Narendra Nath : हाल के समय में 90 के दशक में “लालूयुग” में बिहार के जंगलराज की सबसे अधिक चर्चा हुई। निश्चित तौर पर वह ऐसा भयावह शासन था जिसे आज जब लालू भी पीछे मोड़कर देखते होंगे तो उन्हें बुरा लगता होगा। साथ ही बिहार के उस जंगलराज के बारे में पूरी दुनिया को मिर्च-मसाला लगाकर बताने में हम बिहारियों ने कोई कमी भी नहीं छोड़ी। ऐसा करना “अपमार्केट स्टेटस सिंबल” माना।
लेकिन हाल के सालों में पंजाब में अकाली-बीजेपी का शासन और वहां का “जंगलराज” का जब हाल देखता हूं तो बिहार का वह युग भी इससे बेहतर लगता है। पिछले साल लोकसभा चुनाव में जब पंजाब घूम रहा था तब पहली बार वहां की भयावह स्थिति को नजदीक से देखने का मौका मिला था।
आपको वहां किराना से अधिक आसानी से ड्रग मिल जाएगी। रंगदारी, माफिया, करप्शन, गुंडागर्दी या गवर्नेंस, हर मोर्चे पर बुरा हाल। पंजाब के अंदर थोड़ा अंदर जाएंगे तो खुलेआम खलिस्तान के सपोर्टर भी मिल जाएंगे। इकोनॉमी की हाल यह है कि सरकार को अपने कर्मचारियों को सैलेरी तक देने में दिक्कत हो रही है। जबकि बाप सीएम, बेटा डिप्टी सीएम, बहु सेंट्रल मिनिस्टर है।
लेकिन पंजाब के जंगलराज की चर्चा कम सुनायी देती है। अगर आज चुनाव हो तो आकली-बीजेपी सरकार किस कदर हारेगी,वह कोई सामान्य नागरिक चंद घंटे पंजाब में बिताकर बता सकता है। लोग तैयार बैठे हैं, चुनाव हो और बादल सरकार को बदले।
नोट-
पंजाब की मौजूदा स्थिति से विदेश या देश के दूसरे हिस्से में बसे पंजाब के लोग दु:खी हैं लेकिन वह पंजाब को बदनाम नहीं करते हैं। वह जानते हैं कि राजनीतिक कारणों से अपने राज्य, वतन को बदनाम करना कोई स्टेटस सिंबल नहीं है। बिहारियों को ऐसे पंजाबियों से सीखने की जरूरत है।
टाइम्स आफ इंडिया में कार्यरत पत्रकार नरेंद्र नाथ के फेसबुक वॉल से