Connect with us

Hi, what are you looking for?

मध्य प्रदेश

नईदुनिया के समूह संपादक आनंद पाण्डे को माधव राव सप्रे राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार के लिए चुना गया

शख्सियत ऐसी कि पुरस्कार नगण्य हो गए…. नईदुनिया के समूह संपादक आनंद पाण्डे को माधव राव सप्रे राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार के लिए चुना गया। पहले मन हुआ कि मोबाइल लगाऊं और बधाई दूं। फिर थोड़ा रुका और सोचा कि क्या यह पुरस्कार उनके पत्रकारिता के जुनून, ईमानदारी, समर्पण से ज्यादा है? क्या कोई भी पुरस्कार ऐसा है जो उनके समर्पण के बदले दिया जा सके? हाथ नंबर डायल करते-करते रुक गए। मैं राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार के कद की बात नहीं कर रहा हूं। बेशक ऐसा पुरस्कार पाना किसी भी पत्रकार के लिए गर्व की बात है। मैं तो बात कर रहा हूं कि आधुनिक दौर में पत्रकारिता की साख को जिंदा रखने वाले शख्स की, जिससे पुरस्कार खुद गौरान्वित हो जाता है।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script> <p>शख्सियत ऐसी कि पुरस्कार नगण्य हो गए.... नईदुनिया के समूह संपादक आनंद पाण्डे को माधव राव सप्रे राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार के लिए चुना गया। पहले मन हुआ कि मोबाइल लगाऊं और बधाई दूं। फिर थोड़ा रुका और सोचा कि क्या यह पुरस्कार उनके पत्रकारिता के जुनून, ईमानदारी, समर्पण से ज्यादा है? क्या कोई भी पुरस्कार ऐसा है जो उनके समर्पण के बदले दिया जा सके? हाथ नंबर डायल करते-करते रुक गए। मैं राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार के कद की बात नहीं कर रहा हूं। बेशक ऐसा पुरस्कार पाना किसी भी पत्रकार के लिए गर्व की बात है। मैं तो बात कर रहा हूं कि आधुनिक दौर में पत्रकारिता की साख को जिंदा रखने वाले शख्स की, जिससे पुरस्कार खुद गौरान्वित हो जाता है।</p>

शख्सियत ऐसी कि पुरस्कार नगण्य हो गए…. नईदुनिया के समूह संपादक आनंद पाण्डे को माधव राव सप्रे राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार के लिए चुना गया। पहले मन हुआ कि मोबाइल लगाऊं और बधाई दूं। फिर थोड़ा रुका और सोचा कि क्या यह पुरस्कार उनके पत्रकारिता के जुनून, ईमानदारी, समर्पण से ज्यादा है? क्या कोई भी पुरस्कार ऐसा है जो उनके समर्पण के बदले दिया जा सके? हाथ नंबर डायल करते-करते रुक गए। मैं राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार के कद की बात नहीं कर रहा हूं। बेशक ऐसा पुरस्कार पाना किसी भी पत्रकार के लिए गर्व की बात है। मैं तो बात कर रहा हूं कि आधुनिक दौर में पत्रकारिता की साख को जिंदा रखने वाले शख्स की, जिससे पुरस्कार खुद गौरान्वित हो जाता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जिस शख्स के लिए कैरियर प्रायरिटी पर होता हो लेकिन पत्रकारिता टॉप प्रायरिटी पर। जो समूह संपादक के चैम्बर को गौरान्वित करते हों, लेकिन चैम्बर में घुसने से पहले किसी के मन में भय न होता हो…अपनी बात खुलकर कहने में संकोच न होता हो…खबर की बात पर पुरजोर तरीके से जहां बहस की जा सके…जिनके साथी या तो सकारात्मक हो जाते हों या अपने रास्ते बदल लेते हों…। जिनने आनंद जी को न देखा हो, न जाना हो, शायद उन्हें ये पढ़कर अजीब लगेगा। लेकिन सच्चाई यही है। करियर का 7 साल पुराना किस्सा बताता हूं।

जबलपुर नईदुनिया में कांग्रेस के एक कद्दावर नेता के खिलाफ मेरे पास खबर थी। संपादक आनंद पाण्डे जी थे तो उनसे खबर के बारे में विस्तृत चर्चा हुई। खबर बनाने के बाद मैंने रुटीन कथन के लिए नेताजी को फोन लगाया। नेताजी ने फोन पर कोई जवाब नहीं दिया लेकिन ठीक 15 मिनिट बाद ऑफिस आए और आनंद जी के साथ एक-एक कप चाय पी और चले गए। नेताजी को उम्मीद थी कि आनंद जी से संबंध हैं और विशेष संवाददाता तो उनका जलवा देखकर सहम जाएगा। चूंकि मुझे खबर फाइल करनी थी तो मैंने कथन के लिए फिर एसएमएस किया। नेताजी फिर 5 मिनिट बाद ऑफिस में। कहने लगे कि दो दिन से मैं परेशान हूं। आपका रिपोर्टर टीएण्डसीपी में भी गया और अब भी खबर लगाना चाह रहा है। आनंद जी ने मुझे तत्काल बुलाया और पूछा कि इनकी क्या खबर है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैंने बताया कि इनने कालोनी बनाने में जिस जमीन का उपयोग किया है उसमें एक शपथ पत्र मृत बेटे का लगा दिया। कालोनी पूरी अवैध हो गई, इसके बाद भी डुप्लेक्स बेच रहे हैं। नेताजी ने कहा कि साहब मेरी जमीन, मैं कुछ भी करूं, इससे रिपोर्टर या पेपर को क्या मतलब। मैंने बताया कि जो लोग जमीन खरीदेंगे, वो रजिस्ट्री बाद में अवैध हो जाएगी। इसलिए खबर जानी चाहिए। तत्काल आनंद जी ने हाथ उठाकर नेताजी से कहा- देखिए, आप मेरे मित्र हैं, लेकिन अगर खबर है तो जाएगी। और प्रमोद के तर्क और कागज बताते हैं कि खबर जरूर जाना चाहिए। अगर आपका कोई पक्ष है तो आप बताईये।

नेताजी की मुंह देखने लायक था। खबर प्रमुखता से लगी और फॉलोअप भी गया। ऐसे ही जबलपुर के एक लीडिंग अखबार के लिए श्री विवेक तन्खा पिता तुल्य हैं। लेकिन आनंद जी जबलपुर रहने के दौरान विवेक तन्खा जी को सम्मान तो दिया लेकिन शरणागत कभी नहीं हुए। बस यही कार्यशैली पत्रकारिता और पत्रकार के सम्मान की रक्षा कर रही है। आनंद जी के साथ दूसरी पारी में काम करने का मौका मिला। संस्थान भी वही पुराना, नईदुनिया। लेकिन इस बार आनंद जी के तेवर और मिजाज में और भी पैनापन आ चुका है। सकारात्मकता का ग्राफ बढ़ गया है। खैर, एक बार आप भी मिलिए उनसे। पक्का वादा, कुछ तो जरूर सीखेंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रमोद त्रिवेदी
सीनियर न्यूज एडीटर
9644391777
9425442579

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement