भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार अनुराग उपाध्याय के भोपाल स्थित आकृति गार्डन घर पर कल रात को 9:30 बजे के आसपास 10—11 लोगों ने हमला करने की कोशिश की। वे हमले की फिराक में थे। रेकी की हुई थी। बताया जा रहा है कि इन 10—12 लोगों में उसी रीजनल चैनल से जुड़े पत्रकार शामिल थे, जिसके बारे में कल भड़ास पर खबर चली थी। अगर चोर की दाढ़ी में तिनका होता है तो फिर यह कहावत सही साबित हो रही है। क्योंकि उस पूरी खबर में किसी का नाम नहीं लिखा गया था। अगर आरोप गलत थे तो खंडन किया जाता मगर नहीं। एक मुहिम चालू हो गई सारे ग्रुप्स से अनुराग उपाध्याय को बाहर करिए।
अनुराग उपाध्याय का कहना है कि यह उन पर हमले की कोई पहली कोशिश नहीं है। इससे पहले भी उन पर हमले किये गये हैं। गोलियां भी चलाई गईं हैं लेकिन जाको राखे सांईयां मार सके न कोय की तर्ज पर वे बचते आ रहे हैं। अनुराग ने फिर से हमले की आशंका जताते हुये अपनी जान को खतरा बताया है। चैनल में काम कर रहे दो लोग हमलावरों के अगुवा थे। जो दो नाम सामने आए हैं उसके बाद यह बात छुपी नहीं रह गई है कि इस हमले का प्लान किसके इशारे पर बनाया गया और किसने हमलावरों को भेजा था। प्रत्यक्षदर्शी आकृति गार्डन कैंपस के गार्ड के अनुसार एक कार और चार—पांच बाईक पर सवार होकर यह लोग काफी देर तक अंधेरे में छुपे रहे लेकिन जब अनुराग को नहीं पाया तो एक—एक करके कैंपस के अंदर जाने लगे।
गार्ड ने सतर्कता बरतते हुये सबके नाम नंबर नोट करने शुरू किए तब तक एक कार जिसका नंबर mp04cc2991 था अंदर घुस गई। लेकिन हमलावरों की बहादुरी देखिये सिर्फ नंबर नोट हुये और ये भाग लिए। जब कार में सवार लोगों ने देखा कि उनके पीछे कोई नहीं आ रहा तो वह भी पलट कर भाग लिया। अनुराग उपाध्याय ने इस मामले की शिकायत कमला नगर पुलिस थाने में की है। ग्वालियर के ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के अध्यक्ष देव श्रीमाली ने घटना की निंदा करते हुये आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की है। असलीयत तो यह है कि भोपाल के एक नहीं कई दिग्गज पत्रकारों के असली चेहरे अनुराग ने देखे हुये हैं और उनके सारे काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा भी उनके पास रहता है। क्या नेता क्या अफसर क्या नेता सबके दिलों में अनुराग की छाप अलग ही है।
भोपाल से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
neeraj
September 17, 2016 at 3:17 am
Anuraji ke paas such ki takat hai isliye we humesa surakshit rahenge.