Connect with us

Hi, what are you looking for?

मध्य प्रदेश

राजपूतजी, इन सवालों का जवाब देंगे तो शुक्ला और गुप्ता को जयचंद मान लेंगे

राजपूतजी ने पिछले दिनों भडास पर एक पत्र लिखकर विजय शुक्ला और विजय गुप्ता के बारे में जो बयान दर्ज कराया है उसे लेकर इंदौर, भोपाल और रायपुर के दबंग दुनिया छोड़ चुके पत्रकारों ने श्री राजपूतजी से कुछ सवाल पूछे हैं। अगर राजपूतजी इन सवालों को जवाब देंगे तो हम मान जाएंगे कि शुल्का व गुप्ता ही नहीं, बल्कि हम भी जयचंद है या फिर राजपूत स्वयं को जयचंद मानकर इतिश्री कर लें।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>राजपूतजी ने पिछले दिनों भडास पर एक पत्र लिखकर विजय शुक्ला और विजय गुप्ता के बारे में जो बयान दर्ज कराया है उसे लेकर इंदौर, भोपाल और रायपुर के दबंग दुनिया छोड़ चुके पत्रकारों ने श्री राजपूतजी से कुछ सवाल पूछे हैं। अगर राजपूतजी इन सवालों को जवाब देंगे तो हम मान जाएंगे कि शुल्का व गुप्ता ही नहीं, बल्कि हम भी जयचंद है या फिर राजपूत स्वयं को जयचंद मानकर इतिश्री कर लें।</p>

राजपूतजी ने पिछले दिनों भडास पर एक पत्र लिखकर विजय शुक्ला और विजय गुप्ता के बारे में जो बयान दर्ज कराया है उसे लेकर इंदौर, भोपाल और रायपुर के दबंग दुनिया छोड़ चुके पत्रकारों ने श्री राजपूतजी से कुछ सवाल पूछे हैं। अगर राजपूतजी इन सवालों को जवाब देंगे तो हम मान जाएंगे कि शुल्का व गुप्ता ही नहीं, बल्कि हम भी जयचंद है या फिर राजपूत स्वयं को जयचंद मानकर इतिश्री कर लें।

Advertisement. Scroll to continue reading.

1. राजपूतजी सबसे पहला सवाल यह है कि गुप्ता व शुक्ला के बारे में आपकी जुबां संपादक के पद पर आने के बाद ही क्यों खुली, क्या एक पत्रकार का दूसरे पत्रकार के खिलाफ इस तरह का बयान देना उचित है।

2. राजपूतजी अगर एक पत्रकार स्वयं का अखबार खोलना चाहता है तो इसमें जयचंद होने की क्या बात है। इससे दूसरे पत्रकारों और स्वयं अखबार मालिक को खुश होना चाहिए कि उसके यहां काम करने वाला कर्मचारी आज अखबार में मालिक बन गया। जब एक गुटका बेचने वाला अखबार मालिक बन सकता है तो क्या एक संपादक को अखबार मालिक बनने का अधिकार नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

3. राजपूतजी यह बताएं कि गुप्ता और शुक्ला को दबंग चेयरमैन द्वारा एक-एक लाख रुपए प्रति माह वेतन दिया जाता था। यह निश्चित है कि यह वेतन सीधे उनके बैंक अकाउंट में जमा होता होगा। अगर बैंक अकाउंट की डिटेल देंगे तो हम मान जाएंगे कि दोनों जयचंद है।

