इंदौर : कांग्रेस के युवराज महू में अपना कोई असर नहीं छोड़ पाए… 15 मिनट का भाषण भी राहुल गांधी का बेदम रहा, जिसे मीडिया में भी अधिक सुर्खियां नहीं मिल सकी। इंदौर आए कांग्रेस के तमाम बड़े दिग्गज नेता भी मानों शक्ल दिखाने ही आए हों और महंगी होटल में आराम फरमाते – मस्ती छानते नजर आए। आम सभा के थोड़ी देर पहले ही होटलों से निकले ये दिग्गज कांग्रेसी विमान से दिल्ली रवाना भी हो गए। राहुल गांधी चाहते तो महू की इस यात्रा के जरिए वे मोदी सरकार पर जमकर हमले बोलते हुए अच्छा खासा पोलिटिकल माइलेज हासिल कर सकते थे।
ऐसा लगता है कि राहुल गांधी वाकई उस खिलौने की तरह हैं जिसमें जितनी चाबी भरी जाए वह उतना ही चलता है। लम्बी छुट्टियों के बाद जब राहुल गांधी प्रकट हुए तो उन्होंने भूमि अधिग्रहण के साथ कुछ अन्य मुद्दों पर आक्रामक रुख दिखाया, जिसे फुसर्तिया न्यूज चैनलों ने भी जमकर भुनाया और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी सहित देशभर के कांग्रेसी भी गदगद नजर आए। सभी ने राहुल बाबा की आरती उतारते हुए कहा कि उनका कायाकल्प हो गया है और अब वे पार्टी को भी इस भीषण राजनीतिक संकट से उबार लेंगे, मगर ऐसा लगता है कि इस फुलाए गए गुब्बारे की हवा फिर निकलने लगी है। मोदी सरकार को गरीब और किसान विरोधी बताने वाले राहुल एक जैसा ही बयान और भाषण देते नजर आ रहे हैं। सूट-बूट की सरकार का आरोप लगाने वाले राहुल गांधी पर कल सोशल मीडिया में भी यह कमेंट चलता रहा कि बाबा साहब आम्बेडकर की अधिकांश प्रतिमाओं में भी वे सूट-बूट पहने ही नजर आते हैं।
राहुल गांधी ने 15 मिनट भाषण दिया मगर वह भाषण भी पिलपिला यानि बेदम ही साबित हुआ, जिसमें कोई नई बात उनके द्वारा नहीं की गई। जातिवाद और संकीर्णता के खिलाफ युवाओं को संघर्ष करने का आव्हान करते राहुल ने आईआईटी मद्रास का मुद्दा भी उठाया, जबकि वे चाहते तो महू के अपने इस आयोजन के जरिए मोदी सरकार को जबरदस्त तरीके से दलितों के साथ-साथ अन्य तमाम मुद्दों पर घेर सकते थे, जिसके चलते उन पर देशव्यापी चर्चा भी होती, मगर राहुल का महू दौरा एक तरह से फ्लॉप ही कहा जाएगा। भले ही स्थानीय मीडिया ने अच्छा कवरेज किया हो मगर राष्ट्रीय मीडिया ने इस दौरे को इसी कारण अधिक तवज्जो नहीं दी। वरना इसके पहले राहुल गांधी के कई ट्वीट और बयानों पर दिन-दिनभर न्यूज चैनलों ने खबरें दिखाईं और उन पर बहस भी आयोजित की, मगर महू के इस आयोजन की खबरें न्यूज चैनलों से लगभग गायब ही रही और अधिक सुर्खियां नहीं बटोर पाई। इधर स्थानीय से लेकर देश के बड़े कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के इस दौरे के एतिहासिक बनाने में कई दिनों से जुटे थे।
