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मध्य प्रदेश

उज्जैन प्रेस क्लब में दो फाड़, नए प्रेस क्लब का गठन

उज्जैन । शहर में पिछले दिनों सफल रूप से सम्पादित हुए प्रेस क्लब के चुनावों में आपत्तियों का निराकरण और बैक डोर से फर्जी पत्रकारों की भर्ती सहित चुनाव अधिकारी के द्वारा लिए गए गलत निर्णयों के खिलाफ पत्रकारों ने एकजुट होकर नए प्रेस क्लब की घोषणा कर दी। शहर के डेढ़ सौ से ज्यादा पत्रकारों ने बैठक कर नये प्रेस क्लब का गठन किया और प्रेस क्लब चुनाव में हुई धांधलियों और षड्यंत्रों का विरोध करने और सर्वमान्य संगठन बनाने की शपथ भी ली। 

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उज्जैन । शहर में पिछले दिनों सफल रूप से सम्पादित हुए प्रेस क्लब के चुनावों में आपत्तियों का निराकरण और बैक डोर से फर्जी पत्रकारों की भर्ती सहित चुनाव अधिकारी के द्वारा लिए गए गलत निर्णयों के खिलाफ पत्रकारों ने एकजुट होकर नए प्रेस क्लब की घोषणा कर दी। शहर के डेढ़ सौ से ज्यादा पत्रकारों ने बैठक कर नये प्रेस क्लब का गठन किया और प्रेस क्लब चुनाव में हुई धांधलियों और षड्यंत्रों का विरोध करने और सर्वमान्य संगठन बनाने की शपथ भी ली।

शहर के क्षीर सागर स्थित राजेंद्र जैन सभागृह में पत्रकार साथी रविवार को एक जाजम पर बैठे। मुद्दा था विगत दिनों संपन्न हुए प्रेस क्लब चुनावों कि धांधली और षड्यत्रों के खिलाफ आवाज बुलंद करना। पत्रकारों ने हाथों-हाथ सिटी प्रेस क्लब उज्जैन के नाम से नए संगठन का भी गठन किया। वरिष्ठ पत्रकार रमेश दास की अध्यक्षता में हुई सभा में दैनिक, सांध्य दैनिक समाचार पत्रों के संपादकों, संवाददाताओं, इलेक्ट्रॉनिक चैनल, स्थानीय न्यूज़ चैनल, साप्ताहिक के अलावा बड़ी संख्या में स्वतंत्र पत्रकार भी शामिल हुए। दास ने पूरे सदन का हाथ खड़े करवा कर नए प्रेस क्लब के गठन की अनुमति प्राप्त की और उसका नामकरण सिटी प्रेस क्लब, उज्जैन किया गया।

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वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र कुल्मी ने कहा कि चुनाव हर बार होते हैं लेकिन वर्ष 2017 के इस बार के चुनाव इंदौर के चुनाव अधिकारी की मनमाने तरीके से हुई नियुक्ति के साथ ही चुनाव प्रणाली संदिग्ध हो गई थी । कोर्ट में उन सभी 21 बिंदुओं पर ही आपत्ति ली गई है जिनका निराकरण चुनाव अधिकारी ने नहीं किया । पत्रकार विवेक चौरसिया ने कहा जिन लोगों का विरोध है उन्हें साधारण सभा बुलाकर पदमुक्त किया जाए । निरुक्त भार्गव ने कहा इस बार के चुनाव बिहार और उत्तरप्रदेश की तर्ज पर लड़े गए और शर्म से सिर झुक गया। हम हार का सामना कर सकते हैं, षड्यंत्र का नहीं। ऐसे में नए संगठन का गठन जरूरी है, जहां सम्मान के साथ आ जा सकें।

अभय तिरवार ने कहा कि नया संगठन गलत लोगों को हटाने के लिए बेहद जरूरी है। उज्जैन के पत्रकारों का तमाशा बनाया तो हम खामोश नहीं रहेंगे। संदीप मेहता ने कहा पत्रकारों से प्रेस क्लब है, प्रेसक्लब से पत्रकार नहीं। महेन्द्रसिंह बैस की पीड़ा थी कि एक तरफ महाकाल की सवारी निकल रही थी औरचुनाव में पत्रकारों की मांस और मदिरा की पार्टियां चल रही थी.. ऐसा चुनाव उन्हीं को मुबारक । अच्छा काम करने के लिए हम नया संगठन बना सकते हैं। इस अवसर पर उपस्थित सभी सदस्यों ने 1 नवंबर से संगठन की सदस्यता का फॉर्म भरने की घोषणा की। तय किया गया कि पत्रकारों के हक की लड़ाई को खुलकर लड़ा जाएगा और सबसे पहले सिहस्थ के बाकी भुगतान के लिए भोपाल कुछ किया जाएगा।

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चुनाव अधिकारी कि भूमिका संदिग्ध
प्रेस क्लब के चुनाव अगस्त माह में संपन्न हुए थे जिसमें चुनाव अधिकारी के रूप में इंदौर के अधिवक्ता राहुल विजयवर्गीय को बिना कार्यकारिणी की सहमती से चुनाव अधिकारी नियुक्त कर दिया गया था लिहाजा पुरे समय चुनावों के दौर में बैठक विजयवर्गीय एक पक्ष का साथ देते रहे और 21 आपत्तियों को भी मान्य नहीं किया और प्रत्याशियों के नाम भी क्रमवार ना लगाकर पक्ष विशेष को फायदा पहुँचाने के लिए एक साथ मतपत्र पर एक साथ प्रकाशित किये गए जिससे एक पक्ष के ही ऐसे पंद्रह पत्रकार चुनावों में जीत गए जो काबिल नहीं थे| यही कारण रहा कि तीन पैनल से दो पैनल के अध्यक्ष प्रत्याशियों के कोर्ट में वाद दायर कर दिया और यह मामला विचाराधीन है|

