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मध्य प्रदेश

एमपी में टीवी न्यूज़ के टॉप फाइव ‘खबरदार’

प्रवीण दुबे, अश्विनी कुमार मिश्रा, नीरज श्रीवास्तव, आर सी साहू और संदीप सिंह भोपाल के वो पत्रकार हैं जिन्होंने भोपाल जेलब्रेक और सिमी के भगोड़े आतंकियों के एनकाउंटर और उसके बाद के अपडेट देने में एड़ीचोटी का जोर लगाया और यह साबित कर दिया कि हर लम्हे में शानदार खबरदारी कैसे की जा सकती है। इन पांच पत्रकारों की चर्चा इसलिए भी लाज़मी है कि यह सभी टेलीविजन से जुड़े हुए हैं और इस पूरे घटनाक्रम को कवर करने में मीर साबित हुए। वहीँ इन लोगों ने टीवी के उन तथाकथित बड़े कहे जाने वाले पत्रकारों की नींद भी उड़ा दी है जो टेलीविजन में जुगाड़ के जरिये खुद को बड़ा पत्रकार तो कहलवाना पसंद करते हैं लेकिन बड़ी खबरदारी कभी नहीं कर पाए।

<p>प्रवीण दुबे, अश्विनी कुमार मिश्रा, नीरज श्रीवास्तव, आर सी साहू और संदीप सिंह भोपाल के वो पत्रकार हैं जिन्होंने भोपाल जेलब्रेक और सिमी के भगोड़े आतंकियों के एनकाउंटर और उसके बाद के अपडेट देने में एड़ीचोटी का जोर लगाया और यह साबित कर दिया कि हर लम्हे में शानदार खबरदारी कैसे की जा सकती है। इन पांच पत्रकारों की चर्चा इसलिए भी लाज़मी है कि यह सभी टेलीविजन से जुड़े हुए हैं और इस पूरे घटनाक्रम को कवर करने में मीर साबित हुए। वहीँ इन लोगों ने टीवी के उन तथाकथित बड़े कहे जाने वाले पत्रकारों की नींद भी उड़ा दी है जो टेलीविजन में जुगाड़ के जरिये खुद को बड़ा पत्रकार तो कहलवाना पसंद करते हैं लेकिन बड़ी खबरदारी कभी नहीं कर पाए। </p>

प्रवीण दुबे, अश्विनी कुमार मिश्रा, नीरज श्रीवास्तव, आर सी साहू और संदीप सिंह भोपाल के वो पत्रकार हैं जिन्होंने भोपाल जेलब्रेक और सिमी के भगोड़े आतंकियों के एनकाउंटर और उसके बाद के अपडेट देने में एड़ीचोटी का जोर लगाया और यह साबित कर दिया कि हर लम्हे में शानदार खबरदारी कैसे की जा सकती है। इन पांच पत्रकारों की चर्चा इसलिए भी लाज़मी है कि यह सभी टेलीविजन से जुड़े हुए हैं और इस पूरे घटनाक्रम को कवर करने में मीर साबित हुए। वहीँ इन लोगों ने टीवी के उन तथाकथित बड़े कहे जाने वाले पत्रकारों की नींद भी उड़ा दी है जो टेलीविजन में जुगाड़ के जरिये खुद को बड़ा पत्रकार तो कहलवाना पसंद करते हैं लेकिन बड़ी खबरदारी कभी नहीं कर पाए।

दीपावली  की अगली सुबह भोपाल जेल ब्रेक और उसके बाद आठों सिमी आतंकियों का एनकाउंटर भोपाल के टीवी पत्रकारों के लिए एक बड़ी घटना थी । इस तरह की घटनाएं कम ही होती है। ये बताती हैं कि पत्रकार कैसे और किस गति से काम कर रहे हैं। सुबह चार बजे लगातार मेरा फोन बज रहा था। अल सुबह भोपाल से एक पुलिस अधिकारी मित्र ने दीपावली की शुभकामनाओं के साथ जेल ब्रेक की अशुभ खबर भी दी।मेरी समझ आ गया था दीवाली की राम राम तो एक बहाना था।  मैने तत्काल टीवी चालू किया ,मेरी नजर के सामने दिनभर टीवी चैनल रहे और उनके अपडेट नजर आते रहे। ETV ने इस खबर को सबसे पहले दिखाया और अपनी पूरी ताकत इसमें झोंक दी। फिर ज़ी न्यूज़ और उसके बाद अन्य चैनल इस खबर पर अपनी समझ से खेलते नजर आये। इस बड़ी खबर से जुडी खबरें एक पखवाड़े तक सुर्ख़ियों में रहीं। इस बीच मुझे भी यह आकलन करने का समय मिल गया कि टीवी का कौन पत्रकार और चैनल कितने पानी में हैं।