4. राजपूतजी आप यह बताएं कि शुक्ला और गुप्ता को दबंग प्रबंधन ने लात मारकर निकाल दिया। चलो आपकी बात मान लेते हैं, लेकिन इंदौर, भोपाल, रायपुर, जबलपुर में जबसे अखबार प्रकाशित हुआ तब कितने संपादक और कर्मचारियों को हटाया गया क्या वे सभी जयचंद है। इंदौर में तो जितने वर्ष अखबार को प्रकाशित नहीं हुए उससे डबल संपादक और एचआर बदले गए हैं। सबसे पहले अतुल पाठक संपादक थे, उसके बाद कीर्ति राणा, उसके बाद पंकज मुकाती, उसके बाद लिलोरिया, लिलोरिया के बाद एक- दो संपादक जो स्थानीय कर्मचारी ही थे उन्हें बैठाया गया उसके बाद चार बार ललित उपमन्यु को हटाया और रखा इसके दौरान भोपाल से संपादक बुलाए और पुनः ललित उपमन्यु को संपादक बना दिया। इस दौरान जो भोपाल से संपादक बुलाए थे उन्हें डाक का प्रभार सौंप दिया। अभी पुनः ललित उपमन्यु का विकेट गिराने की तैयारी चल रही है। इतना ही नहीं एचआर विभाग में भी करीब 10 से 15 एचआर को नौकरी छोड़ना पड़ी। क्या यह सभी जयचंद थे या चेयरमैन साहब का फैक्ट्री एक्ट ने इन्हें नौकरी छोड़ने पर मजबूर किया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

5. राजपूतजी आपके बता दें कि इंदौर में जयचंदों के भरोसे ही पूरी प्रेस चल रही है। यहां कई ऐसे जयचंद हैं जो सेठ की चमचागिरी कर नौकरी बजा रहे हैं। इसमें ऐसे नाम हैं जिन्हें सेठ ने लाखों के घोटालों में पकड़ा, गाली-गलौच मारपीट की और उसके आज भी वे सेठ की चमचागिरी कर अपनी नौकरी बजाकर संपादक जैसे पदों पर आसिन लोगों से जुबां लड़ा रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

7. राजपूतजी लगता है आप चेयरमैन साहब के सबसे बड़े प्रशंसक है इसलिए आपसे सवाल पूछता कि पूर्व प्रेसक्लब अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल और हाल ही में प्रदेश न्यूज टू डे के विवाद का मुख्य कारण क्या था। आपको पता न हो तो मैं बता दूं कि पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने चेयरमैन साहब के विवाद में पूरे परिवार को सड़क के चौराहे पर पोस्टर होर्डिंग्स लगाकर नंगा किया था। इतना ही नहीं चौराहे पर झांसाराम के होर्डिंग्स लगे थे। इसके बाद भी चेयरमैन साहब और खारीवाल आज क्यों गले मिल रहे हैं। क्यों प्रदेश टू डे के हृदयेक्ष दीक्षित के खिलाफ लगातार खबर छापने के बाद उसके पैर पकड़ लिए गए।

8. प्रेस क्लब चुनाव में करोड़ों रुपए खर्च कर अध्यक्ष बनने का सपने देखने वाले वाधवानी को पत्रकारों ने उनकी सच्चाई बताई। यह सब वाधवानी की पत्रकारों के साथ गाली-गलौज और काम के दौरान उन्हें परेशान करने की रणनीति का नतीजा है। कल तो चेयरमैन साहब विधायक बनने का सपने देख रहे थे वे प्रेस क्लब चुनाव हारने के बाद पार्षद का चुनाव पड़ने में भी अब डरेंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

राजपूतजी आपसे निवेदन है कि उक्त सवालों का अगर आप जवाब देंगे तो निश्चित रूप से इंदौर, भोपाल, रायपुर, जबलपुर के दबंग छोड़ चुके या यूं कहूं कि चेयरमैन साहब की गुटका फैक्ट्री छोड़ चुके पत्रकार, कर्मचारी यह मान लेंगे कि आपने जो कहा व 100 प्रतिशत सत्य है नहीं तो शुक्ला व गुप्ता सही हैं और आप और चेयरमैन साहब इस श्रेणी में आते हैं।

एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

Advertisement. Scroll to continue reading.

पूरे मामले को समझने के लिए इन खबरों को भी पढ़ें….

xxx

Advertisement. Scroll to continue reading.

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement