मुंबई। देश और राज्य के नाम के दुरुपयोग का गैरकानूनी धंधा जोरों पर चल रहा है। गौरतलब है कि प्रतीक और नाम (अनुपयुक्त प्रयोग निवारण) अधिनियम 1950 के तहत यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय प्रतीकों और नामों का उपयोग व्यावसायिक और पेशेवर हितों को साधने के लिए नहीं किया जा सकता, लेकिन इस अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ार्इं जा रही हैं। बहुत सारे ट्रस्ट, बोगस प्राइवेट यूनिवर्सिटीज और कई संस्थाओं के नाम अवैध तरीके से रखे गए हैं। वहीं कई अखबारों-चैनलों जैसे ‘ महाराष्ट्र टाइम्स’ और ‘जय महाराष्ट्र ’ जैसे नाम भी अवैध तरीके से रखे गए हैं, क्योंकि राज्यों के नाम का उपयोग कमर्शियल उद्देश्य के लिए नहीं की किया जा सकता।
इस अधिनियम (एक्ट) के अनुसार कोई भी संस्था देश का नाम, राज्य का नाम या केंद्र व राज्य सरकार की ओर से स्थापित किसी संस्था के नाम का उपयोग अपने कमर्शियल (व्यावसायिक) उद्देश्यों के लिए नहीं कर सकती। इसके अलावा उक्त नामों का दुरुपयोग करते हुए किसी ट्रस्ट की स्थापना भी नहीं की जा सकती और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए भी नाम का दुरुपयोग नहीं हो सकता, लेकिन बहुत सारे ट्रस्ट ऐसे हैं, जिनके नाम अवैध तरीके से रखे गए हैं।
चैरिटी कमिश्नर की साठगांठ
बहुत सारे ट्रस्ट के नामों को देखा जाए तो उसके अवैध होने का पता चलता है। ऐसे कई नाम हैं, जो धड़ल्ले से राज्यों और देश के नाम का इस्तेमाल करते हैं। चैरिटी कमिश्नर ने कई संस्थाओं से साठगांठ करके कई ट्रस्टों के नाम को रजिस्टर्ड करने का काम किया है। इन नामों का ट्रस्ट वाले खूब व्यावसायिक उपयोग करते हैं।
यूनिवर्सिटी के नाम से जोड़ दिए अपने नाम
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) और महाराष्ट्र सरकार की ओर से स्थापित नियमों के अनुसार अवैध रूप से यूनिवर्सिटी के नाम का इस्तेमाल करना गलत है। इसके बावजूद कई संस्थाएं हैं, जिन्होंने चैरिटी कमिश्नर के यहां अपने नाम का रजिस्ट्रेशन यूनिवर्सिटी के नाम से किया है। दरअसल चैरिटी कमिश्नर ने बोगस यूनिवर्सिटीज के अवैध नाम को भी अनुमति दी है। पुरंदर विद्यापीठ, जन्मदीप विद्यापीठ और न्यू गुरुकुल विद्यापीठ जैसे कई अवैध तरीके से रखे गए नाम हैं। नियमानुसार शासन संचालित संस्था ही नाम में विद्यापीठ जोड़ सकती है।
अखबारों-टीवी चैनलों के नाम पर भी सवाल
महाराष्ट्र में ‘ महाराष्ट्र टाइम्स’ नामक अखबार और ‘जय महाराष्ट्र’ जैसे टीवी चैनल भी राज्य के नाम का उपयोग कमर्शियल फायदे के लिए करते हैं। ‘जय महाराष्ट्र’ चैनल चलाने वाला ‘तरन्नुम बारबाला’ फेम सुधाकर शेट्टी है, जो पहले भी बदनाम रह चुका है। गौरतलब है कि जब कानूनी रूप से राज्य के नाम का उपयोग कमर्शियल फायदे के लिए नहीं किया जा सकता, तो इसके नाम पर अखबार या चैनल चला कर जनता को गुमराह करने का काम क्यों किया जा रहा है? अखबार की दुनिया में ‘ महाराष्ट्र टाइम्स’ बड़ा नाम है, लेकिन इसके नाम का व्यावसायिक उपयोग तो गैरकानूनी है।
गुमराह करते हैं कई नाम
महाराष्ट्र की कई संस्थाओं ने चैरिटी का नाम रजिस्टर्ड करवाते हुए ऐसा रखा है कि पढ़े-लिखे लोग भी धोखा खा सकते हैं। कई संस्थाओं के नाम ‘स्टेट बोर्ड’ और ‘स्टेट काउंसिल’ जैसे रख दिए गए हैं, जिनका सरकार से कोई संबंध नहीं है। ऐसे नाम 10वीं और 12वीं के छात्रों को गुमराह करने और धोखा देने के लिए होते हैं। इससे ने केवल छात्र, बल्कि अभिभावक भी गच्चा खा जाते हैं और उनके जाल में उलझकर छात्रों का जीवन बर्बाद कर देते हैं।
ऐसी कई संस्थाओं ने बोगस प्रमाणपत्र देकर छात्रों का भविष्य अंधकारमय बना दिया है। ऐसी बोगस संस्थाओं को जिंदा रखने में चैरिटी कमिश्नर की भी बड़ी भूमिका होती है। इसी तरह अवैध नामों का धंधा होता रहा, तो अधिनियमों से जनता का विश्वास उठ जाएगा।
लेखक उन्मेष गुजराथी दबंग दुनिया अखबार के मुंबई संस्करण के संपादक हैं.
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