मुंबई। उत्तर प्रदेश के आईपीएस ऑफिसर अमिताभ ठाकुर की ओर से ‘पुरुष आयोग’ के गठन संबंधी याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल होने के बाद देशव्यापी स्तर पर यह मामला मुखर होने लगा है। आज शनिवार को मुंबई के आजाद मैदान में पूर्वाह्न 10 बजे से शाम छह बजे तक सैकड़ों पुरुषों के साथ महिलाओं ने धरना-प्रदर्शन किया। इसके बाद मंत्रालय पहुंचकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के नाम पुरुष आयोग के गठन संबंधी मांगपत्र दिया गया।
महिला आयोग की तरह ‘पुरुष आयोग’ भी गठित करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। ‘सेव्ह इंडियन फैमिली’ और ‘वास्तव फाऊंडेशन’ नामक संगठनों ने शनिवार को मुंबई के आ़जाद मैदान में धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान सबसे गौरतलब रही महिलाओं की भी उपस्थिति। प्रदर्शनकारियों ने अपने संबोधन में अपनी मांग और तेज करने की चेतावनी है। हुसैन अली ने बताया कि धरने के बाद मंत्रालय पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में उनके स्टॉफ के उच्चाधिकारियों को अपना मांगपत्र दिया।
क्या महिला आयोग की तरह पुरुष आयोग भी होना चाहिए? ये सवाल आज देशभर में उठ रहा है। पीड़ित पुरुष अपने साथ हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न की शिकायत आयोग स्तर पर करना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल याचिका में आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने बताया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का उत्पीड़न काफी ज्यादा है। तमाम ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें प्रभावशाली हैसियत रखने वाली महिलाएं पुरुषों का उत्पीड़न कर रही हैं। वास्तव फाऊंडेशन के अध्यक्ष अमित देशपांडे का कहना है कि उच्च पदासीन महिलाएं जानबूझ कर सहकर्मी पुरुषों का उत्पीड़न कर रही हैं। इसलिए केंद्र और राज्य सरकारें पुरुष आयोग का गठन करें ताकि उत्पीड़ित पुरुषों को इंसाफ मिले।
गौरतलब है कि नवंबर 2014 में इसी तरह के एक मामले में मुंबई में पत्रकार शैलेश जायसवाल को फर्जी रेप के आरोप में गिरफ्तार कर पुलिस ने उनके साथ अभद्र हरकतें की थीं। इंसाफ के लिए पत्रकार शैलेश ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। और तो और, स्वयं अमिताभ ठाकुर खुद एक केस हिस्ट्री हैं। वो अपनी ही एक सीनियर अफसर से पीड़ित हैं, तमाम शिकायतों के बावजूद उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ठाकुर का मानना है कि पुरुष अधिकारियों को अपने मातहत काम करने वाली महिलाओं से झूठे आरोपों का डर बना रहता है। देश का कानून केवल महिलाओं के पक्ष में है। मुंबई के एक बड़े अफसर का कहना है कि मेरे अधीनस्थ कई महिलाएं काम करती हैं, जिनसे असुरक्षा का डर बना रहता है।
फिलहाल, पुरुष आयोग के गठन की मांग बहस का विषय है। प्रतिप्रश्न उठ रहे हैं कि क्या पुरुष इतनी दयनीय हालत में होते हैं कि कोई महिला उसका उत्पीड़न कर सके। हाल ही में मुंबई में एक व्यक्ति को इसी आधार पर तलाक मिल गया कि वो अपनी पत्नी से पीड़ित था। उसकी शिकायत थी कि पत्नी उससे अत्यधिक यौन संसर्ग की अपेक्षा करती थी। अदालत ने इस मामले को उत्पीड़न की तरह देखते हुए तलाक दे दिया। फेसबुक और ट्वीटर पर भी पुरूष आयोग को लेकर चर्चा काफी गर्म है।
dinesh shivram chaule
November 21, 2016 at 8:15 pm
Plz help me and save my family from my sisters and her hasband.
SUMAN BISWAS
May 4, 2019 at 8:12 pm
Yes sir. Hona chaye hai men right.
Shashikant Dattatray Lambate
June 26, 2019 at 10:33 pm
Mujhe mere patani ke jhoote aaropose or usake parivar ke jhoote aaropose or 498 court case se mujhe or mere family ko bachaye please….