हालांकि कांग्रेस में तो परम्परा भी रही है कि सिर्फ प्रचार-प्रसार और शक्ल दिखाने तक ही सभी नेता सीमित रहते हैं। चूंकि राहुल गांधी इंदौर-महू के दौरे पर थे, लिहाजा अधिकांश दिग्गज कांग्रेसी भी दिल्ली से इंदौर पहुंचे और तमाम बड़ी होटलों में ठहरे। रिंग रोड स्थित होटल रेडीसन में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता ठहरे, जिनमें लोकसभा में पार्टी की ओर से अधिकृत मल्लिकार्जुन खड़से से लेकर मनीशंकर अय्यर, पीएल पुनिया, राजू शुक्ला सहित अन्य ठहरे और आम सभा के कुछ समय पहले ही होटल से निकले। ये तमाम नेता होटल में बड़े आराम से गप्पे मारते, लजीज भोजन का लुत्फ उठाते भी नजर आए और इन्हें देखकर कतई नहीं लगता कि कांग्रेस तमाम चुनावों में बुरी तरह हार चुकी है और इन नेताओं में उसको लेकर कोई चिंता भी है, जबकि होना यह था कि राहुल के साथ-साथ इन तमाम कांग्रेसी दिग्गजों को मीडिया से चर्चा करना थी और मोदी सरकार के एक साल के कार्यकाल की पोलपट्टी उजागर की जाना थी। इसके विपरित भाजपा ने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। उसके तमाम मंत्री और पदाधिकारी राहुल गांधी के इस दौरे को लेकर आरोप लगाते रहे और प्रचार-प्रसार में भी पीछे नहीं दिखे। यहां तक कि प्रदेश के ही कई मंत्रियों को अलग-अलग मुद्दों पर बोलने के लिए तैनात कर रखा था। कुल मिलाकर राहुल गांधी का महू का दौरा बेदम ही नजर आया। आम्बेडकर की जन्मस्थली से वे पार्टी को एक नई दशा और दिशा दिखा सकते थे।
कांग्रेस के तमाम दिग्गज इंदौर-महू में रहे मगर सिर्फ शक्ल दिखाने के लिए ही। ना तो किसी ने कोई बयान दिया और ना ही मीडिया से चर्चा की। राहुल गांधी के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया तो आए ही, वहीं दिग्विजय सिंह ने तो पहले से ही मोर्चा संभाल रखा था, वहीं कल मल्लिकार्जुन खड़से, पी. चिदमबरम, मणीशंकर अय्यर, सलमान खुर्शिद, सुशील कुमार शिंदे, कुमारी शेलजा, राजीव शुक्ला, राज बब्बर, पीएल, पुनिया, खुर्शिद आलम, मुकुल वासनिक से लेकर प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी कांतिलालू भूरिया, अजय सिंह से लेकर अध्यक्ष अरुण यादव सहित पूरी पार्टी जुटी रही। बावजूद इसके यह पूरा जमावड़ा अधिक सुर्खियां नहीं बटोर सका।
राहुल गांधी भूमि अधिग्रहण बिल पर ही एक जैसे बयान लगातार देते नजर आए हैं। गरीब और किसान विरोधी मोदी सरकार को बताने के साथ ही कारोबारियों की सरकार और सूट-बूट की सरकार जैसे बयान भी उनके चर्चा में रहे मगर अब वे भी बेअसर हो गए हैं, जबकि जनता से जुड़े तमाम मुद्दे ऐसे हैं, जिन पर मोदी सरकार को तबीयत से घेरा जा सकता था। महंगाई के साथ-साथ पेट्रोल-डीजल की कीमतें, सीवीसी और सीआईसी की नियुक्तियों के अलावा धारा 370, राम मंदिर, समान नागरिक संहिता से लेकर विदेशों में जमा काले धन सहित कई ऐसे मुद्दे थे, मगर राहुल ने घीसीपीटी बात ही कल महू में की।
सांध्य दैनिक अग्निबाण, इंदौर के विशेष संवाददाता राजेश ज्वेल से संपर्क : 9827020830