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उत्तर प्रदेश

”लीडा के वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक एसपी सिंह ने हमारी फाइल को मोटी घूस की वजह से रोक रखा है”

Ashwini Kumar Srivastava : भ्रष्टाचार का जो तना ऊपर दिखाई देता है, असल में उसकी जड़ें उससे भी कहीं ज्यादा गहरी होती हैं। तभी तो लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण यानी लीडा के जिन वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक श्रीमान एस. पी. सिंह ने हमारी फ़ाइल को मोटी घूस की वजह से रोक रखा है, उनकी जड़ें तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार की वजह से ही बेहद गहरी धंसी हुई हैं। उस वक्त अखिलेश सरकार के प्रिय, खासमखास और राजस्व परिषद बोर्ड के अध्यक्ष रहे अनिल कुमार गुप्ता ने सभी नियमों को ताक पर रखकर डेपुटेशन पर आए एस. पी. सिंह को वहीं लीडा में ही स्थायी कर दिया था। सिंह पर भ्रष्टाचारी होने का तमगा था इसलिए उस वक्त इस मर्जर को लेकर खासा हंगामा भी हुआ था और लीडा लंबे समय तक विवादों के घेरे में भी था।

लेकिन तब मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल रहे गुप्ता की सरपरस्ती में सिंह का कोई बाल भी बांका नहीं कर सका। वैसे भी, चोर-चोर मौसेरे भाई की तर्ज़ पर एस. पी. सिंह को गुप्ता द्वारा दिया गया यह प्रश्रय वाजिब ही था। क्योंकि खुद गुप्ता पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप बराबर लगते ही रहे थे। गुप्ता जब 1994 में एलडीए के उपाध्यक्ष पद पर थे तो प्लॉट आवंटन घोटाले में भी उनका नाम आया था। इसी तरह आबकारी विभाग में उनकी तैनाती के दौरान भी सरकार हमेशा भ्रष्टाचार के आरोपों से परेशानहाल रही।

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लेकिन गुप्ता किस कदर तत्कालीन समाजवादी सरकार और मुलायम परिवार के नजदीकी थे, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2012 में अखिलेश सरकार के आते ही उन्हें 12 अहम विभागों की जिम्मेदारी एक साथ सौंपी गई थी। यही नहीं, राजस्व परिषद का अध्यक्ष बनाए जाने से पहले उन्हें प्रमुख सचिव गृह का बेहद अहम पद भी सौंपा गया था। अब मुलायम परिवार के खासमखास सिपहसालार का विश्वासपात्र होना अपने में बड़े ही सौभाग्य की बात तो है ही।

ऐसे में भला यह सवाल कौन पूछेगा कि एस. पी. सिंह का लीडा में विलय नियमों का उल्लंघन करके किया गया या नहीं? या फिर लीडा में आने से पहले व अब भी एस. पी. सिंह पर भ्रष्टाचार के कितने गंभीर आरोप हैं?

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दिलचस्प बात तो यह है कि योगी सरकार उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास की गंगा बहाना चाहती है और उसका जिम्मा उसने लीडा के उस अफसर को सौंप रखा है, जिसका जन्म ही भ्रष्टाचार की गंगोत्री से हुआ है। फरवरी में दुनियाभर के उद्योगपतियों को बुलाकर यूपी में निवेश के लिए न्योता दिया जा रहा है।

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खुद लीडा को औद्योगिक विकास और उद्योगपतियों को जमीन मुहैया कराने के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन जुटाने का जिम्मा दिया गया है। और सुनने में तो यह भी आ रहा है कि एस. पी. सिंह इस सुनहरे मौके का फायदा उठाकर अपनी तिजोरी भरने के लिए इन दिनों अपने खासमखास व समाजवादी सरकार में प्रभावशाली रहे अपने सरपरस्त नेताओं को लीडा द्वारा अधिग्रहित की जा रही जमीनों के इर्द गिर्द जमीनें खरीदवाने में भी युद्ध स्तर पर जुटे हुए हैं। जाहिर है, योगी जी अगर अब भी नहीं चेते और इन्हीं भ्रष्ट अफसरों के जिम्मे उन्होंने राज्य का औद्योगिक विकास सौंप दिया तो अखिलेश सरकार की ही तरह उन्हें भी नाकामी ही हाथ लगेगी।

अश्विनी कुमार श्रीवास्तव की एफबी वॉल से. अश्विनी दिल्ली में नवभारत टाइम्स, दैनिक हिंदुस्तान, बिजनेस स्टैंडर्ड जैसे बड़े अखबारों में लंबे समय तक पत्रकारिता करने के बाद कई साल से यूपी की राजधानी लखनऊ में बतौर रीयल इस्टेट उद्यमी सक्रिय हैं. पूरे प्रकरण को विस्तार से समझने के लिए इन्हें भी पढ़ें :

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यूपी के एक दुखी युवा उद्यमी का दर्द- ”योगी जी के राज में देर भी है, अंधेर भी”

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