हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी और प्रेस कौंसिल को शिकायत… भोपाल। एक तरफ मुजफ्फरपुर और देवरिया के बालिकागृहों की दुर्दशा उजागर हो रही है दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में सरकारी एजेंसियों के कर्ताधर्ताओं के कारनामे उजागर हो रहे हैं। इसी महीने राजधानी भोपाल की बाल कल्याण समिति के चारों सदस्यों को जांच के बाद पद के दुरुपयोग और अनियमितताओं के चलते पद से हटाया गया है। अब मध्यप्रदेश बाल संरक्षण आयोग के एक सदस्य का कारनामा सामने आया है।
आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान शुक्रवार को राजधानी के एक बालगृह में मुआयना करने पहुंचे। वे अपने साथ मीडियाकर्मियों की एक टीम भी आयोग के स्टाफ के रूप में ले गए।
जब बालगृह प्रबंधन ने सबको एंट्री करने को कहा तो चौहान ने कहा कि यह आयोग का ही स्टाफ है। हमारे साथ है। इनकी अलग से एंट्री करने की जरूरत नहीं है। लेकिन प्रबंधन द्वारा बाल संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के हवाले से उन्हें बताया कि यहां बच्चे-बच्चियां रहते हैं, इसलिए बाहर से आए हर व्यक्ति का ब्यौरा दर्ज होना जरूरी है। यह प्रावधान है। इसका पालन होना ही चाहिए।
लेकिन इसके बावजूद उन्होंने आवक रजिस्टर में सबके नाम दर्ज नहीं किए और सबको लेकर सीधे बच्चों के कमरों में जा पहुंचे। संयोग से उसी दौरान आयोग के चेयरमैन राघवेंद्र शर्मा भी वहां जा पहुंचे और तब खुलासा हुआ कि साथ आए लोग आयोग के नहीं हैं बल्कि मीडियाकर्मी हैं।
परिचय में इन लोगों ने भी बताया कि वे अलग-अलग मीडिया संस्थानों से हैं और उन्हें आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान के आमंत्रण पर यहां लाया गया है। चेयरमैन ने बालगृह के कामकाज को बेहतर पाया और अपनी सकारात्मक टिप्पणी भी दर्ज की। लेकिन चौहान मीडियावालों को लेकर चुपचाप निकल गए।
हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी, प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया और राज्य सरकार को आयोग के इस सदस्य की इस गैर जिम्मेदाराना कार्रवाई की जानकारी भेजी गई है। सीसीटीवी फुटेज भी निकाले जा रहे हैं। गौरतलब है कि ब्रजेश चौहान पहले बाल कल्याण समिति में सदस्य रहा है। डेढ़ साल पहले उसे आयोग में सदस्य बना दिया गया। उसके बाद से राजधानी के कई स्कूलों और बाल अधिकारों से जुड़ी संस्थाओं में वह नियम विरुद्ध मीडिया की टीम को साथ लेकर गए। यह विभाग की जानकारी में पहले भी आया था।
शुक्रवार को उन्होंने मीडियाकर्मियों का परिचय आयोग के स्टाफ के रूप में दिया तो पोल खुल गई। ध्यान रहे कि सरकार ने भोपाल की बाल कल्याण समिति को हाल ही में बर्खास्त किया है। चारों सदस्य को एक लंबी जांच के बाद कई तरह की गड़बड़ियों का दोषी पाकर हटाया गया। इन गड़बड़ियों में राजधानी के बालिकागृह में आई लड़कियों के आधे-अधूरे रिकॉर्ड और जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के विजिट के समय समिति के सदस्यों का गायब होना शामिल है। अब बाल आयोग में सदस्य जैसे जिम्मेदार पद पर नियुक्त ब्रजेश चौहान की यह करतूत सामने आ गई है।
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