Bhagwan Upadhyay : श्योपुर के अपर कलेक्टर वीरेंद्र सिंह की दादागीरी। पत्रकार को भिजवाया जेल। मामला यह है कि दो महीने पहले उक्त अपर कलेक्टर ने श्योपुर में किसी को जमीन आवंटित की तो कलेक्टर ने उस जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी। यह खबर दैनिक भास्कर में प्रमुखता से छप गई। अपर कलेक्टर ने इस खबर को अपनी ही कोर्ट की अवमानना बताते हुए मानहानि का केस दर्ज कर लिया। इस केस में 200 रुपए का जुर्माना होता है।
लेकिन अपर कलेक्टर ने मंगलवार को गनमैन भेजकर दैनिक भास्कर श्योपुर के ब्यूरो चीफ दशरथ सिंह परिहार को अपने केबिन में बुलवाया और गनमैन तथा रीडर से उसको बुरी तरह पिटवाया। अपनी ही कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी कर पुलिस बुलवाकर दशरथ को जेल भिजवा दिया। पत्रकारों ने जमानत लेने का आवेदन दिया तो सबको धमकी दी कि जो भी इसके पक्ष में बोलेगा उसे अंदर करवा दूंगा।
एक एडीएम कानून को हाथ में लेकर यह भी भूल गया कि जेल भेजने से पहले उसका मेडिकल परीक्षण कराना जरुरी था। खैर, शिवराज सरकार में पत्रकारों को सरकारी प्रताड़ना का यह पहला मामला नहीं है। कलेक्टर, एसपी, आईजी, कमिश्नर, डीजीपी आदि बडे़ अफसरों को कुछ पता ही नहीं चलता कि उनके अधीनस्थ क्या-क्या कारनामे कर रहे हैं। अफसर ही गुंडागर्दी कर रहे हैं। अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं। व्यक्तिगत खुन्नस निकाल रहे हैं। ऐसे अफसरों को क्या पद पर रहने का अधिकार है? क्या ये जिलों की कमान संभालने लायक हैं?
भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार भगवान उपाध्याय की एफबी वॉल से.