मध्य प्रदेश के उमरिया के चन्द्रिका राय हत्याकांड में सीबीआई ने छह मे से तीन आरोपियों को तो पहचान कर पकड़ लिया है किन्तु तीन को वह अभी तक नहीं पहचान पायी है। तीन आरोपियों का स्केच जारी करना पड़ा है। यह स्केच सीबीआई ने कोर्ट में आरोपपत्र पेश करने के एक दिन पहले जारी किया है। बिना नाम-पते के जारी इस स्केच में पप्पू, रज्जू और सलीम का नाम जरूर दिया गया है। सीबीआई ने 10 अगस्त 2015 को सीजेएम उमरिया जेएस श्रीवास्तव के कोर्ट में चालान पेश किया।
गौरतलब है कि 17 फ़रवरी 2012 की रात कुछ लोगों ने नवभारत और हरिभूमि जबलपुर के स्थानीय एजेन्ट चन्द्रिका राय के घर में घुस कर उनकी पत्नी दुर्गाराय, पुत्र जलज राय एवं पुत्री निशा राय की सोते समय नृशंस ढंग से कमानी पट्टे से सिर पर वार करके हत्या कर दी थी और बाहर से ताला लगा दिया था।
घटना के 16 से 18 घन्टे बाद लोगों को जानकारी हो पायी। जिस ढंग और जिन परिस्थितियों में यह हत्याकांड हुआ था, वह लूटपाट की ओर इशारा कर रहा था। पुलिस ने मामला दर्ज कर पहले कुछ लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया। कुछ को बैठा लिया, बाद में छोड़ दिया। प्रदेश भर में हल्ला होने पर भोपाल से एसआईटी बनी। फिर कुछ लोगों को पकड़कर छोड़ दिया गया।
चन्द्रिका राय के एटीएम कार्ड से शहडोल आकर पैसा निकालते फोटो आने पर ड्राइवर रमेश यादव को गिरफ्तार किया गया। बाद में उसकी बहन के घर से चंद्रिका राय के कुछ जेवर जब्त किये गए। आलोचना से घबराकर पुलिस ने लीपापोती की और रमेश यादव को ही चारो हत्याओं का दोषी बताकर उसके विरुद्ध चालान पेश कर दिया।
इधर पुलिस की कार्यप्रणाली और कार्यवाही से असंतुष्ट चंद्रिकाराय के साले और भाई ने शिकायते कीं। जब पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की तो दोनों ने अलग -अलग याचिका दायर करके मामले की सी बी आई जाँच की माँग कर डाली। एक याचिका में म प्र उच्च न्यायालय ने सी बी आई को जाँच का आदेश दे दिया। डेढ़ वर्ष पूर्व सी बी आई ने जाँच का काम प्रारम्भ किया तो मामले के पीछे एक इंजीनियर झारिया के पुत्र के अपहरण का मामला सामने आया, जिसमे 65 लाख रुपये का लेनदेन हुआ था। सी बी आई ने जब घटना स्थल पर जाँच की तो कई ऐसी चीज़ें मिली जिसे पुलिस ने छोड़ दिया था। आलमारी के फिंगरप्रिंट ,चाय के कप आदि की जाँच के बाद जब सी बी आई ने घटना के समय के मोबाइल काल डिटेल चेक किये तो मामला लूट का लगा।
इनसब सुराग के साथ जब सी बी आई टीम ने उमरिया जेल में बंद रमेश यादव से पूछताछ की तो लूट की पुष्टि हो गयी। पूरे कांड और जाँच पर नजर रखने वाले एक मीडिया सूत्र ने बताया कि घटनास्थल से बरामद 3 उपयोग किये कंडोम, एक आरोपी के खाते में 25 लाख रुपये मिलना, एक आरोपी का 3 दिनों तक मोबाइल बंद मिलना ऐसे प्रमाण थे, जिससे आरोपियों को ढूँढने में काफी मदद मिली। एक दो आरोपियों का नार्को टेस्ट भी कराया गया तो मामला खुलता चला गया। मामले में मई 15 में धरणीश सिंह की गिरफ़्तारी के बाद जाँच में तेजी आई। इसके बाद 10 अगस्त को चालान ही पेश हो गया।
तीन आरोपियों के बयानों के आधार पर स्केच बनाकर 3 अरोपियों को फरार घोषित करके सी बी आई ने तो क़ानूनी खानापूरी तो कर दी है किन्तु यह रहस्य कब खुलेगा कि झारिया अपहरण काण्ड के 65 लाख का इस हत्याकांड से क्या सम्बन्ध था और पैसा गया कहाँ ? पत्रकारिता और अपहरण की इस चर्चा में पुलिस ने जाँच के नाम पर जो लीपापोती की, क्या उसकी भी कोई जाँच होगी।
पत्रकार रामावतार गुप्ता से संपर्क : [email protected]