मैदान में उतरे साथी
कुल मिलाकर पत्रकारों के साथ संस्थागत चुनावों में हुए कुठाराघात को लेकर सभी वरिष्ठ पत्रकारों ने रविवार को बैठक का आयोजन कर शहर के सभी पत्रकारों को आमंत्रित किया और नए प्रेस क्लब की नीव रखी| अब शहर के कई वरिष्ठ प्रिंट और इलेक्ट्रिक मिडिया के पत्रकार नए प्रेस क्लब के साथ जुड़ चुके हैं| शहर में फ़िलहाल चार सौ से ज्यादा प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मिडिया के पत्रकार, कैमरामेन, संपादक, एडिटर, रिपोर्टर कार्यरत है जो नए सिटी प्रेस क्लब के साथ हो गए हैं और वर्तमान में चल रहे सोसायटी फॉर प्रेस क्लब की सदस्यता त्यागने की बात कर रहे हैं|

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अस्तित्व में आते ही अधिकारी खुश
नए प्रेस क्लब के अस्तित्व में आते ही शहर के अधिकारी काफी खुश नज़र आये| दरअसल शहर के पत्रकारों के एक मात्र संगठन के आगे चाहे पुलिस हो या कोई अधिकारी हर कोई झुकता था और पत्रकारों की इस एकता की मिसाल देता था और पत्रकारों के संगठन के सभी कार्य समय पर संपादित हो जाते थे लेकिन अब पत्रकारों के दोगुटहोने के कारण अधिकारीयों और नेताओं ने ख़ुशी जाहिर कि है और पत्रकारों की इस फूट का लाभ अब नेता और अधिकारी उठाएंगे|

बैठक में ये रहे उपस्थित
बैठक में वरिष्ठ पत्रकार रमेश दास, शैलेन्द्र कुल्मी, विवेक चौरसिया, अभय तिरवार, शैलेष व्यास, संदीप मेहता, निरूक्त भार्गव, अनिल तिवारी, डॉ. सचिन गोयल, कमल चौहान, महेन्द्रसिंह बैस, अशोक मालवीय, नौमीष दुबे, राजेश कुल्मी, योगेश कुल्मी, आनंद निगम, जय कौशल,सुनील मगरिया, गोविंद सोलंकी, रवि सेन, मलंग एहमद खान, सचिन कासलीवाल, मोहन बैरागी, विकास शर्मा, राकेश पंड्या, शाकिर खान, राजीवसिंह भदौरिया, मंगेश भुजाड़े, जयसिंह ठाकुर, प्रमोद व्यास, उमेश चौहान, रशीद खान, अजय पटवा, निर्भयसिंह भाटी, राहुल शर्मा नाना, संदीप गोस्वामी, आदित्य तिवारी, प्रतीक खेड़कर, गोविंद प्रजापति, सचिन यादव, जितेन्द्र राठौर, निलेश तगारे, विनोद कनोजिया, अमृत बैंडवाल, निलेश सांघी, राकेश कटारिया, इश्तियाक हुसैन, लखन यादव, असलम खान, गुलरेज गौरी, राकेश नागर, श्याम भारतीय, लोकेश भारतीय, जितेन्द्र सेठ, अमित तिवारी, किशोरकुमार दग्दी, संजय माथुर, प्रणव नागर, डॉ. संजय नागर, निलेश नागर, धर्मेन्द्र राठौर, इंदरसिंह चौहान, गगनसिंह परिहार, संतोष कृष्णानी, सचिन यादव, आशीष जैन, वीरेन्द्र शर्मा, पंकज जायसवाल, लखन यादव, नरेन्द्र जैन टोंग्या, गोपाल भार्गव, महेश वशिष्ठ, अशोक महावर, प्रवीण नागर, संजय चौधरी, विजय शर्मा, आशीष शर्मा, धर्मेन्द्र सिरोलिया, डॉ. नजर मेहमूद, आसिफ रहमानी, रूद्राक्ष नागर, शंकरसिंह देवड़ा, आलोक त्रिपाठी, देवेन्द्र शर्मा, मोलेश्वर राव उलारे, इरफान एहमद कुरैशी, नईम परवेज, भरत पाटोदिया, मनोहर राठौर, दिलीप चौहान, सतीश माहेश्वरी, हुकुमचंद बल्दिया, लोकेश राठौर, संजय पांचाल, रवि भाटी, राजेन्द्र रघुवंशी, नवीन खत्री, पंकज राठौर, नवीन वर्मा, कैलाश सिसौदिया, नयन के. शर्मा, सत्यनारायण अग्रवाल, औसाफ कुरैशी, भुवनेश पांडेय, शैलेष नागर, जावेद डिप्टी, अमित नागर, मयूर अग्रवाल, असलम खान, प्रवीण डागा, दारा खान आदि उपस्थित थे। 

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