इंदौर : प्रेस क्लब इन दिनों पूरी तरह धंधेबाज पत्रकारों (वास्तव में ये पत्रकार हैं ही नहीं) का अड्डा बन गया है। जिनके हाथ में प्रेस क्लब का दारोमदार है, वे या तो भूतपूर्व पत्रकार हैं, दलाल हैं या फिर पूरी तरह फुर्सत में हैं। आजकल ये मुख्यमंत्री से पत्रकारों की मदद के नाम पर कुछ ऐंठने की कोशिश में लगे हैं।
पिछले सोमवार को भोपाल में प्रेस क्लब के सदस्यों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की! बताया ये गया कि उन्होंने मीडियाकर्मियों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की! पर किसी को पता नहीं कि पत्रकारों की ऐसी कौनसी विकल समस्या है, जिसे लेकर मुख्यमंत्री से बातचीत की गई! मजीठिया वेतन आयोग की अनुशंसा लागू किया जाना पत्रकारों की सबसे बड़ी समस्या है, उसे लेकर प्रेस क्लब ने कभी न तो सरकार से बात की और न पत्रकारों का साथ दिया! मुख्यमंत्री से भोपाल मिलने गए पत्रकारों में एक प्रवीण खारीवाल हैं, जो प्रेस क्लब के अध्यक्ष हैं पर किसी अखबार से नहीं जुड़े! अरविंद तिवारी सचिव हैं, जिन्हें तीन अख़बारों से निकाला जा चुका है। शशीन्द्र जलधारी रिटायर हो चुके हैं और कविताएँ लिख रहे हैं। कीर्ति राणा किसी अखबार में नहीं हैं और फुर्सत में हैं। कमल कस्तूरी मूलतः बिल्डर है, कोई पत्रकार नहीं! नवनीत शुक्ला एक पिटा हुआ सांध्यकालीन अखबार निकलते हैं। के.के. शर्मा ‘गुड्डू’ नगर निगम के कर्मचारी हैं। मुख्यमंत्री से मिलने गए इस दल में एक भी ऐसा चेहरा नहीं है, जिसकी पहचान पत्रकार के तौर पर हो!
बताते हैं कि दरअसल, ये सभी भोपाल के ‘प्रदेश टुडे’ अखबार द्वारा आयोजित ऑटो-शो के लिए हृदेश दीक्षित के गेस्ट थे। इस शो में कोई बड़ा नेता आने को राजी नहीं हुआ! पहले सुषमा स्वराज के आने की बात कही गई, पर वे नहीं आई! मुख्यमंत्री ने भी भोपाल में होते हुए आने से किनारा कर लिया! यही कारण था कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए इंदौर प्रेस क्लब के इन कथित पत्रकारों के भोपाल आने का इंतजाम किया गया! इसके बाद भी मुख्यमंत्री वहां, नहीं गए।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित