहीं है।
संकष्टी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी से महज डेढ़-दो सौ मीटर दक्षिण में हाजी मलंग रोड से आमराई तीस गांव से चिंचपाड़ा तक जाने वाली 100 फुट रोड मिलती है जो फिलहाल रुकी पड़ी है और लगभग इतनी ही दूरी पर उत्तर में हाजीमलंग रोड है जिसका विस्तारीकरण इस कथित बिल्डर की रिहायशी कॉलोनी तक ही हुआ है और आगे का रास्ता जैसा था वैसा ही पड़ा है।
कुल मिलाकर मामला यह है कि वरिष्ठ पत्रकार विजय प्रकाशजी सहित संकष्टी के 26 परिवारों को बेघर करके बनने वाली प्रस्तावित सड़क से सिर्फ़ उसके आगे बनी इस बिल्डर की कॉलोनी के सिवा किसी का कोई लाभ नहीं होने वाला है। मज़े की बात यह है कि संकष्टी की ज़मीन उसके मूल स्वामी से अपने नाम कराने के बाद बिल्डर ने पहले 6 मार्च 2012, को और उसके बाद 19 दिसंबर 2012 को अपने अधिकारिक लेटर हेड पर संकष्टी के अध्यक्ष/सचिव के नाम पत्र लिख कर चाल के पुनर्विकास की पेशकश की थी और सोसायटी के सदस्यों को उनके घर के चटाई क्षेत्र से 60 फुट अतिरिक्त चटाई क्षेत्र देने का प्रस्ताव रखा था। संकष्टी वासियों ने उनसे अपने चटाई क्षेत्र के अलावा 100 वर्ग फुट की मांग की और उसके बाद उसने चहेते तत्कालीन स्थानीय नगर सेवक के वैधानिक अधिकार का दुरुपयोग करके सोसायटी की इमारत गिरवा कर अपने लिए खुला मैदान जुटाने के इंतजाम में लग गया। संकष्टी को तोड़ कर उसकी जगह सड़क बनाने की कडोंमपा की यह महत्त्वाकांक्षी योजना उनकी इसी साजिश का नतीजा है।
इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि पिछले दिनों कडोंमपा के नगर रचना विभाग के एडीसी ने संकष्टीवासियों के वकील के जानकारी मांगने पर उन्हें बताया उस भूखंड से कोई सड़क प्रस्तावित नहीं है और उसके खिलाफ तोड़ू कार्रवाई का नोटिस देने वाले वार्ड अधिकारी की नौकरी जा सकती है। वकील के इस जानकारी की लिखित प्रति देने की अपील के जवाब में उक्त एडीसी ने कहा कि आप एक आरटीआई अर्जी दे दीजिए हम आपको डीपी की सीडी दे देंगे। लेकिन आरटीआई अर्जी देने के बाद डीपी का लिखित व्योरा या सीडी मिलने के बजाय डी वार्ड अधिकारी के यहां से भूअधिग्रहण का नोटिस आ गया। इन तथ्यों के मद्देनजर कल्याण डोंबीवली मनपा की प्रस्तावित सड़क सार्वजनिक हित साधन का नहीं एक बिल्डर के निहित स्वार्थ पूर्ति का साधन है।
मुंबई से कामता प्रसाद की रिपोर्ट. संपर्क : [email protected]