भोपाल। इन दिनों जनसंपर्क आयुक्त अनुपम राजन सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं। चर्चा उनके उपर पंजीबद्ध 420/120 बी धाराओं की है। जनसंपर्क आयुक्त बनने से पहले वह लघु उद्योग निगम के प्रबंध संचालक थे, जहां अनुपम राजन के रहते करोड़ों के आर्थिक घोटाले का एक मामला प्रकाश में आया है। मामला यह है कि ई-पंचायत योजना के अंतर्गत ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 240 करोड़ रूपये का कम्प्यूटर एस्सेल कंपनी से खरीदा गया जिसका भुगतान लघु उद्योग निगम द्वारा किया गया था।
एस्सेल कंपनी को सभी ग्राम पंचायतों में कम्प्यूटर भेजना थे लेकिन मध्य प्रदेश की अधिकतर ग्राम पंचायतों में कम्प्यूटर या तो पहुंचे ही नहीं या आउट डेटेड कम्प्यूटर पहुंच गए और एस्सेल कंपनी को ९० करोड़ रूपये का भुगतान भी कर दिया गया। इस मामला को सतना एवं उज्जैन के तत्कालीन सांसदों ने उठाया भी था। इस खबर की जानकारी लगने पर एन.सी.पी. के प्रदेश अध्यक्ष श्री बृजमोहन श्रीवास्तव ने लघु उद्योग निगम द्वारा केवल 90 करोड़ रुपये का भुगतान एस्सेल कंपनी को किए जाने को लेकर एक लिखित आपत्ति के साथ यह अनुरोध किया कि कम्प्यूटर मामले में आगे का भुगतान न किया जाये तथा निष्पक्ष जांच होने के पश्चात ही निर्णय लिया जाए।
अनुपम राजन ने श्री बृजमोहन श्रीवास्तव द्वारा की गयी जांच की मांग को अनदेखा कर आगे की संपूर्ण राशि का भुगतान एस्सेल कंपनी को कर दिया। ग्रामीण विकास विभाग भोपाल द्वारा 240 करोड़ की राशि प्रत्येक जिले में भेज दी और वह राशि लघु उद्योग निगम को दे दी गई और लघु उद्योग निगम ने एस्सेल कंपनी को संपूर्ण राशि का भुगतान कर दिया। लघु उद्योग निगम के प्रबंध संचालक ने प्रदेश में कम्प्यूटर वितरण न होने की शिकायत मिलने के बावजूद शेष राशि के भुगतान पर रोक लगाने और मामले की निष्पक्ष जांच कराने की बजाय कंपनी को पूर्ण भुगतान कर दिया। स्पष्ट है कि अनुपम राजन ने न केवल उक्त कंपनी को फायदा पहुँचाया बल्कि शासन को करोड़ों का आर्थिक नुकसान भी पहुंचाया जिसके जिम्मेदार अनुपम राजन हैं।
भोपाल से एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.