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जब यह सारा घटनाक्रम हुआ तब में ग्वालियर और डबरा में रहा लेकिन इस घटना ने मुझे टीवी और टीवी के पत्रकार साथियों से दूर नहीं होने दिया। हर पल क्या नया हो रहा है ये जानना भी जरुरी था। अलग अलग नजरियों से इस वाक्ये को समझना और ये सोचना कि अगर मैं मौका ऐ वारदात पर होता तो क्या -क्या और करता। घटना की जानकारी लगते ही ईटीवी मध्यप्रदेश छतीसगढ़ और ज़ी न्यूज़ मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ ने जेल ब्रेक से अवगत करवाया फिर बाकि रीजनल चैनल अपनी रौ में आये। डेढ़ दशक से ज्यादा इण्डिया टीवी में गुजरा है सो सबसे पहले आदतन उसे भी खंगाला लेकिन वहां निल बटे सन्नाटा था ,एबीपी ,न्यूज़18 इंडिया(आईबीएन 7 )सो रहे थे। आज तक पर खबर सबसे पहले फ्लेश हुई बाकि इस घटना के कवरेज में आज तक भी राम भरोसे रहा। न्यूज़ नेशन जिस चैनल से मुझे  बहुत उम्मीद नहीं थी ,उसने जरूर इस घटना के कुछ वक्त बाद ही शानदार कवरेज शुरू कर दिया।

इस खबर को तत्काल तवज्जों देने में ईटीवी का कोई जवाब नहीं था। अपने सारे संसाधनों का प्रयोग करते हुए  ईटीवी के प्रमुख अश्विनी कुमार मिश्रा ने सबसे पहले अपने दफ्तर में स्टेटजी बनाई और जो रिपोर्टर जिस अवस्था में था उसे घटना स्थल से लेकर सड़क चौराहों और जंगल तक खड़ा कर दिया। भोपाल में अश्विनी को बाहरी मान कर कम आंकने वालों के लिए यह एक करार जवाब भी था और अपने काम के प्रति समर्पण भी। अश्विनी ने कम समय में जो व्यूह रचना इस खबर के लिए बनाई थी ,वह कामयाब रही। रीजनल चैनल में ज़ी न्यूज़ ने बिना संसाधन के एकदम आक्रामक रुख अपनाया। ज़ी एमपी के प्रमुख प्रवीण दुबे बहुत कम संसाधन के बीच खुद सड़कों पर उतर आये। प्रवीण ने खबर के किसी ऐंगल को नहीं छोड़ा और विश्लेषण वाले अंदाज में पूरे घटनाक्रम को अपने अंदाज में प्रस्तुत किया ,इस खबरदारी में प्रवीण को इस बात का भली भांति भान था की इस खबर में दर्शक क्या देखना और जानना चाहता हैं। रीजनल चैनल में बंसल ,इण्डिया न्यूज़ की टीम ने भी जमकर अपना दम दिखाया। बाकि के हाल क्या थे उसे लिखने की जरूरत महसूस नहीं हो रही।

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अब बात करते हैं नेशनल चैनल्स की इस बड़ी खबर पर एबीपी के बृजेश राजपूत और न्यूज़ 24 के गोविन्द गुर्जर से  मुझे बहुत उम्मीद थी कि वो कुछ जल्दी ,नया ,खोजपूर्ण और तथ्यपरख खबर सामने लाएंगे। लेकिन वो ऐसा कर न सके। इण्डिया टीवी ,आजतक ,आईबीएन 7 के रिपोर्टर से ऐसे में बहुत कुछ की उम्मीद बेमानी थी। लेकिन ऐसे में न्यूज़ नेशन के नीरज श्रीवास्तव ने असल पत्रकारिता की और घटना के हर उस ऐंगल को सामने लाने में सफल हुए जिसे दर्शक जानना चाहता था। नेशनल चैनल के पत्रकारों में इस घटना को लेकर नीरज श्रीवास्तव सब पर भारी साबित हुए। बाद में पता चला कि इस घटनाक्रम के समय न्यूज़ 24 के गोविन्द गुर्जर भोपाल में नहीं थे जिसका खामियाजा न्यूज़ 24 को हुआ।

जेल ब्रेक और एनकाउंटर होने के बाद ऐसे में सवाल उठाता कि कई चैनल जब रामभरोसे थे तो उन पर भी शानदार खबरदारी कैसे हुई ? जेल ब्रेक से एनकाउंटर तक सब कुछ इतनी तेजी से घट रहा था कि कुछ साथी चाह के भी कुछ नहीं कर पाए। और जो चैनल पर नजर आ रहा था वो कोई और रिपोर्टर कर रहा था। वह थे ANI के आर सी साहू और संदीप सिंह। ANI  ने अपनी दो टीमें बनाकर इस घटनाक्रम को हर ऐंगल से कवर किया और कई टीवी चैनल्स के रिपोर्टरों को आईना देखने पर मजबूर कर दिया। बड़े बड़े चैनल्स के रिपोर्टर जब तक खबर के तत्वों के बारे में सोच रहे होंगे तब तक आर सी साहू और संदीप सिंह के जरिये वो खबर ऑन एयर हो चुकी थी। कहावत है जो मारे सो मीर और इस घटनाक्रम के मीर तो अश्विनी मिश्रा , प्रवीण दुबे, नीरज श्रीवास्तव, संदीप सिंह और आरसी साहू जी ही नजर आते हैं।

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लेखक अनुराग उपाध्याय भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार हैं और कई न्यूज चैनलों में वरिष्ठ पद पर काम कर चुके हैं.

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