Connect with us

Hi, what are you looking for?

मध्य प्रदेश

मीडिया सेंटर खाली करने वाले के लिए तो नहीं रुका जन संपर्क अधिकारी का तबादला!

बैतूल (म.प्र.) : प्रदेश सरकार के सुशासन की पोल तब खुल कर रह गई जब एक सहायक सूचना अधिकारी को सूचना अधिकारी के रूप में पदोन्नति मिलने के बाद उसे दतिया भेजने के बजाय उसका तबादला निरस्त करवा दिया गया। भोपाल में बैठे अधिकारी इसे कलक्टर, विधायक, जनप्रतिनिधि तथा पत्रकारों की अनुशंसा बता रहे हैं। 

<p>बैतूल (म.प्र.) : प्रदेश सरकार के सुशासन की पोल तब खुल कर रह गई जब एक सहायक सूचना अधिकारी को सूचना अधिकारी के रूप में पदोन्नति मिलने के बाद उसे दतिया भेजने के बजाय उसका तबादला निरस्त करवा दिया गया। भोपाल में बैठे अधिकारी इसे कलक्टर, विधायक, जनप्रतिनिधि तथा पत्रकारों की अनुशंसा बता रहे हैं। </p>

बैतूल (म.प्र.) : प्रदेश सरकार के सुशासन की पोल तब खुल कर रह गई जब एक सहायक सूचना अधिकारी को सूचना अधिकारी के रूप में पदोन्नति मिलने के बाद उसे दतिया भेजने के बजाय उसका तबादला निरस्त करवा दिया गया। भोपाल में बैठे अधिकारी इसे कलक्टर, विधायक, जनप्रतिनिधि तथा पत्रकारों की अनुशंसा बता रहे हैं। 

सवाल यह उठता है कि दो कलक्टर बैतूल से आकर अपना कार्यकाल पूरा करके जा चुके, तीसरे का कभी भी आदेश आ सकता है। ऐसे में बैतूल में सहायक सूचना अधिकारी के अंगद के पांव की तरह जमे रहने के पीछे की वजह कुछ संघ एवं भाजपा के नेताओं के भूमाफिया के सबंध बताये जा रहे हैं। जहां बैतूल जिला जन सपंर्क कार्यालय चल रहा है उस भवन का नाम चिटनवीस बंगला बताया जाता है। इस भवन में आरएसएस से जुड़े एक संगठन की पाठशालायें लग रही हैं। लाल बंगला के रूप में विख्यात चिटनवीस बंगले के बेचे जाने की कवायद पूर्व में हो चुकी है। किसी कुश्वाह नामक व्यक्ति के पास मौजूद तथाकथित पावर आफ अटार्नी की आड़ में चिटनवीस बंगला, जो कि लगभग दो एकड़ के रकबे में है तथा उसकी कीमत करोड़ो में बताई जा रही है, उसमें वर्तमान में बीस वर्षों से अधिक समय से जन संपर्क विभाग का कार्यालय चल रहा है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

पुराने जमाने की अभिनेत्री स्वर्गीय लीला चिटनवीस के बचपन की यादों से जुड़े लाल बंगले के बाजू में पुलिस अधीक्षक का निवास है। बैतूल की नई विकास कार्य योजना में पुलिस, कलक्टर सहित सभी शासकीय कार्यालय एवं निवास सोनाघाटी के पास जाना तय है। ऐसी स्थिति में शहर के बीचो बीच स्थित लाल बंगला की कीमत अरबों में हो जाएगी। यहां पर उस परिसर में संचालित पाठशाला का भी रूप बदल जाएगा जिसको लेकर कुछ भूमाफिया एवं पावर आफ अटार्नी धारक के बीच दो बार का सौदा हो चुका है लेकिन हर बार जन संपर्क कार्यालय का खाली होना समस्या बन जाता है। जिले के कुछ पत्रकारों के भूमाफिया एवं अवैध कालोनाइजारों से सांठगांठ होने के बाद अकसर इस बात को लेकर चर्चा चौक चौराहों पर होने लगती है कि बैतूल का जन सपंर्क कार्यालय  मीडिया सेंटर में स्थानान्तरीत कर दिया जाए। 

इस काम में सबसे अधिक संदिग्ध भूमिका संघ से जुडे एसडीएम की रही है जिसके द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि बैतूल का मीडिया सेंटर किसी भी सूरत में न खुले। पूर्व में कलक्टर बी. चन्दशेखर की विदाई तक उनकी पहल पर खोले गये मीडिया सेंटर का ताला उनके जाने के बाद से आज तक लगा हुआ है। पूर्व में राजेश मिश्रा कलक्टर बैतूल ने भी कोशिश की थी लेकिन संघ से जुडे भ्रष्टाचार के प्रतिक बने एसडीएम बैतूल द्वारा पत्रकारों का आपसी विवाद बता कर जन संपर्क कार्यालय का बंद पड़ा ताला खुलवाने का प्रयास नहीं किया गया। अब एक बार फिर मराठी मानुष कलक्टर के आने के बाद कुछ मराठी लाबी एवं संघ से जुड़े लोगों ने मीडिया सेंटर में जन संपर्क कार्यालय को स्थानान्तरीत करवाने का ठेका ले रखा है। इस काम की बोली में बकायदा बैतूल के कुछ पत्रकारों को भी खुरचन मिलने की चर्चा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जानकारों का तो यहां तक कहना है कि स्वर्गीय विजय कुमार खण्डेलवाल के द्वारा शुभारंभ किये गये मीडिया सेंटर के बंद पड़े ताले के पीछे जिले के जागरूक विधायक हेमंत खण्डेलवाल का भी हाथ है। बताया जाता है कि खण्डेलवाल भी नहीं चाहते कि बैतूल के पत्रकारों की तथाकथित लडाई में वे किसी का पक्ष लेकर दूसरे पक्ष से बुराई मोल लें। जानकारो का कहना है कि उन्हें अपने स्वर्गीय पिताजी एवं जिले के विकास पुरूष विजय कुमार खण्डेलवाल की प्रतिष्ठा से बड़ी लगने लगी है स्वंय की इमेज, जिस पर वे किसी तरह की कालिख पुतवाना नहीं चाहते। 

बहरहाल बैतूल जिले में मीडिया सेंटर के बंद पड़े ताले एवं जन सपंर्क कार्यालय के स्थानान्तरण के पीछे कहीं न कहीं हाल ही में बैतूल जन संपर्क अधिकारी बने सुरेन्द्र तिवारी की भूमिका भी संदेह के दायरे में है क्योंकि उनके कार्यकाल में ही मीडिया सेंटर का ताला खुला और उसमें ताला लगा। हालांकि जन संपर्क कार्यालय जहां पर चल रहा है, उसके भूस्वामी जो कि मुम्बई में रहते हैं, वे भी मानते हैं कि पावर आफ अटार्नी सिर्फ  लाल बंगला की देख – रेख की है लेकिन वे नहीं चाहते कि उनके पुरखों का लाल बंगला ध्वस्त हो और वहां पर कालोनी या माल बने। अब देखना बाकी है कि लाल बंगला खाली होता है या मीडिया सेंटर  क्योकि दोनो को खाली करवाने में कहीं न कहीं जन सपंर्क अधिकारी के अचानक रुके तबादले को देखा जा रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement