दैनिक भास्कर (जबलपुर, नागपुर, सतना) के मालिक मनमोहन अग्रवाल और उसके गुंडों द्वारा रायसेन जिले के चिकलोद में ग्रामीणों की जमीन पर जबरन कब्जा करने की लगातार कोशिश जारी है। इस दौरान मनमोहन अग्रवाल के गुर्गे आजम हसन ने गांव वालों से बुरी तरह मारपीट की। निषाद समाज के पूर्व नवाब हमीदुल्ला खां साहब ने जो तालाब और जमीन उन्हें रोजी रोटी चलाने के लिए दी थी उस पर भी जबरन कब्जा कर लिया। इसकी रिपोर्ट औबेदुल्लागंज थाने में की गई परन्तु मनमोहन की शह पर और एस.डी.ओ. पुलिस श्री मरावी ने उल्टा ग्रामीणों को धमकाया, कहीं और जाकर गुजरबसर करने की सलाह दी। पूर्व में ग्रामीणों द्वारा पुलिस को दिये हुए बयान को बदलने को कहा।
निषाद समाज के मंदिर से मूर्तियां निकालकर बाहर फेंक दी और मंदिर तोड़ दिया। निषाद समाज की नावों को भी तोड़फोड़ दिया और आए दिन आजम और उसके गुण्डे ग्रामीणों को धमकाते रहते हैं। आजम के डर से कई गांव वाले गांव छोड़कर भाग गए हैं। कुछ गांव वालों के जहर खाने की नौबत है। उक्त गांव वालों की मदद के लिए चिकलोद कोठी वाले स्व. नवाबजादा अनवार ऊल हक साहब के पोत्र साद इफ्तेखार द्वारा गांव वालों के पक्ष में मनमोहन एवं आजम हसन को समझाया गया परन्तु मनमोहन एवं आजम हसन द्वारा साद इफ्तेखार एवं उनके पिता इफ्तेखार ऊल हक साहब को भी गांव के गरीबों के पक्ष में नहीं बोलने के लिए कहा गया और जान से मारने की धमकी दी गई।
इससे श्री इफ्तेखार ऊल हक को घोर अघात पहुंचा और उन्हे ब्रेन हेमरेज होकर उनकी मृत्यु हो गई। मनमोहन अग्रवाल द्वारा शर्मिला टेगौर की 2000 एकड़ जमीन की सन 2012 की नोटराइज्ड पावर आफ अटार्नी दिखाकर प्रशासन को भी गुमराह किया जा रहा है। जबकि शर्मिला टेगौर को उक्त सम्पत्ति की 2000 एकड़ भूमि का मुख्तार नामा देने का अधिकार ही नहीं है। उधर आजम हसन द्वारा खुद को मनमोहन का नौकर कहा जाता है एवं एक तरफ रायसेन जिले की ही एक 2.5 एकड़ भूमि का झूठा विवाद बनाकर न्यायालय को भी गुमराह कर आजम हसन और मनमोहन अग्रवाल एक दूसरे के विरूद्ध केस लड़ रहे हैं।
पूर्व में भी मनमोहन अग्रवाल द्वारा ईदगाह देऔड़ी की नवाबी भूमि को आजम हसन के साथ षड़यंत्र पूर्वक क्रय किया जा चुका है। शक है कि मनमोहन अग्रवाल के अधिवक्ता एवं शर्मिला टेगौर के अधिवक्ता एक ही व्यक्ति हैं। मनमोहन अग्रवाल द्वारा अधिवक्ता के साथ मिलकर फर्जी अटार्नी तैयार की गई है। ज्ञात हो कि इन अधिवक्ता के पिता भी एक रिटायर्ड जज हैं और न्यायालय और पुलिस विभाग में अच्छी खासी पकड़ रखते हैं। यह पूरा प्रकरण मीडिया, पुलिस और प्रशासन की मिली भगत का ज्वलंत उदाहरण है। इस प्रकरण में पुलिस ने आज तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है बल्कि उल्टे फरियादियों को पुलिस धमका रही है।
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